Uttarakhand

हाईफीड बढ़ाएगा ग्रामीण पर्यटन और ग्रामीणों की आजिविका

  • पर्यटक को देंगे बेहतर सुविधा व बढ़ायेंगे ग्रामीणों की आय
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून। हिमालयन इंस्टीट्यूट फॉर इन्वायरन्मेंट, इकोलॉजी एंड डेवलपमेंट (हाईफीड) के अधिशासी निदेशक डा. कमल बहुगुणा ने कहा है कि गांव में ही रहकर ग्रामीणों की आय बढ़ाने के लिए हाईफीड और फाउंडेशन फॉर आर्गेनिक एंड रुरल डेवलपमेंट ने साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट तैयार किया है। प्रोजेक्ट के तहत बाहर से आने वाले पर्यटक की ठहरने, खाने पीने से लेकर हर बेसिक जरूरत को गांव में आसानी से पूरा किया जा सकेगा। इसके जरिए जहां ग्रामीण पर्यटन को बढ़ा मिलेगा तो वहीं ग्रामीणों की आजिविका भी दोगुनी होगी। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत टिहरी जिले के फल पटटी के अंतर्गत आने वाले पांच गांव चोपडियाल गांव, सौड़, जड़ीपानी, काणाताल और ज्वारना में की जा रही है।
यहां एस्ले हॉल स्थित एक रेस्टारेंट में पत्रकारों से बातचीत करते हुए हिमालयन इंस्टीट्यूट फॉर इन्वायरन्मेंट, इकोलॉजी एंड डेवलपमेंट (हाईफीड) के अधिशासी निदेशक डा. कमल बहुगुणा ने बताया कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज के सहयोग उत्तराखंड के ग्रामीणों की आय बढ़ाने के लिए एक पायलेट प्राजेक्ट तैयार किया गया है। जिसमें गांव में ही रहकर लोगों को उनकी आजीविका बढ़ाने के तरीके बताए जाएंगे। उनका कहना है कि इसके लिए उन्हें जरूरी उपकरण, प्रशिक्षण आदि दिए जाएंगे, जिससे  उनकी आजीविका भी बढ़े और आय में व्यापक स्तर पर बढोत्तरी हो सकेगी। इस अवसर पर परियोजना निदेशक डा. आर के पंत ने कहा कि पहाड़ोें में आजीविका का मुख्य साधन कृषि, औद्यानिकी और पशुपालन है लेकिन इनमें उत्पादन बहुत कम होने के कारण लोग आज पहाड़ों से पलायन कर रहे हैं। ऐसे में हम इनके उत्पाद को बढ़ाने के लिए यह प्रयास कर रहे हैं।
उनका कहना है कि इसके लिए ग्रामीणों के साथ बैठकर उनकी राय भी ली जाएगी। उनका कहना है कि किसी को पशुपालन में रूचि होगी तो उन्हें उन्नत किस्म के पशु और चारा उपलब्ध कराया जाएगा। उनका कहना है कि जिन्हें फल सब्जी उगाने में रूचि होगी तो उन्हें हाईब्रिड बीच आदि उपलब्ध कराया जाएगा। बताया गांव को पर्यटन से जोड़ने की भी योजना है। इसके लिए गांव को होम स्टे के लिए भी तैयार किया जाएगा। बाहर से आने वाले पर्यटक को गांव में न केवल रहने के लिए आवास मिलेगा बल्कि खाने के लिए साग, सब्जी, फल, दूध, अचार, जैम आदि उपलब्ध हो सकेगा।
उन्होंने बताया कि इसमें गुजरात की ब्लेजा कंपनी का भी सहयोग लिया जा रहा है जो साल भर उन्हें पर्यटक उपलब्ध कराएगी। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत टिहरी जिले की चंबा-धनौल्टी फल पट्टी के पांच गांव में किया जा रहा है। उनका कहना है कि बाद में इसी प्रकार से राज्य के अन्य जिलों में भी इस परियोजना को चलाया जायेगा और वहां के लोगों को भी इस परियोजना से जोड़ने का काम किया जायेगा। इस अवसर पर पत्रकार वार्ता में ब्लेजा कंपनी के प्रबंध निदेशक अमित नेगी, गौरव जुयाल, चेतन कन्नौजिया, संदीप वर्मा, उदित घिल्ड़ियाल आदि उपस्थित थे।

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