पर्यावरण की समस्याओं से निपटने के लिए समग्र समाधान की जरूरत
देहरादून : दून विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के पहले दिन वैज्ञानिकों ने पर्यावरण में बदलावों से उपजी समस्याओं से निपटने के लिए समग्र उपायों को लागू करने की वकालत की। इस तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन ताराब लिंग इंस्टिट्यूट, देहरादून एवं दून लाइब्रेरी एवं रिसर्च सेंटर के सहयोग से किया जा रहा है।
कार्यक्रम में शुरूआती व्याख्यान देते हुए दून विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर वी.के. जैन ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण और पर्यावरण में बदलाव बहुत तेजी से हो रहे है। उन्होंने सरकार की कई योजनाओं को रेंखांकित किया। साथ ही कहा कि पश्चिमी देशों की तर्ज पर तीसरी दुनिया के देशों में भी ऊर्जा की बड़े पैमाने पर खपत की वजह से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है।
प्रोफेसर लिन हैंडलबर्ग, ताराब लिंग इंस्टिट्यूट, देहरादून ने कहा कि पर्यावरण के प्रति किसी समाज का रूख कैसा होगा, ये उस देश के सांस्कृतिक मूल्यों पर निर्भर करता है। प्राकृतिक संपदाओं के दोहन की भौतिकवादी प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के प्रति समाज की जागरूकता पर बहुत कुछ निर्भर है।
हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर एस. पी. सिंह ने कहा कि पर्यावरण को होने वाले नुकसान का सही आंकलन करने के लिए आंकड़े मौजूद नहीं है। हिमालय में हो रहे बदलावों को जांचने के लिए सघन प्रयास किए जाने की जरूरत है।
बी.के. जोशी, डायरेक्टर, दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर, ने कहा कि विकास के वैकल्पिक मॉडल को अपनाकर पर्यावरण संकट से निपटा जा सकता है। उन्होंने प्रगति के लिए विकास की जरूरत और पर्यावरण संरक्षण की जरूरत के बीच तालमेल बनाने पर बल दिया।
वहीं फ्रांस से आये पर्यावरण विज्ञानी प्रोफेसर तारिक चेकचाक ने कहा कि इंसानों की बढ़ती आबादी और जरूरतों की वजह से कई अन्य जीव धरती से विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं। इससे पर्यावरण को भी बहुत नुकसान पहुंचा है। उन्होंने स्थाई विकास पर संयुक्त राष्ट्र संघ की परिभाषा का जिक्र करते हुआ कि विकास इस तरह होना चाहिए ताकि आने वाले पीढ़ियां भी प्राकृतिक संसाधनों के जरिए अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें।
प्रोफेसर हर्ष डोभाल ने बड़े बांधों की वजह से होने वाले पलायन के प्रभावों पर चर्चा की। सेमिनार में कई अन्य वैज्ञानिकों ने रिसर्च पेपर रखे। स्कूल ऑफ इनवायरमेंट एंड नेचुरल रिसोर्सेज़ के सभी छात्र और शिक्षक सेमिनार में मौजूद रहे।