Uttarakhand

उत्तर प्रदेश निर्माण निगम पर पूर्ण प्रतिबंध की योजना : पंत

निविदा प्रक्रिया नियमों को पारदर्शी बनाने पर दिया जोर 

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपोंं से घिरे उत्तर प्रदेश निर्माण निगम पर पूर्ण प्रतिबंध की योजना बना ली है। इस बारे में मंत्रिमंडल के सामने रखे जाने को प्रस्ताव तैयार है।

संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने बताया कि पिछली सरकार राज्य के अधिप्राप्ति अधिनियम के पारदर्शी नियमोंं का उल्लंघन कर बिना किसी निविदा प्रक्रिया के ही राज्य की चार निर्माण संस्थाओं के हित की कीमत पर उत्तर प्रदेश निर्माण निगम को बडे-बडे निर्माण कार्योंं की जिम्मेदारी दे रही थी। उन्होंने साफ कहा है कि इसके पीछे द्विपक्षीय भ्रष्टाचार था। इसे बंद करने का सरकार सैद्घांतिक निर्णय ले ही चुकी है और अधिकारियों को इस संबंध में विधिवत प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है ताकि उसे मंत्रीमंडल के सामने रखा जा सके।

पंत ने बताया कि वास्तव मेंं उप्र निर्माण निगम चालाकी से कम से कम दरों पर बडे निर्माण कार्य मेडिकल कालेज भवनोंं, विश्वविद्यालय भवनोंं ,स्पोर्टस कालेजोंं, स्टेडियम आदि अपने नाम करा लेता था जिससे उत्तराखंड की निर्माण संस्थायें उत्तराखंड डवलपमेंट कारपोरेशन, जल निगम, लोक निर्माण विभाग तथा ग्रामीण अभियंत्रण सेवायेंं प्रतिस्पर्धा में टिक ही नही पाती थी। बाद मेंं अनगिनत बार रिवाईज स्अीमेट के माध्यम से काम को अपनी मनमर्जी दरों पर ले आता था। इसके बाद भी उसके अनेक निर्माण कार्य अधूरे हैंं। क्षोभकारी स्थिति यह है कि कार्य मेंं विलंब की जिम्मेदारी निर्धारित किये बिना ही उसे आगे काम दिये जाते रहे। इस सबसे प्रदेश की निर्माण एजेंसियोंं के सामने वेतन देने तक की समस्या खडी हो गई क्योकि इनका तो वेतन ही कामों के सेंटेज से निकलता था जिस पर उत्तर प्रदेश निर्माण निगम कब्जाये बैठा था।

पंत  ने बताया कि यह स्थिति जब पिछली भारतीय जनता पार्टी सरकार के सामने आई तो उसने 2010 मेंं उप्र निर्माण निगम को अपने हाथ के निर्माण कार्य 31 मार्च 2011 तक पूरे करने को कहा था । कुछ व्यवहारिक कठिनाईयोंं के कारण इसे बढाकर 31 मार्च 2012 कर दिया गया था लेकिन इस बीच आई कांग्रेस सरकार ने अपनी पूर्व सरकार के निर्णय के ठीक विपरीत उप्र निर्माण निगम को उल्टे सारे बडे निर्माण कार्य सौंप दिये थे।

devbhoomimedia

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