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आदिकवि महर्षि वाल्मीकि जयंती पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को किया गया स्मरण

भक्तों ने आदिकवि वाल्मीकि को भारतीय संस्कृति के महान कवि और रामायण के रचयिता के रूप में नमन किया। वक्ताओं ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने अपने लेखन के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों — सत्य, धर्म, करुणा और त्याग — को समाज के सामने प्रस्तुत किया। उनके उपदेश आज भी मानवता के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

आज देशभर में आदिकवि महर्षि वाल्मीकि जयंती श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जा रही है। महर्षि वाल्मीकि ने अपने अमर ग्रंथ ‘रामायण’ के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के पावन जीवन चरित्र और आदर्शों को सम्पूर्ण संसार तक पहुँचाया।

इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थानों द्वारा विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। रामायण पाठ, भजन संध्या, शोभायात्रा और संगोष्ठियों के माध्यम से महर्षि वाल्मीकि के जीवन दर्शन और शिक्षाओं का प्रचार किया गया।

प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित अनेक जनप्रतिनिधियों ने सोशल मीडिया पर संदेश साझा करते हुए महर्षि वाल्मीकि को कोटि-कोटि नमन किया और कहा कि – “वाल्मीकि जी की शिक्षाएँ समाज में समानता, न्याय और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।”

महर्षि वाल्मीकि को भारतीय संस्कृति का प्रथम कवि और संस्कृत के आदिकवि के रूप में जाना जाता है। उनका लिखा ‘रामायण’ केवल धार्मिक ग्रंथ ही नहीं, बल्कि एक अमर काव्य है जो जीवन के आदर्शों का मार्गदर्शन करता है।

इस पावन अवसर पर श्रद्धालुओं ने संकल्प लिया कि वे श्रीराम के आदर्शों और वाल्मीकि जी की शिक्षाओं को जीवन में अपनाकर समाज में सद्भाव, मर्यादा और सत्य का प्रसार करेंगे।

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