एनआईवीएच के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल को भारी विवाद के बाद पद से हटाया

- देशभर में धरना प्रदर्शन करेंगे सभी दृष्टिबाधितार्थ संस्थान
DEHRADUN : एनआईवीएच प्रकरण में शुक्रवार को संस्थान के प्रिंसिपल कमलवीर सिंह जग्गी और वाइस प्रिंसिपल अनुसुया शर्मा को पद से हटा दिया गया है। प्रिंसिपल के पद पर डा. गितिका माथुर को नियुक्त किया गया है। वाइस प्रिंसिपल के पद पर अमित शर्मा होंगे। वहीं संस्थान के नये निदेशक केवीएस राव ने बच्चों को मनाने का प्रयास किया, लेकिन बच्चों का दो टूक कहना है कि पद से हटाई गई निदेशक अनुराधा डालमिया को जब तक निलंबित नहीं किया जाता, वो अपना धरना जारी रखेंगे।
एनआईवीएच प्रकरण में गुरुवार को संस्थान की पूर्व निदेशक अनुराधा डालमिया को पद से हटाकर सिकंदराबाद भेजा गया है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के इस फैसले से प्रदर्शन कर रहे छात्र खासे नाराज है। उनका कहना है कि जांच पूरी होने तक निदेशक को निलंबित किया जाना चाहिए था, लेकिन उनका ट्रांसफर कर दिया गया। पद पर रहते हुये वो जांच को प्रभावित कर सकती हैं। इस संबंध में नये निदेशक केबीएस राव के साथ बच्चों की शुक्रवार को बैठक भी हुई।
निदेशक केबीएस राव ने बच्चों को मनाने का प्रयास किया, लेकिन बच्चे अपनी मांगों पर अड़े रहे। उधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के आदेश पर नये निदेशक रावत ने प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल दोनों को पद से हटा दिया। निदेशक केवीएस राव ने बताया कि बच्चों की हर मांग को पूरा करने का प्रयासा किया जा रहा है। इसी के तहत कई अधिकारियों को पद से हटा दिया गया है।
वहीँ देहरादून के एनआईवीएच संस्थान के छात्रों का साथ देने के लिए नेशनल प्लेटफार्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसेब्लड (एनपीआरडी) ने आह्वान किया है। एनपीआरडी ने देश के सभी दृष्टिबाधितार्थ व दिव्यांग संस्थानों से अपील की है कि वो शनिवार से एनआईवीएच के छात्रों की मांगों के समर्थन में अपने संस्थान में धरना प्रदर्शन करें। खुद एनपीआरडी दिल्ली में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के बाहर धरना प्रदर्शन करेगी।
एनपीआरडी के महासचिव मुरलीधरन ने बताया कि 23 अगस्त को एनपीआरडी की टीम ने दून स्थित एनआईवीएच संस्थान का दौरा किया था। इस दौरान टीम ने बच्चों से बात की तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आई। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि एक टीचर के खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज होता है। उसको शह देने वाली निदेशक को निलंबित करने के बजाय केवल ट्रांसफर कर दिया जाता है। जबकि पोक्सो एक्ट के सेक्शन 19, 20 और 21 में साफ लिखा है कि आरोपी को बचाने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।



