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निर्णय सहायक प्रणाली व भू-सूचना विज्ञान’ पर परामर्शी कार्यशाला आयोजित 

  • वन अनुसंधान संस्थान में दो दिवसीय कार्यशाला 
DEHRADUN। वन अनुसंधान संस्थान विश्व बैंक से सहायता प्राप्त नीरांचल राष्ट्रीय जल विभाजन प्रबंधन परियोजना के अंतर्गत क्षमता निर्माण सहायक एजेंसी के रूप में भूसंसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार की परियोजना का कार्य कर रहा है। इस परियोजना हेतु आरंभिक बैठक मार्च, 2018 में आयोजित की गई थी। इस परियोजना के अंतर्गत ’जल विभाजन प्रबंधन के योजना, माॅनीटरिंग तथा मूल्यांकन हेतु ’निर्णय सहायक प्रणाली तथा भू -सूचना विज्ञान’ पर एक परामर्शी कार्यशाला सह बैठक का आयोजन 30-31 जुलाई को वन अनुसंधान संस्थान में किया जा रहा है।
 
कार्यशाला का उद्देश्य जल विभाजन विकास सहायता हेतु दूर संवेदी, जी.आई.एस., जल विज्ञान जैसे विविध टैक्नों साइंटिफिक इनपुट पर विचार विमर्श करना है तथा राज्य एवं जिला स्तर पर ऐसी इच्छित सुविधाओं का विकास एवं अनुरक्षण करना तथा सकारात्मक परिणाम प्राप्त करना है। इस कार्यशाला में आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ, गुजरात, झारखंड, मघ्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिसा, राजस्थान एवं तेलंगाना एस.एल.एन.ए., जी.आई.एस. के विशेषज्ञ, वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक सहित लगभग 40 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। वन अनुसंधान संस्थान की निदेशिका डा. सविता ने समस्त प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि एन.एन.डब्लू.एम.पी. के अंतर्गत वन अनुसंधान संस्थान को क्रमबद्व एवं विशिष्ठ क्षमता निर्माण से संबंधित चुनौतियों के समग्र आकलन के उत्तरदायित्व निभाने का कार्य सौंपा गया है।
इससे पूर्व परियोजना समन्वयक डा. एस. के. शर्मा  ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। डा. पी.के. माथुर, क्षमता निर्माण विशेषज्ञ ने नीरांचल परियोजना की पृष्ठभूमि पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होने कहा कि जल विभाजन विकास कार्यकलापों में प्रौद्योगिकीय मध्यस्थता से सं संरक्षणीय परिणामों में बढोतरी होगी तथा चयनित स्थानों में समुदायों हेतु कृषि पैदावार भी बढेगा। कार्यशाला का उद्देश्य अद्यतन भूजलीय विज्ञान से परिचर करना तथा एन.आई.एच., रूडकी द्वारा डीएएएस-एच पर अद्यतन जानकारी देना है।
इस कार्यशाला का उद्देश्य राजस्थान में जल विभाजन प्रबधन में जी.आई.एस. तथा आर.एस.सी.वी.एस.ए.- एफ.आर.आई. सहित एस.एल.ए.एन.एस. के बारे में जी.आइ.एस. सैल प्रमुख श्रीमति सुशीला यादव जी ने भी इस परियोजना से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की। डा. मनीषा थपलियाल परियोजना समन्वयक ने कार्यशाला में प्रतिभागियों के भाग लेने पर उन्हें धन्यवाद दिया।

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