Uttarakhand

नगर निगम की श्रेणी में जल्द ही आएंगे ऋषिकेश तथा पिथौरागढ़ !

अभी 92 नगर निकाय हैं भविष्य में यह संख्या 100 से कहीं ज्यादा होगी : मदन कौशिक 

देहरादून : बीजेपी सरकार में नए नगर निकायों की संख्या सौ के पार पहुंचना तय है। शहरी विकास विभाग ने इसके लिए तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। इस क्रम में योग नगरी ऋषिकेश और सीमांत पिथौरागढ़ शहर को नगर निगम बनाया जा सकता है।

नगर विकास मंत्री,मदन कौशिक का कहना है कि हमारी सरकार शहरीकरण पर तेजी से काम कर रही है । इसमें दो राय नहीं कि नगर निगम बनने के लिए इस वक्त सबसे ज्यादा उपयुक्त ऋषिकेश और पिथौरागढ़ हैं। इसके अलावा, अन्य स्थानों की स्थिति भी देखी जा रही है। जिस क्षेत्र की जिस लायक क्षमता होगी, हम उसको उसी अनुरूप दर्जा देंगे। अभी 92 नगर निकाय हैं, आने वाले दिनों में ये संख्या 100 से कहीं ज्यादा आगे दिखाई देगी।

वहीँ इसके अलावा, जो ग्राम पंचायतें लगातार बढ़ रही हैं, उनको नगर पंचायत का तोहफा सरकार जल्द से जल्द देने की तैयारी में है। शहरी विकास मंत्रालय की बागडोर त्रिवेंद्र सरकार में मदन कौशिक को सौंपी गई है।

कौशिक पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार में इस मंत्रालय को देख चुके हैं। नए निकायों के संबंध में सरकार की कोशिश है कि एक साल के भीतर ही धरातल पर काम दिखाई दे। ये इसलिए भी सरकार जरूरी मान रही है कि अगले साल नगर निकाय के चुनाव में जाने से पहले सरकार के खाते में ठोस काम दर्ज हों।

इसलिए कुछ नए नगर निकायों का आकार लेना तय माना जा रहा है। दून-हरिद्वार के बाद रुड़की, हल्द्वानी, काशीपुर और रुद्रपुर जैसे शहरों का नंबर नगर निगम के लिए लग चुका है। अब ऋषिकेश और पिथौरागढ़ पर सरकार की नजरें जाकर टिक गई हैं।

इसके अलावा, पहाड़ में नगर निकायों का क्षेत्र बढ़ाने या फिर नए निकायों की संभावना खोजने का काम भी तेजी से शुरू कर दिया गया है। चंबा-मसूरी के बीच तेजी से विकसित होते क्षेत्र की तरह ही पहाड़ में अन्य कई स्थानों को सरकार ने चिन्हित कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, बहुत जल्द इसके लिए काम शुरू होने जा रहा है।
इसलिए है ऋषिकेश, पिथौरागढ़ के दावे में दम

योग और आध्यात्मिक नगरी ऋषिकेश में आबादी का दबाव पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ा है। देश-दुनिया में इस शहर की पहचान पहले से स्थापित है। इसके अलावा, टिहरी और पौड़ी का काफी इलाका इससे जुड़ा हुआ है, जो कि कहीं से अलग नहीं लगता।

खास तौर पर मुनिकीरेती और स्वर्गाश्रम क्षेत्र को एक तरह से ऋषिकेश का ही हिस्सा माना जाता है, जबकि ये पौड़ी और टिहरी जिले में हैं। इस वजह से ऋषिकेश में नगर निगम बनने की पूरी क्षमता है। दूसरी तरफ, अभी तक जितने भी नगर निगम बने हैं, वे कमोबेश मैदानी क्षेत्र में ही बने हैं। सरकार पहाड़ और मैदान के बीच का अंतर इस मामले में पाटना चाहती है। संदेश ये भी देना चाहती है कि पहाड़ों के निकायों का भी दर्जा बढ़ेगा। पिथौरागढ़ के आस-पास के क्षेत्र को मिलाकर एक नगर निगम के गठन की पूरी संभावना मौजूदा है।

नगर निगम बनाने के मानक में राज्य सरकारों ने समय-समय पर ढील दी है। उत्तराखंड बनने के बाद पांच लाख की आबादी पर नगर निगम के गठन का मानक तय किया गया। मगर उत्तराखंड की विशेष स्थिति को महसूस करते हुए इसमें लगातार ढील दी गई है। पांच लाख से ये मानक घटकर दो लाख  पर आया और अब एक लाख की आबादी पर नगर निगम बनाए जा रहे हैं।

devbhoomimedia

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