केदारनाथ के 324 वें रावल हैं 1008 जगतगुरु भीमशंकर लिंग जी महास्वामी
धर्म और मठ की परंपरा की रक्षा के लिए वे अपने पूर्व रावलों और गुरुओं की भांति कभी भी जान की भी परवाह नही करेंगे: जगतगुरु भीमशंकर लिंग जी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : केदारनाथ के 324 वें रावल 1008 जगतगुरु भीमशंकर लिंग जी महास्वामी , भगवान केदारनाथ के गद्दीस्थल, ऊषामठ (ऊखीमठ) पहुँच गए हैं। उनके श्री केदारनाथ भगवान के शीतकालीन गद्दीस्थल पर पहुँचने पर बारहवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ धाम के कपाटोद्घाटन को लेकर चल रही चर्चाओं पर भी विराम लग गया है। उखीमठ पहुँचने पर श्री रावल जी का स्वागत किया गया। श्री श्री 1008 जगद्गुरु भीमाशंकर लिंग का कहना है कि ,” धर्म और मठ की परंपरा की रक्षा के लिए वे अपने पूर्व रावलों और गुरुओं की भांति कभी भी जान की भी परवाह नही करेंगे।”
उखीमठ से केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के विधायक मनोज रावत ने बताया कि उन्होंने श्री रावल जी के उखीमठ पहुंचने पर उनके दर्शन उनके कक्ष के बाहर से ही किये। विधायक मनोज रावत के अनुसार जगद्गुरु जीअपने आश्रम महाराष्ट्र के नांदेड़ में भी रावल जी कही दिनों से अपने सेवकों के साथ एकान्तवास ही कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि जगद्गुरु श्री श्री 1008 भीमाशंकर लिंग जी का नांदेड़ से चलने से पहले उनका स्वस्थ परीक्षण हुआ ।और उखीमठ पंहुचने के बाद भी रावल जी का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है। स्वास्थ्य परीक्षण में श्री रावल जी और उनके सेवकों का स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक पाया गया है। वे श्री केदारनाथ धाम के कपाटोद्घाटन तक ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर परिसर स्थित अपने आवास में फिलहाल एकान्तवास में ही रहेंगे।
रावल जी के हवाले से विधायक मनोज रावत ने कहा कि जगद्गुरु जी दो दिन में दो हज़ार किलोमीटर की यात्रा गाड़ी से चलकर ऊखीमठ पंहुचे हैं।