एनएच 74 मुआवज़ा घोटाला : जाल से बाहर मगरमच्छ

- आर्बीट्रेटर की भूमिका को जांच के दायरे में न लेने से एसआईटी पर उठे सवालात
- छोटी मछलियों का शिकार करके पीठ थपथपा रही सरकार
- मलाईदार कुर्सियों की अभी भी शोभा बढ़ा रहे हैं मगरमच्छ
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। ऊधमसिंह नगर में नेशनल हाई-वे संख्या 74 के लिए जमीन अधिगृहण में हुई अरबों की हेराफेरी के मामले में जांच कर रही एसआईटी मगरमच्छों पर शिकंजा कसने से बच रही है। बताया जा रहा है कि मामले में आर्बीट्रेटर रहे आला अफसरों को बचाने की कवायद चल रही है। अहम बात यह भी है कि घोटाला अवधि के दौरान आर्बीट्रेटर रहे अफसर इस वक्त शासन में मलाईदार पदों पर मौज कर रहे हैं।
कुमाऊं के तत्कालीन कमिश्नर रहे आईएएस अफसर डी.सैंथिल पांडियन ने अपनी जांच में इस हेराफेरी का खुलासा किया था। इसी दौरान भाजपा की नई सरकार सत्तानशीन हो गई। नई सरकार ने एक तरफ तो मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की तो दूसरी तरफ पांडियन के कमिश्नर के पद से हटा दिया। सीबीआई जांच से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किनारा किया तो सरकार ने जांच ऊधमसिंह नगर जिले में एसआईटी को सौंप दी।
एसआईटी ने आधा दर्जन पीसीएस अफसरों के साथ ही पेशकार और खेल में शामिल कुछ बाहरी ताकतों को सलाखों के पीछे भले ही भेज दिया है। लेकिन भ्रष्टाचार के इस तालाब में पले मगरमच्छों पर एसआईटी अभी तक हाथ नहीं डाल पाई है। सूत्रों ने दावा किया कि एसआईटी को जमीन मुआवजे के खेल में आर्बीट्रेटर के तौर पर मनमाने फैसले करने अफसरों के खिलाफ भी कुछ पुख्ता सबूत भी मिले हैं। लेकिन इनसे अब तक न तो किसी तरह की कोई पूछताछ की गई है और न ही इन्हें जांच के दायरे में लिया गया है। बताया जा रहा है कि ये आला अफसर इस समय शासन में मलाईदार पदों पर काबिज हैं।
सवाल यह उठ रहा है कि भ्रष्टाचार के मामलों पर जीरो टालरेंस का दावा करने वाली सरकार इन मगरमच्छों को आखिर क्यों संरक्षण दे रही है या सरकार को कहीं कोई ख़तरा सता रहा है कि कहीं यदि इनपर हाथ डाल दिया तो वह खुद भी कहीं मुश्किल में न आ आये , क्योंकि विपक्ष लगातार इस मामले पर सरकार पर हमलावर रहा है कि वह एसआईटी जांच में सामने आये नेताओं और अधिकारियों के नामों को भी उजागर करने से आखिर क्यों बच रही है।