शाही सड़क और तीन सौ करोड़ की भेंट
शाही सड़क 74 के किनारे ज़मीन के मुआवजे के जरिये राजकोष से कोटि कोटि मुद्राओं के घपले की जांच से जब मरकज़ी जांच एजेंसी ने इंकार किया किया, उस खिलाफती कुनबे को बैठे बैठे हुकूमत की ईंट से ईंट बजाने का मौका हाथ लग गया, जिसकी हुकूमत के दौर मेँ ही यह सब खुर्द बुर्द हुआ था। पर इस खुर्द बुर्द के हीरो रहे बज़ीर जो इन्तेख़ाबाद से ऐन पहले पाला बदल कर पाप मुक्ति का फटगा धारण कर चुके थे, उनके जरिये मौज़ूदा हुकूमत को कटघरे मेँ खड़ा करने की मंशा पाले खिलाफती कुनबे के नए नवेले सरदार ने हंगामा बरपाने का एलान कर डाला।
इस बीच 8 जून से होने वाली राज सभा मेँ भी हंगामा बरपाने का ज़ोरदार एलान कर दिया। यह देख बादशाह के 10 बरस पहले के दौर-ए-बज़ीर से प्रिय रहे एक बड़े नुमाइंदे व् प्रिय सिपहसालार के कानों मेँ ॐ ॐ ॐ की कर्कश ध्वनि के साथ भयंकर तांडव की गूंज सुनाई देने लगी। फिर क्या था तमाम दूतों को तलब किया गया।
प्रकाशमयी बुद्धि से लबरेज़ इस सिपह सालार ने मानस खंड और तराई के इस कद्दावर लीडर व् बज़ीर को बुलावा भेज मंगलवार की साँझ राजाजी अरण्य के शाही मेहमानखाने मेँ बुला लिया। स्वयं भी मय सौदागरों के वहां जा धमके, उधर दूसरी ओर से गुज़रे ज़माने के बादशाह भी आ धमके राजाजी अरण्य मेँ, जो अभी तक मैदान-ए-जंग मेँ दो दो मोर्चों पर शिकस्त खाने के गम में डूबे हुए हैं।
बहरहाल, राजाजी अरण्य मेँ महकमा-ए-जंगलात के मेहमानखाने मेँ बड़ी बड़ी शख्शियतों और सौदागरों का मज़मा जुट गया। प्रकाश की पूरे इंतजामात के बीच ॐ ॐ ॐ ध्वनि के साथ शाही ख़ज़ाने की लूट के इस फ़साने को दफ़्न करने को लेकर बहस मुबाहिस होने लगी।
कोयले की दलाली मेँ हाथ दोनों ही और काले थे सो दरमियानी रास्ते पर चलने की साझा सहमति बनी। प्रिय सिपह सालार ने मानस खण्ड के खांटी लीडर और मौज़ूदा हुकूमत मेँ बज़ीर के सामने दलील रखी कि कुछ जेब ढीली करें तो आप भी कायम रहोगे और हुकूमत की साख भी महफूज़। इस मुलाकात का लब्बोलुआब ये कि बज़ीर गुज़रे दौर के बादशाह को 300 खोखे की तुच्छ भेंट करेंगे।
जिस पर सर्वसहमति से हामी भर ली गयी। फिर खिलाफती कुनबे के नए नवेले प्रीतम प्यारे सरदार को हुक्म ज़ारी हुआ कि ज़्यादा उछलने कूदने की ज़रुरत नहीं, राज सभा मेँ सिर्फ रस्मअदायगी भर को हंगामा बरपाओ.. इस बात की पुष्टि होना बाकी है कि कटे कद्दू का एक आध टुकड़ा खिलाफती कुनबे नए नवेले सदर को भी मिलेगा या नहीं..
बहरहाल इस तरह से राजाजी पार्क के इस घने अरण्य में शाही सड़क 74 के ज़रिये शाही ख़ज़ाने की लूट के मसले को सुपुर्द-ए-ख़ाक करने की कायावद को अंजाम तक पहुंचा दिया गया। असल खेल तो राजाजी के घने अरण्य मेँ मंगलवार की घनघोर बादलों वाली काली रात मेँ खत्म हो गया है, अब मूर्ख अवाम 8 जून से रिस्पना के रौखड़ किनारे होने वाली राज सभा मेँ रस्मअदायगी की नौटंकी का मजा लेगी…