मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्ययोजना की जाएगी तैयार
डीजीपी अशोक कुमार : झील से धीरे-धीरे पानी का रिसना शुरू हो गया है अब खतरे की कोई बात नहीं
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि एसडीआरएफ की टीम शुक्रवार शाम को झील के करीब पहुंच गई है। टीम ने जो जानकारी दी है जिसके अनुसार झील से धीरे-धीरे पानी का रिसना शुरू हो गया है। इसलिए अब खतरे की कोई बात नहीं है। उन्होंने बताया कि टीम ने जो फोटो भेजी हैं, उसमें झील करीब 350 मीटर लंबी नजर आ रही है। एक छोर से इसमें रिसाव भी हो रहा है। इस कारण खतरे की बात नहीं है। डीजीपी ने बताया कि एसडीआरएफ टीम शनिवार दोपहर तक रैंणी गांव लौट आएगी। इसके बाद और जानकारी मिल पाएगी।
उल्लेखनीय है कि वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान ने रैंणी गांव के ऊपर ऋषिगंगा के जलागम क्षेत्र रोंगथी में एक विशाल झील बनने का खुलासा किया था। संस्थान ने झील बनने की जानकारी राज्य सरकार और चमोली जिला प्रशासन को दे दी है। संस्थान के निदेशक के मुताबिक झील से पानी की निकासी भी नहीं हो रही है, जो खतरनाक हो सकती है। वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ. कलाचंद सांई ने बताया कि रैणी, तपोवन इलाके में आपदा के कारणों का वैज्ञानिक विश्लेषण करने गई उनकी टीम ने झील बनने की जानकारी दी है। बताया जा रहा है कि इस झील का आकार काफी बड़ा है। टूटने की स्थिति में झील खतरनाक हो सकती है।
जबकि देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि, झील से घबराने की नहीं, सावधान रहने की जरूरत है। जल्द ही विशेषज्ञों के दल को हेलीकाप्टर से मौके पर भेजा जाएगा, जो तीन-चार घंटे वहां विस्तृत अध्ययन कर रिपोर्ट देगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि झील में कितना पानी जमा है, इसका पता अभी नहीं चला है। इसके लिए उस क्षेत्र में वैज्ञानिकों की टीम भेजी जा रही है। इसके अलावा कुछ अन्य विशेषज्ञ भी मौके पर भेजे जा रहे हैं, जिन्हें एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से वहां ड्राप किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
इस झील का पता लगाने वाले वाडिया इंस्टीटयूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद साई ने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों के एक दल ने रविवार को आई आपदा के अगले दिन ऋषिगंगा के उपरी क्षेत्र के हवाई सर्वेंक्षण के दौरान वहां एक झील देखी। उन्होंने कहा कि झील का निर्माण संभवत: हाल में हुए हिमस्खलन के कारण हुआ होगा। साई ने बताया कि हमारे वैज्ञानिक झील के आकार, उसकी परिधि और उसमें मौजूद पानी की मात्रा का परीक्षण कर रहे हैं, जिससे यह पता लगाया जा सके कि इससे खतरा कितना बड़ा और कितना तात्कालिक है। उधर, चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि झील के निरीक्षण के लिए भारतीय भूगर्भ सर्वेंक्षण की एक आठ- सदस्यीय टीम गठित की गई है। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों का यह टीम ऋषिगंगा के ऊपरी क्षेत्र का निरीक्षण कर जिला प्रशासन को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देगी। इस बीच, ऋषिगंगा के जलस्तर में उतार चढाव को देखते हुए चमोली जिला प्रशासन ने चेतावनी जारी कर दिया है और सूर्यास्त के बाद लोगों को नदी किनारे न जाने की सलाह दी है।
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