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केदारनाथ आपदा के सात साल
कितना बदल गया केदारनाथ
प्रधानमंत्री मोदी का बाबा केदार के प्रति अगाध श्रद्धा का उत्तराखंड को मिला वरदान
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : उत्तराखंड में 16 जून 2013 को केदारनाथ धाम में आई आपदा के जख्म तो कोई नहीं भर सकता लेकिन उन जख्मों पर मरहम लगाने में प्रधानमंत्री मोदी और प्रदेश की त्रिवेन्द्र रावत की सरकार ने कोई कोर कसर आज तक नहीं छोड़ी है। मुझे याद है वह 16 जून की अलसुबह जब किसी भेड़ चुगाने वाले गडरिये ने मुझे फ़ोन करके केदारनाथ में किसी अनहोनी की खबर दी थी और यह सबसे पहली ख़बर थी जिसे मैंने सोशल मीडिया से लेकर सरकार तक पहुँचाया था। घटना के तीन दिन बाद उत्तराखंड का शासन जागा था और वह इतनी बड़ी घटना को मामूली घटना बता रहा था।
जानिए केदारनाथ आपदा के दौरान कब क्या हुआ
14 जून को शुरू हुई थी बारिश
16 जून की शाम चौराबाड़ी ताल टूटने से मंदाकिनी में बाढ़ आयी, केदारनाथ के आपास नुकसान, रामबाड़ा तहस-नहस
17 जून सुबह दोबारा चौराबाड़ी ताल से काफी पानी मलबा लेकर आया। केदारनाथ समेत पूरी घाटी में तबाही। हजारों यात्री मारे गए।
18 जून को पहली बार केदारघाटी की तबाही के बारे में सरकार को पता चला।
19 जून को विजय बहुगुणा सरकार ने भीषण तबाही की बात स्वीकार की।
इसी दौरान गुप्तकाशी के कैप्टेन भूपेंद्र सिंह जो वर्तमान में हरियाणा सरकार में हैं ने उड़ान भरी और प्रदेश सरकार को भारी जानमाल के नुक्सान की जानकारी दी। उसके बाद बहुगुणा सरकार ने वाहन क्या किया यह सबके सामने है। हालाँकि हरीश रावत के मुख्यमंत्री बनते ही केदारनाथ में आपदा कार्यों सहित पुनर्निर्माण कार्यों में तेज़ी आयी थी, वहीं उनके भी सत्ता से जाने के बाद भाजपा की त्रिवेंद्र रावत सरकार ने वहां प्रधानंत्री मोदी ने निर्देशन में अप्रत्याशित कार्य किये। जो आज भी जारी हैं। केदारनाथ धाम के पार्टी प्रधानमंत्री मोदी की अगाध श्रद्धा का वरदान उत्तराखंड को मिल रहा है और वह भी खासकर केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों में यह कहना कदापि अतिशयोक्ति नहीं होगा।
केदारनाथ धाम में हुई त्रासदी के जख्म तो कभी नहीं भरे जा सकते लेकिन मोदी की पहल से धाम का स्वरूप बहुत कुछ बदल गया है। केदारनाथ धाम अब नए और आलोकिक स्वरूप में आ गया है जिसकी कभी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। केदारनाथ धाम काफी कुछ बदल गया है यह सब प्र्धानमंरी मोदी की व्यक्तिगत रूचि के कारण ही संभव हो रहा है वे इस धाम को दिव्य और भव्य बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं और उनके सपनों को प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव उत्त्पल कुमार सिंह आकार देने में जुटे हुए हैं।
केदारनाथ आपदा में हुए नुकसान का ब्योरा
4027 लोगों की मौत
1853 पूर्ण क्षतिग्रस्त पक्के मकान
361 पूर्ण क्षतिग्रस्त कच्चे मकान
2349 बुरी तरह से क्षतिग्रस्त पक्के भवन
340 बुरी तरह से टूटे कच्चे मकान
9808 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त पक्के मकान
1656 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कच्चे मकान
2162 सड़कें क्षतिग्रस्त
86 पुल (मोटर मार्ग व पैदल) टूटे
172 पुलिया ध्वस्त
3484 पेयजल लाइनें ध्वस्त
4515 गांव मेंबिजली आपूर्ति बाधित
13,844.34 परिसंपत्तियों को नुकसान(राशि करोड़ में)
प्रधानमंत्री की केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों पर सीधी नजर है। प्रधानमंत्री मोदी की कल्पना केदारनाथ धाम के अगले सौ साल के हिसाब से सँवारने की है। प्रधानमंत्री मोदी की इस योजना के पीछे उत्तराखंड की आर्थिकी को भी संवारने की है और केदारनाथ धाम यात्रा और मंदिर से जुड़े उन सभी की आर्थिकी को बढ़ने की है जिन्होंने वर्ष 2013 की आपदा में अपना सबकुछ खोया है। क्योंकि उन्हें पता है कि आपदा के बाद यहाँ के लोगों की आर्थिकी पूरी तरह से ख़त्म हो गयी थी।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा केदारनाथ के लिए जितना कुछ अब तक किया गया वह अप्रत्याशित और अकल्पनीय ही कहा जा सकता है। केदारनाथ धाम का स्वरूप वर्ष 2013 के बाद से काफी कुछ बदला है और अभी और बदले जाने वाला है। रामबाड़ा से केदारनाथ को जहां पुनः जोड़ा जा रहा है वहीँ आपदा के दौरान आदि गुरु शंकराचार्य जी की समाधि स्थल का कार्य जोरों पर है जबकि प्रधानमंत्री जी की योजनानुसार केदारनाथ में एक संग्रहालय के निर्माण की योजना को भी जल्द ही मूर्त रूप दिया जाने वाला है।
https://youtu.be/aOJ2NjrbAPw