VIEWS & REVIEWSWorld News

चीन कभी नहीं ले सकता भारत की जगह : नेपाली अर्थशास्त्री

नेपाल और भारत के संबंध को बिगड़ने नहीं देना चाहिए

जल्द से जल्द दोनों देशों के बीच वार्ता शुरू होनी चाहिए और विवादित मुद्दों को सुलझाया जाना चाहिए

भारत से हम अपने कुल आयात का मंगवाते हैं दो तिहाई हिस्सा जबकि चीन पर नेपाल केवल 14 प्रतिशत सामान के लिए ही हैं निर्भर

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

 

भारत करेगा पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में स्वच्छता सुविधा निर्माण में मदद, एमओयू हुआ साइन

काठमांडु । नेपाल में काठमांडु स्थित पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में शौचालय के निर्माण के लिए भारत ने 3.72 करोड़ नेपाली रुपये की वित्तीय मदद देने के सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस एमओयू पर सोमवार को भारतीय दूतावास, संघीय मामलों व सामान्य प्रशासन मंत्रालय और काठमांडु मेट्रोपोलिटन सिटी (केएमसी) ने हस्ताक्षर किए। भारतीय दूतावास की ओर से जारी बयान के मुताबिक, इसे नेपाल-भारत मैत्री विकास साझेदारी के तहत उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजना (एचआइसीडीपी) के तौर पर वित्तीय मदद दी जाएगी।
काठमांडू। भारत के हिस्से लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल के नक्शे में शामिल किए जाने से उत्पन्न स्थिति पर नेपाल के शीर्ष अर्थशास्त्री डॉ. पोशराज पाण्डेय का कहना है कि ताजा सीमा विवाद से नेपाल और भारत के संबंध खराब नहीं हो सकते और न ही चीन नेपाल के लिए भारत की जगह ले सकता है। वह साउथ एशिया वाच ऑन ट्रेड, इकोनोमिक्स एंड एन्वायरमेंट के प्रमुख और 20 साल से आर्थिक हालात पर नजर रख रहे हैं। डॉ. पाण्डेय ने कहा कि सभी ओर से जमीन से घिरा नेपाल जरूरी सामान के लिए भारत पर निर्भर है। यह कहना बुद्धिमत्ता नहीं होगी कि नेपाल के लिए भारत का विकल्प कभी चीन बन सकता है। 
शनिवार को नेपाल के सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एकमत से नक्शे में संशोधन कर उसे राष्ट्रीय चिह्न में शामिल किए जाने के प्रस्ताव का समर्थन किया। नेपाल के मानचित्र में इस विस्तार से दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया है। भारत ने इसे अस्वीकार्य कहा है।

नेपाल का दुस्साहस भारत की मित्रता के लिए आघात

पिथौरागढ़ : नेपाल में सदन में नया नक्शा पास कराने के बाद नेपाल के संविधानविद् अब भारत के तीन गांवों के वाशिंदों को नेपाल की नागरिकता हासिल करने का न्यौता दे रहे हैं। उनके मुताबिक अब भारत के तीन गांवों गुंजी, नाबी और कुटी गांवों की तीन हजार की आबादी को नेपाली नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग खुल चुका है। नेपाल का ये दुस्साहस भारत की मित्रता के लिए आघात की तरह है। भारत विवादों को जहां बातचीत के जरिए हल करना चाह रहा है वहीं, नेपाल निरंतर दुस्साहस दिखा रहा है।
नेपाल के काठमांडू से प्रकाशित एक अखबार में संविधानविद पूर्णमान शाक्य के बयानों का हवाला देकर कहा गया है कि अब भारत के तीन गांवों के ग्रामीण नेपाली की नागरिकता लेना चाहे तो सरकार उन्हें नागरिकता दे सकती है। अखबार में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय कानून के जानकार पूर्णमान शाक्य ने कहा है कि तीन गांवों के ग्रामीणों के पास भारत के आधार कार्ड होंगे परंतु जिस जमीन पर वह रह रहे हैं वह भूमि नेपाल की है। यह अब नेपाल के नक्शे में शामिल है।
डॉ. पाण्डेय ने कहा कि दोनों देशों के संबंध इस पर निर्भर करेंगे कि भारत इस घटनाक्रम पर किस तरह की प्रतिक्रिया देता है। आर्थिक मामलों की प्रतिक्रिया का खासा महत्व होगा। डॉ. पाण्डेय ने कहा, नेपाल और भारत के संबंध को बिगड़ने नहीं देना चाहिए। इसके लिए जल्द से जल्द दोनों देशों के बीच वार्ता शुरू होनी चाहिए और विवादित मुद्दों को सुलझाया जाना चाहिए। क्योंकि भारत से हम अपने कुल आयात का दो तिहाई हिस्सा मंगवाते हैं जबकि चीन पर हम केवल 14 प्रतिशत सामान के लिए निर्भर हैं।
डॉ. पाण्डेय नेपाल के राष्ट्रीय योजना आयोग के सदस्य रह चुके हैं और मौजूदा समय में विश्व व्यापार संगठन में नेपाल की सदस्यता के लिए पैरवी कर रहे दल के सदस्य हैं। उन्होंने कहा, हम पूर्व में मेची से लेकर पश्चिम में महाकाली तक भारतीय व्यापार मार्ग से जुड़े हुए हैं। हम समुद्र से चार हजार किलोमीटर दूर हैं, इसलिए हमारे लिए भारत का महत्व कभी कम नहीं हो सकता।
अगर हम किसी तीसरे देश के साथ व्यापार करना चाहें तो हमें केवल दक्षिणी रास्ता ही अपनाना होगा, जो बहुत मुश्किल है। डॉ. पाण्डेय ने कहा, जहां तक नेपाल में बनी वस्तुओं के निर्यात का सवाल है तो भारत हमारा बना 60 प्रतिशत माल लेता है जबकि चीन महज दो प्रतिशत। इतना ही नहीं भारत की कुल अनुदान राशि में से नेपाल को 15 प्रतिशत हिस्सा मिलता है, जो नेपाल के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पांच प्रतिशत के बराबर है।

Related Articles

Back to top button
Translate »