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शोध में चला पता कि अधिकतर कानून के रखवाले हैं तनाव की चपेट में

IIT रुड़की के प्रबंध अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. आरएल धर और उनकी टीम इन दिनों प्रदेश के पुलिस कर्मियों पर कर रही है शोध

आशुतोष देवरानी 
देहरादून : इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के प्रोजेक्ट के तहत उत्तराखंड पुलिस के सहयोग से आइआइटी रुड़की के प्रबंध अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. आरएल धर और उनकी टीम ने कुछ समय पहले प्रदेश के पुलिस कर्मियों पर शोध में पता लगाने का प्रयास किया कि पुलिस की कार्यप्रणाली का उनके मानसिक स्वास्थ्य पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ रहा है।
पिछले एक साल के दौरान इस प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डॉ. धर और उनकी टीम ने उत्तराखंड के रुड़की, हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल, चमोली, पौड़ी, ऊधमसिंहनगर आदि शहरों में पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों का साक्षात्कार किया। अब तक करीब 150 पुलिसकर्मियों का साक्षात्कार किया जा चुका है। इनमें महिला पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। इस दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि अध्ययन में शामिल होने वाले अधिकतर कानून के रखवाले तनाव की चपेट में हैं।
डॉ. धर ने बताया कि लगभग एक से सवा घंटे तक चलने वाले इस साक्षात्कार में पुलिस कर्मियों के समक्ष आने वाली परेशानियों के बारे में पूछा जाता है। अब तक जितने भी पुलिसकर्मियों से बात हुई, उनमें से अधिकांश के तनाव और डिप्रेशन की गिरफ्त में होने की बात सामने आई। इसकी वजह पुलिसकर्मी विभाग की कार्यप्रणाली को बताते हैं। इसमें काम करने के अनिश्चित घंटे, मूलभूत सुविधाओं का अभाव, पर्याप्त हथियार उपलब्ध नहीं कराया जाना, छुट्टी को लेकर असमंजस की स्थिति, कार्यक्षेत्र से बाहर ड्यूटी लगना, कम वेतनमान, खाने का कोई समय निश्चित नहीं होना, प्रमोशन के लिए लंबा इंतजार करना आदि बिंदु शामिल हैं। इस दौरान कई पुलिसकर्मियों ने राजनीतिक हस्तक्षेप को भी एक मुख्य समस्या बताया।
डॉ. धर के अनुसार इन सभी समस्याओं के कारण पुलिस कर्मचारी तनाव और डिप्रेशन की चपेट में आ रहे हैं। वहीं, पुलिसकर्मी सिर दर्द, माइग्रेन, चिड़चिड़ापन, उत्तेजित होना, हृदय रोग, एंजाइटी, पेट संबंधी समस्याएं, मोटापा आदि बीमारियों के शिकार भी हो रहे हैं।
(श्री आशुतोष देवरानी पेशे से अधिवक्ता हैं )

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