- दिल्ली में प्रधानमंत्री ठीक नौ बजे पहुंच जाते हैं अपने कार्यालय
- प्रदेश के अधिकांश मंत्री सरकारी और निजी आवासों से चलाते हैं सरकार !
- पहाड़वासियों को मंत्रियों से मिलने का नहीं मिल पाता वक़्त !
- मंत्रियों को चाटुकार और दलाल टाइप के लोग घेरे रहते हैं दिनभर !
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : देश के प्रधानमंत्री का आज 68 वां जन्म दिन है उनके जन्मदिवस और उनकी दिनचर्या को लेकर कई महत्वपूर्ण जानकारियों भी सामने आ रही हैं। उनमे से एक है जो सार्वजनिक जीवन जीने वाले लोगों के लिए अनुकरणीय है वह है उनका दिल्ली में रहने के दौरान ठीक नौ बजे अपने कार्यालय में आ जाना। अब प्रधानमंत्री की हर बात पर नक़ल करने वाले नेताओं की यदि बात की जाए तो वे उनके सामने कहीं नहीं टिकते। उत्तराखंड में तो और भी बुरा हाल है यहाँ जनप्रतिनिधि या यूँ कहें नेता और मंत्री तक अक्क्सर अपने घरों से ही अपना दफ्तर चला रहे हैं। एक आध मंत्री है जो प्रदेश के विधान सभा में आबंटित अपने कार्यालयों में दौरों के इतर बैठते रहे हैं शेष ने तो अपने घरों में ही चौपाल लगायी रहती है और वहां उनके समर्थक या यूँ कहें चाटुकार और दलाल टाइप के लोग ही उन्हें दिनभर घेरे रहते हैं परिणाम स्वरूप दूरदराज से आये पहाड़ के लोगों को ऐसे मंत्रियों से मिलने का वक़्त ही नहीं मिल पता जिससे वे अपनी और क्षेत्र की समस्याओं को उनके समक्ष रख सकें , ऐसे में वे कुछ दिन टहलने के बाद अपना सा मुंह लेकर लौटने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं कई मंत्री तो महीने -महीने भर अपने कार्यालयों में नहीं बैठते परिणाम स्वरूप उनका स्टाफ भी वहां से नदारद रहता है ऐसे में प्रदेशवासियों की समस्या आखिर सुने कौन ? यही सवाल सबसे महत्वपूर्ण है। हालांकि जिस विधानसभा के लिए प्रदेश की जनता ने उन्हें यहाँ चुनकर भेजा है वहां बैठने से इन्हे क्यों परहेज़ है इसका जवाब किसी के पास नहीं है ?
किताब ‘नरेंद्र मोदी-ए करिज्मैटिक एंड विजनरी स्टेट्समैन’ में हुई समालोचना
गौरतलब हो कि प्रधानमंत्री मोदी के बारे में प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय लेखक और न्यायविद डॉ. आदिश सी. अग्रवाल और साराह जे मार्शगटन ने अपनी किताब ‘नरेंद्र मोदी-ए करिज्मैटिक एंड विजनरी स्टेट्समैन’ में प्रधानमंत्री मोदी और उनके कार्यों की जमकर समालोचना ही नहीं की है बल्कि उनकी दिनचर्या और जीवन से सबक लेने की भी बात कही है। प्रधान मंत्री मोदी के जीवन पर प्रकाश डालती 672 पेज की इस पुस्तक के आखिरी अध्याय में लेखकों ने कहा है कि यह एक अलग किस्म के प्रधानमंत्री हैं। भारत में पिछले सात दशकों में ऐसा दूसरा कोई पीएम नहीं हुआ। उन्होंने पुस्तक में कहा है कि अगर वह दिल्ली में होते हैं तो हर हालत में सुबह नौ बजे अपने कार्यालय पहुंच जाते हैं। इससे न एक मिनट पहले और न एक मिनट बाद। इसीलिए वह हर नौकरशाह से अपने दफ्तर में उसी समय पहुंचने की उम्मीद करते हैं। अन्य प्रधानमंत्रियों से इतर मोदी अपने निवास के बजाय अपने कार्यालय से ही कामकाज करना पसंद करते हैं। वह अपने कार्यालय भी पैदल ही जाते हैं। इसके बाद अगले 150 मिनट सुशासन और देश के कामकाज के लिए व्यतीत किए जाते हैं। इसमें बैठकें करना, फाइलें और रिपोर्ट चेक करना शामिल है। वे दोपहर का भोजन वह 11.30 बजे ही कर लेते हैं। उनका अपना एक खानसामा है जो उनके घर और दफ्तर में उनके लिए भोजन बनाता है। उन्हें गुजराती और दक्षिण भारतीय भोजन पसंद है। उनके रोजमर्रा के भोजन में कढ़ी, खिचड़ी, उपमा, भाखड़ी और खाखरा शामिल होता है। इसके बाद वह फिर कामकाज में जुट जाते हैं। वह मल्टीटास्किंग में विश्वास रखते हैं और कभी एक मिनट भी नहीं गंवाते।
देर रात एक बजे सोने जाने से पहले वह अपने परिजनों और मित्रों से करते हैं बात
प्रधानमंत्री के बारे में कहा जाता है कि वे रात का भोजन वह दस बजे करते हैं। रात्रि भोजन के समय उन्हें टीवी देखना पसंद है। इस दौरान वह न्यूज चैनल देखते हैं। खासकर समसामयिक मुद्दों पर परिचर्चा देखना उन्हें पसंद है। इसके बाद वह ई-मेल चेक करते हैं और उनके जवाब भी देते हैं। वे देर रात एक बजे सोने जाने से पहले वह अपने परिजनों और मित्रों जिनमें राजनीति और सुशासन के माहिर लोगों में अमित शाह, अजित डोभाल, निपेंद्र मिश्रा, डॉ. हिरेन जोशी आदि को कुछ फोन कॉल करते हैं। उनके पूरे दिन में यही क्षण उनका नितांत निजी होता है। मोदी अन्य प्रधानमंत्रियों से अलग अपनी टीम को लेकर भी हैं। उनकी टीम में नौकरशाह बने तकनीकी क्षेत्र के लोग ही हैं। नरेंद्र मोदी और अन्य प्रधानमंत्रियों में अंतर उनकी दिनचर्या से ही दिखना शुरू हो जाता है। वह जल्दी उठते हैं और देर से सोते हैं। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने एक बार मजाक में कहा था कि नरेंद्र मोदी खुद तो सोते नहीं हैं, अपने मंत्रियों को भी ऐसा नहीं करने देते हैं।