कांची मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का देहावसान

देहरादून : देश के पांच पंचभूतस्थलों में से एक दक्षिण भारत के महत्त्वपूर्ण कांचीपुरम स्थित कांची शंकर मठ के प्रमुख शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का दिल का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद निधन हो गया। अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि 82 वर्ष के शंकराचार्य ने बेचैनी की शिकायत की थी जिसके बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
अस्पताल के सूत्रों से पता चला है कि वे लंबे समय से बीमार थे और उन्हें पिछले महीने भी सांस की बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जयेंद्र सरस्वती देश के सबसे पुराने मठों में से एक के प्रमुख थे और वह काफी लंबे समय से इस पद पर आसीन थे। 1994 में वह श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामीगल के बाद इस शैव मठ के वे 69वें प्रमुख बने थे।
हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार में अहम रोल निभाने वाले जयेंद्र सरस्वती ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विभिन्न पक्षों के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू किया था। जयेंद्र सरस्वती की पहल से मुफ्त अस्पताल, शिक्षण संस्थान और बेहद सस्ती कीमत पर उच्च शिक्षा देने के लिए विश्वविद्यालय तक देशभर में संचालित किये जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांची मठ के प्रमुख शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि शंकराचार्य ने समाज की अनुकरणीय सेवा की है जिसके कारण वह अनुयायियों के मन-मस्तिष्क में हमेशा जीवित रहेंगे। उपराष्ट्रपति नायडू ने दुख जाहिर करते हुए ट्वीट किया कि, ”कांची पीठाधिपति जयेंद्र सरस्वती को मेरी श्रद्धांजलि। उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया। मानव कल्याण और आध्यात्मिकता के प्रसार में उनका योगदान अन्य लोगों के लिए हमेशा प्रेरणा बना रहेगा।