राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किये बद्रीनाथ के दर्शन
बद्रीनाथ : भू-वैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में 4.15 बजे श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। इसके साथ ही चार धाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो चुकी है। पांचवें राष्ट्रपति के रुप में प्रणब मुखर्जी ने बदरीनाथ के दर्शन किए। कपाट खुलने के बाद शनिवार सुबह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी साढ़े आठ बजे आर्मी विमान से बदरीनाथ पहुंचे। राष्ट्रपति के साथ राज्यपाल डा. के.के.पॉल और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मौजूद थे । पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने पुष्प गुच्छ भेंटकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का स्वागत किया।
राष्ट्रपति की सुरक्षा के मद्देनजर बदरीनाथ मंदिर परिसर को जीरो जोन बनाया गया है। महामहिम के बदरीनाथ दर्शन के दौरान आम लोगों को मुख्यमार्ग से लेकर मंदिर परिसर तक दूर रखा गया। इससे पहले राष्ट्रपति को पालकी से मंदिर परिसर तक पहुँचाने का जिला प्रशासन ने इंतज़ाम किया था ,लेकिन, धाम की सौंदर्यता के चलते वे स्वयं ही पैदल मंदिर परिसर तक पहुंचे।
शनिवार सुबह आठ बजकर 58 मिनट पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सिंह द्वार से बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह पहुंचे। जहां मुख्य रावल की उपस्थिति में पूजा-अर्चना हुई। करीब एक घंटे तक पूजा चली। पांचवें राष्ट्रपति के रुप में प्रणब मुखर्जी ने बदरीनाथ के दर्शन किए।
उल्लेखनीय कि बाबा बद्री के सबसे पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने दर्शन किए थे। इसके बाद प्रतिभा पाटिल भी यहां रुक चुकी हैं। इसके बाद अब प्रणब मुखर्जी ने यहां विश्राम किया।
बद्रीनाथ में कपाट खुलने के मौके पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द्र अग्रवाल, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह, बद्रीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट और केदारनाथ विधायक मनोज रावत मौजूद रहे।
इससे पहले बदरीनाथ के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, मंदिर अधिकारी भूपेंद्र मैठाणी, जिलाधिकारी चमोली विनोद कुमार सुमन, पुलिस अधीक्षक तृप्ती भट्ट के साथ ही धाम पहुंचे श्रद्धालुओं ने रावल, शंकराचार्य गद्दीस्थल और गाडू घड़ी का फूल-मालाओं और बदरी विशाल के जयकारों के साथ स्वागत किया।
ब्रह्म मुहूर्त में खुले बाबा बद्रीनाथ धाम के कपाट
बद्रीनाथ : वैदिक मंत्रोचारण व पूजा अर्चना के साथ भू-वैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट ब्रह्ममुहूर्त में 4.15 बजे श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। इसके साथ ही चार धाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो चुकी है। अब आगामी छह माह तक भगवान बदरी विशाल की पूजा यहीं होगी।
बदरीनाथ धाम में आधी रात के बाद ही मंदिर में प्रवेश करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी। कपाट खुलते ही भगवान बदरी विशाल के जयकारों से बदरीनाथ धाम गूंज उठा। इस दौरान सेना के बैंड की धुन के साथ ही श्रद्धालु भगवान के जयकारे लगाते रहे। इस मौके पर करीब दस हजार श्रद्धालुओं की भीड़ थी।
कपाट खुलने की प्रक्रिया तड़के तीन बजे से शुरू हुई। रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी अपने निवास स्थान से उद्वव जी को लेकर मंदिर के सिंहद्वार पर पहुंचे। इसी दौरान बामणी गांव के बारीदार भी कुबेर गली से भगवान कुबेर को सिंहद्वार तक लेकर आए।
मंदिर के प्रांगण में सिंहद्वार पर सुबह साढ़े तीन बजे प्रार्थना मंडप में पूजा कार्यक्रम शुरू किया गया। इसके बाद सुबह करीब सवा चार बजे मंदिर समिति के पदाधिकारियों, वेदपाठियों, हक हकूकधारियों की उपस्थिति में मंदिर के कपाट खोल दिए गए। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति, मेहता थोक, भंडारी थोक प्रार्थना कक्ष से लगे तालों को अपनी-अपनी चाबी से खोले।
