मोदी ने कोर्ट के फैसले पर कहा : मुस्लिम महिलाएं सशक्त बनेंगी और उन्हें समानता मिलेगी
तीन तलाक पर कोर्ट के फैसले को मोदी ने एतिहासिक करार दिया
नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक पर आए फैसले पर अब राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। इस फैसले को जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एतिहासिक करार दिया है तो कांग्रेस ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक साथ लगातार तीन बार तलाक बोलने की प्रथा पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से महिलाओं की दशा सुधरेगी। पीएम मोदी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुस्लिम महिलाओं को समानता मिलेगी और साथ ही फैसला उन्हें सशक्त बनाएगा। वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिम महिलाओं के लिए स्वाभिमान पूर्ण एवं समानता के एक नए युग की शुरुआत है और भाजपा मुस्लिम महिलाओं को मिले उनके अधिकारों और सम्मान को संकल्पवान ‘न्यू इंडिया” की ओर बढ़ते कदम के रूप में देखती है।
महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक अच्छा फैसला है और लैंगिक समानता और न्याय की ओर एक कदम है। वहीं सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि फैसला हमारे पक्ष में है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। सीएम योगी ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर हमेशा अपना रुख अदालत में साफ किया है।
चीफ जस्टिस भी लगभग सहमत हैं। कांग्रेस के नेता सलमान खुर्शीद का कहना था कि जो होने की हमने उम्मीद की थी वह हो गया है, यह एक अच्छा फैसला है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि जल्द ही इस पर कानून लेकर आए।
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक साथ लगातार तीन बार तलाब बोलने की प्रथा को असंवैधानिक करार देने वाले उच्चतम न्यायालय के आज के निर्णय का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक करार दिया है। राज्य सरकार के प्रवक्ता एवं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय का आदेश ऐतिहासिक है। अब न्यायालय ने भी तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है।’
उन्होंने कहा, ‘भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पहले से ही मत है कि लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिये। इस निर्णय से हमारे देश की धर्मनिरपेक्ष बुनियाद और मजबूत होगी।’ प्रदेश की बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ने भी उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए ‘अपने अधिकार के लिये लड़ रही मुस्लिम महिलाओं’ के साथ खड़े होने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया।
संसद के नया कानून बनाने तक ‘तीन तलाक’ पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
देश की आधी’ मुस्लिम महिला आबादी को सुप्रीम कोर्ट ने दिया ‘पूरा’ हक
उत्तराखंड की शायरा बानो ने तीन तलाक के खिलाफ कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी। इस पर शायरा का तर्क था कि तीन तलाक न तो इस्लाम का हिस्सा है और न ही धार्मिक आस्था का ही। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि मुस्लिमों में एक बार में तीन बार तलाक बोलकर दिए जाने वाले तलाक की प्रथा ‘अमान्य’, ‘अवैध’ और ‘असंवैधानिक’ है। शीर्ष अदालत ने 3:2 के मत से सुनाए गए फैसले में इस तीन तलाक को कुरान के मूल तत्व के खिलाफ बताया। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अपने 395 पन्नों के आदेश में कहा, ‘3:2 के बहुमत के जरिए दर्ज किए गए विभिन्न मतों को देखते हुए ‘तलाक-ए- बिद्दत’ तीन तलाक को दरकिनार किया जाता है।’ सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पूरे देश के लोग खुशी मना रहें है
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक बार में तीन तलाक पर रोक लगा दी है। संसद जब तक कानून नहीं लाती तब तक ट्रिपल तलाक पर रोक रहेगी। इससे पूर्व 11 से 18 मई तक रोजाना सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए आज का दिन मुकर्रर किया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय में शादी तोड़ने के लिए यह सबसे खराब तरीका है। ये गैर-ज़रूरी है। कोर्ट ने सवाल किया कि क्या जो धर्म के मुताबिक ही घिनौना है वह कानून के तहत वैध ठहराया जा सकता है? सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि कैसे कोई पापी प्रथा आस्था का विषय हो सकती है।
गौरतलब हो कि शायरा बानो ने तीन तलाक के खिलाफ कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी। इस पर शायरा का तर्क था कि तीन तलाक न तो इस्लाम का हिस्सा है और न ही आस्था। उन्होंने कहा कि उनकी आस्था ये है कि तीन तलाक मेरे और ईश्वर के बीच में पाप है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी कहता है कि ये बुरा है, पाप है और अवांछनीय है। बता दें कि चीफ जस्टिस जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच की संविधान पीठ ने गर्मियों की छुटिटयों के दौरान छह दिन सुनवाई के बाद 18 मई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
उतराखंड की शायरा बानो नामक महिला ने मार्च, 2016 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तीन तलाक, हलाला निकाह और बहु-विवाह की व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की थी। बानो ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन कानून 1937 की धारा 2 की संवैधानिकता को चुनौती दी है। कोर्ट में दाखिल याचिका में शायरा ने कहा है कि मुस्लिम महिलाओं के हाथ बंधे होते हैं और उन पर तलाक की तलवार लटकती रहती है। वहीं पति के पास निर्विवाद रूप से अधिकार होते हैं। यह भेदभाव और असमानता एकतरफा तीन बार तलाक के तौर पर सामने आती है।
इस खंड पीठ में सभी धर्मों के जस्टिस शामिल हैं जिनमें चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख), जस्टिस कुरियन जोसफ (क्रिश्चिएन), जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन (पारसी), जस्टिस यूयू ललित (हिंदू) और जस्टिस अब्दुल नजीर (मुस्लिम) शामिल हैं।
याचिकाकर्ताओं की दलील
1. तीन तलाक महिलाओं के साथ भेदभाव है।
2. महिलाओं को तलाक लेने के लिए कोर्ट जाना पड़ता है, जबकि पुरुषों को मनमाना हक है।
3. कुरान में तीन तलाक का जिक्र नहीं है।
4. ये गैर कानूनी और असंवैधानिक है।
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और जमीयत की दलील
1. ये अवांछित है, लेकिन वैध
2. ये पर्सनल ला का हिस्सा है कोर्ट दखल नहीं दे सकता
3. 1400 साल से चल रही प्रथा है ये आस्था का विषय है, संवैधानिक नैतिकता और बराबरी का सिद्धांत इस पर लागू नहीं होगा
4. पर्सनल ला को मौलिक अधिकारों की कसौटी पर नहीं परखा जा सकता
सरकार की दलील
1. ये महिलाओं को संविधान मे मिले बराबरी और गरिमा से जीवनजीने के हक का हनन है
2. ये धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं है इसलिए इसे धार्मिक आजादी के तहत संरक्षण नहीं मिल सकता।
3. पाकिस्तान सहित 22 मुस्लिम देश इसे खत्म कर चुके हैं
4. धार्मिक आजादी का अधिकार बराबरी और सम्मान से जीवन जीने के अधिकार के आधीन है
5. अगर कोर्ट ने हर तरह का तलाक खत्म कर दिया तो सरकार नया कानून लाएगी।