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पाकिस्तान मसूद अजहर-हाफिज सईद जैसे आतंकियों पर ऐक्शन को मिली आखिरी मोहलत

Financial Action Task Force (FATF) ने पाकिस्तान पर कसा फंदा

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
नई दिल्ली : पाकिस्तान के गले में फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) का फंदा और कस गया है। इमरान खान की सरकार यदि मुल्क को ग्रे लिस्ट से बाहर करना चाहती है तो उसे आतंकवाद की राह छोड़ते हुए भारत के सबसे बड़े दुश्मनों सहित सभी दहशतगर्दों पर कार्रवाई करनी होगी और एफएटीएफ की ओर से दिए गए ऐक्शन प्लान को पूरी तरह लागू करना होगा। एफएटीएफ ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को फरवरी 2021 तक बचे हुए छह पॉइंट पर काम करके दिखाना होगा। 
पाकिस्तान ने जिन छह कार्यों को पूरा नहीं किया है उनमें जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर और लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल होना भी शामिल है। पिछले तीन दिनों में एफएटीएफ का डिजिटल पूर्ण सत्र आयोजित हुआ जिसमें फैसला लिया गया कि पाकिस्तान उसकी ग्रे लिस्ट में बना रहेगा।
मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी फंडिंग के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक प्रतिबद्धताओं और मापदंडों को पूरा करने में पाकिस्तान के प्रदर्शन की व्यापक समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया। एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लीयर ने पेरिस से एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”पाकिस्तान निगरानी सूची या ग्रे सूची में बना रहेगा।”
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए कुल 27 कार्ययोजनाओं में से छह को पूरा करने में अब तक विफल रहा है और इसके परिणामस्वरूप यह देश एफएटीएफ की ग्रे सूची में बना रहेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को आतंक के वित्तपोषण में शामिल लोगों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए और मुकदमा चलाना चाहिए।
एफएटीएफ के प्रमुख ने कहा, ”पाकिस्तान को आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है।” सू्त्रों ने बताया कि पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद के सरगना अजहर, लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद और संगठन के ऑपरेशनल कमांडर जाकिउर रहमान लखवी जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है।
सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा एफएटीएफ ने इस बात को भी ध्यान में रखा कि आतंकवाद विरोधी अधिनियम की अनुसूची चार के तहत उसकी आधिकारिक सूची से अचानक से 4,000 से अधिक आतंकवादियों के नाम गायब हो गए। अब अगले साल फरवरी में होने वाली एफएटीएफ की अगली बैठक में पाकिस्तान की स्थिति की समीक्षा की जाएगी।
एफएटीएफ के इस कदम से यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान आंख में धूल झोंककर अपने दामन से आतंकवाद का दाग नहीं छुड़ा सकता है, उसे आतंकवाद के खिलाफ सच में कार्रवाई करनी होगी। एफएटीएफ ने कहा है कि पाकिस्तान को दिखाना होगा कि आतंकवादी संगठनों की आर्थिक गतिविधियों की व्यापक पहचान करके रोक लगाई गई है। पाकिस्तान को यह भी दिखाना होगा कि आतंक के वित्तपोषण से जुड़े मुकदमों में प्रभावी परिणाम निकले और कड़े प्रतिबंध लगाए जाएं। 
एफएटीएफ ने कहा है कि पाकिस्तान को 1267 और 1373 के तहत नामित आतंकवादियों और इनके लिए काम करने वालों पर प्रभावी वित्तीय प्रतिबंध लगाए जाएं, ये किसी तरह धन एकत्रित ना कर सकें। इनकी संपत्तियों की पहचान करके उन्हें जब्त किया जाए। 
हालांकि, पाकिस्तान मामलों के जानकारों का कहना है कि पड़ोसी मुल्क के लिए इन छह उपायों पर काम करना काफी मुश्किल है। पाकिस्तान के पास दो ही रास्ते हैं या तो वह आतंकवाद की राह छोड़े या फिर एफएटीएफ की ओर से काली सूची में डाले जाने को तैयार रहे। उसके लिए ये दोनों ही विकल्प बेहद मुश्किल हैं। आतंकवाद पाकिस्तान की स्टेट पॉलिसी है और वर्षों से उसने इसका हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है, ऐसे में वह दहशतगर्दी से पूरी तरह से नाता तोड़ ले यह काफी कठिन है और यदि उसने ऐसा नहीं किया तो काली सूची में डाल दिया जाएगा, जिससे पहले से ही आर्थिक रूप से बदहाल पाकिस्तान एक-एक पैसे को मोहताज हो जाएगा।

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