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प्रीतम ने जब दिया किशोर को खरा-खरा जवाब

हरीश रावत की ‘मैंगो पार्टियों’ पर किशोर के तंज पर प्रीतम विफरे 

देहरादून : उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और हरीश रावत के बीच मतभेद खुलकर सामने आने लगा है। शुक्रवार को किशोर उपाध्याय ने हरीश रावत की तरफ से जगह-जगह दी जा रही काफल, मैंगो और चाय पार्टी पर तंज कसते हुए हरीश रावत को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने हरीश रावत के बचाव में उतरते हुए किशोर के बयान पर पलटवार किया और उन्हें ऐसा करारा जवाब दिया कि वे चारों खाने चित हो गए।

राजधानी में किशोर की पत्रकार वार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में किशोर ने कहा कि विधानसभा चुनाव में इतनी बुरी हार के बाद भी इस तरह की मैंगो पार्टियों का कोई मतलब नहीं है। धैर्य रखना चाहिए था । उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि सूबे में कांग्रेस की हार के बाद उन्होंने अपनी बेटी तक का जन्मदिन तक नहीं मनाया। इतना ही नहीं उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि जब घर में इतना बुरा हुआ हो, तो कोई भी जश्न नहीं मनाता।

इसके अलावा किशोर ने यूपी के साथ परसम्पत्ति विवाद पर भाजपा सरकार से श्वेत पत्र जारी किये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। एक ओर यूपी भाजपा के सिंचाई मंत्री कुछ बयान दे रहे हैं और दूसरी ओर राज्य के जिम्मेदार मंत्री कुछ कह रहे हैं। वहीं राज्य के सीएम कुछ और ही बयान दे रहे हैं। उन्होंने परिसंपत्तियों के मामले पर आयी इस तरह की स्थिति पर सरकार श्वेत पत्र जारी करने की मांग भी की।

वहीँ शुक्रवार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने किशोर के बयान पर जमकर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि हारने का मतलब घर बैठना नहीं होता, कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नए सिरे से जोश भरने के लिए खड़ा होना होगा। हरीश रावत की आम पार्टी से यदि कार्यकर्ताओं में जोश भरता है और राज्य के फलों और उत्पादों को प्रचार प्रसार मिलता है, तो ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए।

उन्होंने यूपी के साथ परिसम्पत्ति विवाद पर भी उन्होंने सरकार पर हमला किया। उन्होंने कहा सरकार जल्द स्थिति साफ करे। उन्होंने किशोर उपाध्याय के उस बयान को भी खारिज किया, जिसमे उन्होंने कांग्रेस की ओर से परिसम्पत्ति मसले को न उठाने की बात कही। प्रीतम ने कहा कि उन्होंने सबसे पहले इस मसले को उठाया। ऐसे में किशोर उपाध्याय को ऐसे सवाल नहीं उठाने चाहिए।

गौरतलब हो कि बीते बृहस्पतिवार को मीरा कुमार के देहरादून दौरे के दौरान किशोर उपाध्याय नाराज होकर लौट गए थे। हुआ यूं कि विपक्ष की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार से मिलने गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी मिलने पहुंचे थे। लेकिन विधायकों के साथ मीरा कुमार की मीटिंग के दौरान गेट पर तैनात लोगों ने किशोर उपाध्याय को अंदर नहीं जाने दिया। किशोर के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष होने की जानकारी जब गेट पर तैनात लोगों को दी गई तब ही उन्हें अंदर जाने दिया गया। लेकिन अंदर भी किसी ने उन्हें कुर्सी नहीं दी। इस पर किशोर मीरा कुमार को बुके लेकर लौट गए। बाद में मीरा कुमार की पत्रकार वार्ता में किशोर उपाध्याय कहीं भी नजर नहीं आए।

परिसंपत्ति बंटवारे को लेकर श्वेत पत्र जारी करे त्रिवेन्द्र सरकारः किशोर उपाध्याय

कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा है कि अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार से उत्तराखंड की परिसंपत्तियों का समाधान नहीं किया गया है बल्कि अभी तक जलाशयों पर उत्तर प्रदेश का कब्जा बरकरार है। उन्होंने कहा कि परिसंपत्तियों के बंटवारे पर प्रदेश सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए।
किशोर उपाध्याय ने रावत सरकार की घेराबंदी करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पर फिर से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उपाध्याय ने कहा कि कांग्रेस के संगठन के चुनाव पीक पर है और इसके लिए वह उत्तर प्रदेश के दौरे पर जा रहे है और उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा नहीं हो पाया है और राज्य के सरोकारों की रक्षक राज्य सरकार है तो इस मामले पर शीघ्र ही कार्यवाही की जानी चाहिए। उनका कहना है कि उत्तराखंड का पानी व जवानी पर राज्य का हक होना चाहिए और इसके लिए त्रिवेन्द्र सरकार को ठोस पहल करने की जरूरत है। पूर्व में उन्होंने इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था लेकिन उस पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। उनका कहना है कि इसके लिए वह त्रिवेन्द्र सरकार को भी पत्र लिखेंगे। हरिद्वार, चम्पावत की जमीनें यूपी को सौंप दी गई है और जलाश्यों पर भी उत्तर प्रदेश का ही कब्जा बना हुआ है और भविष्य में इसके दूरगामी परिणाम सामने आयेंगे। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सरकार का एक मंत्री का बयान आया है कि परिसंपत्तियों के बंटवारे का समाधान कर लिया गया है लेकिन ठीक उसके उल्टे प्रदेश के मुखिया कह रहे हैं कि अभी इस पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई है जिससे भ्रम की स्थिति बनी हुई है और सरकार को इसके लिए श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। उनका कहना है कि राज्य की सबसे बडी संपदा पर राज्य का ही अधिकार होना चाहिए और इस पर शीघ्र ही कार्यवाही करने की आवश्यकता है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि वह पार्टी से नाराज नहीं है और आम पार्टी में न जाने के सवाल पर कहा कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव बुरी तरह से हारी हुई है और ऐसे में इस प्रकार के उत्साव को करना गलत है। इस अवसर पर जोत सिंह बिष्ट, गरिमा दसौनी, मथुरादत्त जोशी, राजेन्द्र भंडारी, सेनि कैप्टन बलवीर सिंह रावत, डा. आनंद सुमन आदि मौजूद थे।

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