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मुंबई प्रवासियों ने मुंनस्यारी के चार लड़कों को नासिक के एक होटल से बचाया

राज्यपाल, महाराष्ट्र एवं गोवा श्री भगत सिंह कोश्यारी के दखल और मुंबई प्रवासियों के संयुक्त प्रयास से नासिक होटल मे फंसे इन चारों युवकों को बचाया जा सका

कोरोना  महामारी के बढ़ते  हालात को देखते हुए  होटल मालिक से छुड़वाया 

होटल मालिक से घर वापस जाने और वेतन देने से करता रहा था आनाकानी 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
मुम्बई : अकसर सुनने और पढ़ने को मिलता है कि पहाड़ के युवा रोजगार  की तलाश मे देश के विभिन्न स्थानों मे जाते हैं किन्तु  वे उचित जानकारी न होने एवं  समाज  के संपर्क न रहने से  मुसीबत में फंस जाते हैं और कभी कभी इसकी भारी कीमत भी चुकाते रहे हैं । ऐसा ही एक हादसा मुंस्यारी के चार युवा लड़कों के साथ भी हुआ है। जिन्हे मुम्बई के प्रवासी उत्तराखंडियों ने नासिक के एक होटल में जबरन बंधक बनाकर रखे गए चार लोगों को छुड़वाया। 
पिथौरागढ़  जिले  के मुंस्यारी तहसील के  रहने वाले रोहित बृजवाल (निवासी बौना गाँव ),  गौरव चिराल (निवासी चौना गाँव) ,  प्रकाश कुँवर (निवासी सेलमाली गाँव) और  दीपु तोमक्याल ( निवासी तोमिक गाँव ) अपने कमजोर आर्थिक हालात के चलते  गत वर्ष से महाराष्ट्र के नासिक  के एक होटल मे नौकरी कर रहे  थे। होटल का मालिक,  जो एक दुष्ट किस्म  व्यक्ति है, उनके साथ अमानवीय  व्यवहार करता था और उनको छोटी छोटी बात उनको  पीटता भी था। कोरोना लोकडाउन शुरू होने के बाद ये  चारों लड़के  भी अन्य उत्तराखंडियो की भाति अपने घर वापस जाने चाहते थे किन्तु होटल मालिक उनको वापस नहीं भेज रहा था  ।  इन चारों लड़को को  फरवरी माह  से वेतन भी नहीं दिया जा रहा  था।
जब  चारों लड़को  ने  कोरोना  महामारी के बढ़ते  हालात को देखते हुए  होटल मालिक से घर वापस जाने और वेतन देने का आग्रह करने लगे तो होटल मालिक उन पर और नाराज होने लगा। वह उनसे दिन रात  बंधुवा  मजदूरो की भांति काम करवाता और कुछ बोलने पर उनके साथ दुर्व्यहार और गाली गलौच करता था। वह लगातार इन चारों को मार देने की    धमकी भी  देता रहता था। इस मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना  से गौरव  चिराल की तबीयत खराब होने लगी फिर भी होटल मालिक का रवैया नहीं बदला । इस बिगड़ते  हालात मे  गौरव  चिराल की तबीयत और भी ज्यादा खराब होती चली गयी और वह मानसिक अवसाद की अवस्था मे पहुँच गया । परिणाम स्वरूप  उसने खाना पीना एवं  बोलना भी  छोड़ दिया। इसके वावजूद भी होटल मालिक द्वारा उसकी चिकत्सा  नहीं कराई गयी । गौरव के साथियो ने इसकी सूचना उसके घर वालो को दी  और हालात की गंभीरता से अवगत कराया ।
