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पर्यावरण बचाने के लिए नैनीताल हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति ने दिए अभूतपूर्व निर्देश

हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की पर्यावरण बचाने की अनूठी पहल  

हाईकोर्ट ने कहा अधिवक्ता याचिका के साथ गजट नोटिफकेशन, कोर्ट के आदेशों की प्रति न लगाएं 

न्यायमूर्ति ने रिट याचिका A-4 साइज कागज में और दोनों ओर प्रिंट कर दायर करने के दिए निर्देश

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

जब न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह ने व्यक्त की नाराजगी
उन्होंने कहा याचिका में गजट, जीओ, रेगुलेशन, सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट आदि के पूर्व आदेशों को याचिका में संलग्न करने की जरूरत नहीं थी। उन्होंने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा संविधान के अनुच्छेद 48-A में जल, जंगल, जमीन व वन्य जीव संरक्षण को सरकार की जिम्मेदारी बताया गया है, साथ  ही न्यायमूर्ति ने कहा कि अनुच्छेद 51 ए (जी) के तहत पर्यावरण संरक्षण नागरिकों का कर्तव्य है। लिहाज़ा किसी भी रूप में पर्यावरण का संरक्षण किया जाना चाहिए।

नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए पर्यावरण को बचाने की अनोखी पहल की है। इससे जहां वादकारियों आर्थिक हानि होने से बचेगी वहीं पर्यावरण की रक्षा भी हो सकेगी। एक मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह ने यह पहल करते हुए कथित पर्यावरविदों को यह बता दिया है कि एक छोटे से आदेश से आखिर कैसे देश के पेड़ो और पर्यावरण को बचाया जा सकता है।

हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह ने वन विभाग के एक रिटायर कर्मचारी की ओर से पेंशन और अन्य लाभ के लिए करीब ढाई सौ से अधिक पेजों की याचिका दाखिल याचिका पर इस तरह का अभूतपूर्व निर्देश दिया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह ने कहा कि कागज वन उत्पाद है और जितना अधिक कागज प्रयोग होगा, उतने पेड़ भी कटेंगे। उन्होंने कहा पेड़ काटने से वन व नदियां को खतरा होता है ,जिससे पर्यावरण की क्षति होती है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी हवाला देते हुए कहा कि जिसमें रिट याचिका A-4 साइज कागज में और दोनों ओर प्रिंट कर दायर करने के निर्देश दिए गए हैं।

हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह ने अधिवक्ताओं से कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के तहत वह सभी साक्ष्य मान्य हैं जो नेट पर उपलब्ध हैं तो उन्हें याचिका के साथ संलग्न करने की जरूरत नहीं है लिहाज़ा उन्हें याचिका के साथ संलग्न करने की जरूरत नहीं है।  क्योंकि इससे वादकारियों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ तो पड़ता ही है साथ ही अत्यधिक कागज के प्रयोग से पर्यावरण को भी नुकसान होता है। साथ ही ये याचिकाएं अंतत: कूड़े का ढेर बन जाती हैं। उन्होंने अधिवक्ताओं निर्देश दिए हैं कि वे याचिका के साथ गजट नोटिफकेशन, शासकीय गजट, एक्ट और कोर्ट के आदेश की फोटो प्रति संलग्न न करें। 

इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने कागज के साथ ही स्याही के उपयोग को भी कम करने को कहा है। हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री कार्यालय को निर्देश दिए हैं कि इस आदेश की प्रति बार काउंसिल, बार एसोसिएशन को भेजकर अधिवक्ताओं से इस आदेश का पालन करने को कहें। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह ने भविष्य में मुख्य स्थायी अधिवक्ता कार्यालय से याचिकाकर्ता से दो ही प्रतियों में याचिका प्राप्त करने को कहा गया है।

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