CHAMOLI
विद्यालयों में नहीं शिक्षक,तो बेहतर भविष्य के लिए छात्र पलायन को कैसे न हों मजबूर !

चमोली जिले के घाट विकास खंड के वैरासकुण्ड इंटर कॉलेज का मामला
वर्षों से रिक्त हैं गणित , हिन्दी ,संस्कृत, अर्थशास्त्र, भूगोल, तथा रसायन विज्ञान विषयों के प्रवक्ताओं के पद
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
तो क्या इस बार पूरा बैरासकुण्ड क्षेत्र करेगा पंचायत चुनाव का बहिष्कार !
बैरासकुण्ड क्षेत्र की जनता ने अपील की है कि उनके एक मात्र राजकीय इंटर कालेज में गणित विषय के पद सृजन के लिए पिछले काफी सालों से संघर्ष चल रहा है। विगत वर्षों में कई आंदोलन भी किये गए। जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्रियों से लेकर शिक्षामंत्री तक वार्तालाप भी की गई लेकिन मिला तो सिर्फ और सिर्फ कोरा आश्वासन। अब वक्त आ गया है आर-पार की लड़ाई का । पिछले महीने हाईस्कूल के रिजल्ट के बाद व्यक्तिगत तौर पर कई छात्रों द्वारा जो इंटर में गणित विषय रखना चाहते हैं उन्होंने जब पूछा कि क्या गणित ले सकता हूँ तो कुछ शर्मिंदगी भी महसूस हुई साथ ही कई होनहार छात्र मजबूरी में गणित विषय के स्थान पर अन्य विषय पढ़ने को मजबूर हैं या यूं कहें पूरा करियर ही मजबूरी की भेंट चढ़ा रहे हैं। क्योंकि पिछले काफी समय से सभी लोग प्रयासरत हैं लेकिन कार्यवाही सिर्फ फाइलों का इधर से उधर तक सरकना ही रही। अब समय आ गया है कि इन चार-पाँच सालो की लड़ाई को अंतिम रूप देने की । जल्द ही क्षेत्रवासियो के साथ इस मुद्दे पर बैठक की जाएगी। सभी क्षेत्रवासियों से आग्रह है कि इस लड़ाई को सफल बनाने के लिए सभी अपने सकारात्मक विचार साझा करें।
यहाँ उदाहरण के लिए चमोली जिले के घाट विकासखंड के राजकीय इन्टर मीडिएट कालेज बैरासकुंड की बात करते हैं इस विद्यालय का वर्तमान शैक्षणिक सत्र में जहाँ हाई स्कूल का परीक्षाफल 2019 -85% रहा है तो वहीं इन्टर मीडिएट का परीक्षा परिणाम 2019-95%रहा है। वह भी ऐसे में जब विद्यालय में लम्बे समय से गणित , हिन्दी ,संस्कृत, अर्थशास्त्र, भूगोल, तथा रसायन विज्ञान विषयों के प्रवक्ताओं के पद रिक्त चल रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार तमाम मंचों से उनके द्वारा शिक्षा विभाग के उच्च स्तरीय अधिकारियों सहित शासन और प्रशासन को कई बार अवगत कराया जा चुका है कि प्रवक्ता न होने से यहां अध्यययनरत छात्रों की पढ़ाई मे व्यवधान आ रहा है और विषयों के प्रवक्ताओं के न होने से छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित है और वे पलायन करने को मजबूर हैं।