गौरव की माता श्रीमति कलावती देवी, जो एक विधवामहिला और उनकी आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है , ने मदकोट के श्री दिनेश भण्डारी के माध्यम से मुम्बई प्रवासी श्री प्रयाग रावत से संपर्क कर गौरव की मदद करने का आग्रह किया। उहोने ने तत्काल नासिक मे फसे गौरव, रोहित, दीपु और प्रकाश से बात कर हालात की गंभीरता को समझते हुए इन उनको मदद करने का आश्वासन और इसी  दौरान मुम्बई प्रवासी श्री नरेंद्र जंगपांगी,आयकर आयुक्त , व्यवसायी  श्री मनोज भट्ट और श्री प्रवीण ठाकुर से संपर्क साधकर मामले की जानकारी दी और आपस मे  मिल जुलकर कर नासिक मे फसे चारों लड़को को बचाने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया।  श्री नरेंद्र जंगपांगी ने पुलिस विभागके  उच्च  अधिकारी से संपर्क कर नासिक मामले की जानकारी दी । मामले  का संज्ञान लेते हुए नासिक पुलिस के कुछ अधिकारी होटल मे इन चारो लड़को से मिलने गए और पूरी जानकारी ली । परंतु  इसके वावजूद भी होटल मालिक का रवैय्या नहीं बदल रहा था और लड़कों को और ज्यादा प्रताड़ित करने  लगा ।  श्री प्रयाग रावत ने होटल मालिक से बात की और लड़को को उनका पैसा देकर घर जाने की बात कही। किन्तु वह राजी नहीं हो रहा था और अपनी ऊँची पहुँच का धौंस भी दिखाने लगा।   अतः श्री प्रयाग रावत ने गौरव की माता जी को एक  प्रार्थना पत्र माननीय महामहिम राज्यपाल, महाराष्ट्र एवं गोवा, श्री भगत सिंह कोश्यारी  को लिखने के लिए कहा और खुद अपनी तरफ से भी एक प्रत्यावेदन इस बाबत  राज्यपाल मह को दिया।
श्री मनोज भट्ट और उद्योगपति  श्री जगदीश सामंत ने पूरी शिद्दत से इस मामले की पैरवी की और राज्यपाल कार्यालय ने तत्काल मामले का संज्ञान लेते हुए नासिक जिला प्रशासन को निर्देशित किया। पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन के सयुंक्त दबाब प्रभावी साबित हुआ और होटल मालिक लाइन पर आने लगा । नासिक निवासी श्री घनश्याम भट्ट ने  इस मामले मे अहम भूमिका निभाई । वे स्वय कुछ अन्य उत्तराखण्ड वासियों के साथ होटल मे गए और चारों लड़को  से मिलकर उनका मनोबल बढ़ाया और होटल मालिक से वार्ता कर लड़को के घर जाने की व्यवस्था की और उनके बकाया पैसा भी दिलवाया । होटल मालिक से लड़कों के घर जाने का टिकट की भी व्यवस्था की।
इस प्रकार माननीय महामहिम राज्यपाल, महाराष्ट्र एवं गोवा , श्री भगत सिंह कोश्यारी के दखल और मुंबई प्रवासियों के अथक  संयुक्त प्रयास से नासिक होटल मे फंसे इन चारों को बचाया जा सका । अब ये चारों लड़के अपने-अपने घर पहुँच चुके है । गौरव चिराल की माता कलावती देवी और अन्य लड़को के अभिवाहको  ने सभी मददकर्ताओं  का आभार जताया है। इस मामले मे श्री नरेंद्र जंगपांगी ने उत्तराखण्ड के सभी अभिवाहकों और युवावों से अपील किया है कि कहीं भी नौकरी मे जाने से पहले उसके बारे मे भली भांति जांच पड़ताल कर ले और सुरक्षित महशूस होने पर ही उस जगह पर नौकरी के लिए जाये क्योंकि जान है तो जहान है। इसके अलावा जहां भी नौकरी के लिए जाए तो वहाँ पर अपने क्षेत्र और समाज के लोगो के संपर्क रहे ताकि किसी भी तरह की मुसीबत की हालात मे अपने लोगो की  मदद मिल सके ।
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