कपाट खुलने के बाद मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने गर्भगृह में जाकर इस वर्ष की पूजाएं शुरू की। साथ ही उद्धवजी व कुबेरजी को भगवान बदरी विशाल के साथ स्थापित कर दिया गया।
इससे पहले गत दिवस आद्य गुरु शंकराचार्य की गद्दी और गाडू घड़ा (तेल कलश) यात्रा के साथ उद्धव जी व कुबेर जी की उत्सव डोली भी शुक्रवार को योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर से बदरीनाथ धाम पहुंची थी।
सुबह कपाट खुलने के बाद दोनों डोलियों को गर्भगृह में विराजित किया गया। आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी को परिक्रमा स्थल स्थित उनके स्थान पर रखा गया। गाड़ू घड़े को भी गर्भगृह में रखा गया। इस घड़े में मौजूद तिल के तेल से भगवान बदरी विशाल की महाभिषेक व अभिषेक पूजा के दौरान उनके शरीर पर लेपन किया जा रहा है।
शीतकाल के दौरान भगवान बदरी विशाल के साथ मौजूद रही मां लक्ष्मी को कपाट खुलने के बाद मंदिर परिक्रमा स्थल स्थित लक्ष्मी मंदिर में लाया गया। साथ ही श्रद्धालुओं को अखंड ज्योति के दर्शन कराए जाए। पहले दिन विशेष प्रसाद के रूप में शीतकाल में भगवान पर लगाए गए एकमात्र अंगवस्त्र घृत कंबल ऊन की चोली को श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में दिया गया।
बदरीनाथ यात्रा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। शनिवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त में तड़के सवा चार बजे बदरीनाथ धाम के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए ।
कपाट खुलने पर यहां छह माह से जल रही अखंड ज्योति के दर्शनों के लिए देश-विदेश के तीर्थयात्रियों का बदरीनाथ पहुंचने का सिलसिला शुक्रवार दोपहर से ही शुरू हो गया है। शाम पांच बजे तक करीब दस हजार तीर्थयात्री धाम में पहुंच चुके हैं।
पांडुकेश्वर के योग ध्यान मंदिर से बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी नंबूदरी और धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल की अगुवाई में भगवान उद्धव व कुबेर जी की डोली, आदि गुरू शंकराचार्य की गद्दी व तेल कलश यात्रा (गाडू घड़ी) शुक्रवार दोपहर बाद ही बदरीनाथ धाम पहुंच गई थी ।
बदरीनाथ के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, मंदिर अधिकारी भूपेंद्र मैठाणी, जिलाधिकारी चमोली विनोद कुमार सुमन, पुलिस अधीक्षक तृप्ती भट्ट के साथ ही धाम पहुंचे श्रद्धालुओं ने रावल, शंकराचार्य गद्दीस्थल और गाडू घड़ी का फूल-मालाओं और बदरी विशाल के जयकारों के साथ स्वागत किया।
बदरीनाथ के साथ ही धाम में स्थित प्राचीन मठ-मंदिरों को भी आर्किड और गेंदे के फूलों से सजाया गया है। धाम में अलकनंदा पर निर्मित पैदल पुल पर भी रंग-रोगन का कार्य पूर्ण हो गया है। बदरीनाथ में आर्मी हेलीपैड से मंदिर परिसर तक साफ-सफाई काम भी पूरा हो गया है।
यात्रा मार्ग और पड़ावों पर चहल-पहल शुरू हो गई है। देश के अंतिम गांव माणा में देश की अंतिम चाय की दुकान भी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए खुल गई है। माणा गांव के चौराहे पर पूर्व की भांति स्थानीय भोटिया जनजाति के ग्रामीणों की ओर से ऊनी वस्त्रों की दुकानें सजाई गई हैं।
उत्तराखंड दौरे पर आए राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी आज बदरीनाथ धाम जाएंगे। वहां वह भगवान बदरीनाथ की पूजा अर्चना करेंगे। शुक्रवार को राष्ट्रपति आइजीएनएफए के दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए देहरादून पहुंचे थे। यहां उन्होंने राजभवन में रात बिताई। आज राष्ट्रपति बदरीनाथ के लिए रवाना होंगे। बदरीनाथ में पूजा-अर्चना के बाद वह सीधे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचेंगे और वहां से दिल्ली रवाना होंगे।