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हिमालय में गैर पारंपरिक ऊर्जा को मिले बढ़ावा : निशंक

नयी दिल्ली  : लोकसभा में सरकारी आश्वासन समिति के अध्यक्ष, हरिद्वार से सांसद  एवम् पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक ने देश में गेैर वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा दिए जाने की वकालत करते हुए सरकार से मांग कि उत्तराखण्ड सहित समूची हिमालीय बेल्ट के राज्यों में पानी बिजली समेत अन्य वैकल्पिक ऊर्जा के स़्त्रोतो पर कार्य किया जाना चाहिए।

डाॅ निशंक ने केन्द्र सरकार से पूछा कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा में सरकार द्वारा क्या लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। और इन्हें कितना पूर्ण किया गया हैं। डाॅ निशंक ने सभी ऊर्जा योजनाओं में सामदायिक भागीदारी सुनिश्चत करने की मांग करतें हुए सरकार से पूछा कि कितनी योजनाओं में सामुदायिक भागदारी को बढ़ावा देने हेतु योजना बनाई गई हैं।

डाॅ निशंक ने सौर ऊर्जा के मामले में राज्यों के विद्युत बोेर्डों द्वारा मूल्य निर्धारण में  आ रही दिक्कतो पर भी सदन का ध्यान आकर्षित किया उन्होनें यह भी पूछा कि मूल्य निर्धारण में आ रही समस्याओं के समाधान के लिए सरकार क्या कदम उठा रही हैं डाॅ निशंक को अपने जबाब में मंत्रालय ने बताया कि सरकार गैर पंरपरागत ऊर्जा स्त्रोंतो के विकास के लिए प्रतिबद्व हैं।

मंत्रालय ने डाॅ निशंक को बागे बताया के पूरे इस क्षेत्र देश में 46,327 मेगावाट ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा 4300 मेगावाट के लगभग हैं। डाॅ निशंक को यह भी बताया कि उत्तराखण्ड राज्य में 320 मेगावाट गैर परपरागत ऊर्जा का उत्पादन हो रहा हैं। जिसमें जल विद्युत का हिस्सा 209 मेगावाट हैं। प्रदेश में 41 मेगावाट की ऊर्जा सौर ऊर्जा के रूप में प्राप्त की जा रही हैं।

मंत्रालय ने बताया कि 25 मेगावाट लघु पानी बिजली संयत्र बनाए जा रहे हैं। अनुसंधान एवम् विकास के लिए अतंर राष्ट्रीय सस्थाओं से शोध में मदद ली जा रही हैं। डाॅ निशंक को बताया गया कि पवन ऊर्जा से 28000 मेगावाट जबकि बायोमास से लगभग 500 मेगावाट का उत्पादन हो रहा हैं। ज्ञातव्य है 2022 तक 1 लाख मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य हैं।

devbhoomimedia

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