अधिकाँश ट्रैन के चालक नशे में दौड़ा रहे हैं ट्रेन

हरिद्वार : आए दिन हादसों का शिकार हो रही ट्रेनों के मामले में एक और तथ्य सामने आ रहा है। वह यह कि कई लोको पायलट (ट्रेन चालक) नशे में ट्रेन दौड़ा रहे हैं। रेलवे के रिकार्ड के अनुसार वर्ष 2016 में मुरादाबाद मंडल में चेकिंग के दौरान 51 चालक नशे में पाए गए। सुरक्षा को लेकर ‘चिंतित’ विभाग ने इन चालकों को चेतावनी देकर छोड़ दिया। जबकि नियमानुसार दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई होनी चाहिए थी।
हादसों पर नजर दौड़ाएं तो भयावह तस्वीर उभरती है। रेलवे के आंकड़े तस्दीक कर रहे हैं कि 2009-10 से 2014-15 के बीच देश में कुल 803 हादसे हुए। इनमें 620 लोगों ने जान गंवाई और 1855 घायल हुए। हादसों में सर्वाधिक ट्रेन के पटरी से उतरने के मामले हैं।
यह आंकड़ा 47 फीसद है, जबकि इस दौरान आमने-सामने की टक्कर के 38 फीसद मामले दर्ज किए गए। हालांकि अभी यह नहीं पता कि चालक के नशे में रहने के कारण कितनी दुघर्टनाएं हुई हैं, लेकिन 2012 से 2016 से बीच किए एल्कोहलिक टेस्ट के आंकड़े भी कम चौंकाने वाले नहीं है। इस बीच 210 चालक नशे में रेलगाड़ी दौड़ाते मिले।
मुरादाबाद मंडल के डीआरएम प्रमोद कुमार भी स्वीकार करते हैं कि चालकों में नशे की लत पर रोक लगाना आवश्यक है। इससे दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि मुरादाबाद मंडल में छोटे-बड़े सब मिलाकर 268 स्टेशन हैं।
प्रमोद कुमार ने बताया कि नियमानुसार स्टेशन पर चालक के पायलट केबिन में जाने से पहले और ड्यूटी खत्म करने के बाद एल्कोमीटर से टेस्ट किया जाता है। पिछले साल इस दौरान मंडल के 16 स्टेशनों पर 51 चालक नशे में मिले। इनमें देहरादून, लक्सर, रुड़की और सहारनपुर स्टेशन भी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि इसी माह 12 अप्रैल को कमिश्नर रेलवे ऑफ सेफ्टी एसके पाठक ने हरिद्वार आए थे। इस दौरान उन्हें 51 चालकों के नशे में मिलने पर रिपोर्ट दे दी गई थी। उन्होंने बताया कि ऐसे चालकों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई का प्रावधान है।