POLITICS

उत्तराखंड में सैनिक मतदाता निर्णायक भूमिका में

  • उत्तराखंड देवभूमि के साथ सैनिक पृष्ठभूमि का प्रदेश भी है आसन्न 2022 के विधानसभा चुनाव में सैनिक पृष्ठभूमि वाले प्रदेश में सैनिकों ने इस बार अपनी उपस्थिति का अहसास कराया है।
  • अब तक के चुनाव में सैनिक वोटरों का झुकाव जिस ओर भी रहा है उसी पार्टी की राज्य में सरकार बनी है।
  • यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल सैन्य वोटरों को पूरी तवज्जो देने में लगे हैं।

कमल किशोर डुकलान

सैनिक पृष्ठभूमि वाले राज्य उत्तराखंड में हमेशा से ही सरकार बनाने में सैनिक एक निर्णायक भूमिका में रहे हैं। बात चाहे सीमा पर दुश्मनों से मुकाबले की हो या फिर चुनावी रण की,हर जगह प्रदेश के सैनिकों ने अपनी उपस्थिति का अहसास कराया है।
सैनिक बहुल प्रदेश उत्तराखंड में जिस पार्टी की ओर सैन्य वोटर का झुकाव रहा,प्रदेश में उसी पार्टी का हमेशा पलड़ा भारी रहता है। यही कारण है कि आसन्न 2022 के चुनाव में सभी राजनीतिक दल सैन्य वोटरों को पूरी तवज्जो देने में लगे हैं।
अब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तो सभी राजनीतिक दल इन वोटरों को लुभाने में जुट गए हैं। कहीं सैनिकों के सम्मान में यात्रा निकल रही है, तो कहीं सम्मेलन किए जा रहे हैं। हर कोई खुद को सैनिकों का सबसे बड़ा हितैषी प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहा है। 
अगर उत्तराखंड राज्य के मैदानी जिलों को छोड़कर पर्वतीय जिलों की बार करें तो यहां का तकरीबन हर परिवार से एक व्यक्ति सेना में कार्यरत है। प्रदेश के कुल मतदाताओं में की बात करें तो यहां का लगभग 12 फीसद मतदाता सैन्य परिवारों से ही ता है। प्रदेश में सैनिक और पूर्व सैनिकों की संख्या 2.67 लाख है।
उत्तराखंड के कुल मतदाताओं का लगभग 3.30 प्रतिशत सैनिक मतदान है, लेकिन अगर सैनिक वोटरों के साथ यदि इनके स्वजन एवं नाते-रिश्तेदारों को शामिल कर दिया जाए तो यह मत प्रतिशत बढ़कर लगभग 12 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। ऐसे में सभी दलों की नजर इस बार सैनिक मतदाताओं की ओर टिकी है।
विशेष रूप से राज्य की अनेकों पर्वतीय सीटों पर सैनिक पृष्ठभूमि का मतदाता राजनैतिक दलों के गणित पर सीधे असर डालते हैं। यही कारण है कि प्रदेश में आने वाली सरकारें सैनिकों के कल्याण के लिए कुछ न कुछ कदम जरूर उठाती हैं।
अगर राजनैतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्र पर एक दृष्टि डालें तो राजनैतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्र में सैनिकों के कल्याण की अनेकों योजनाएं शामिल रहती हैं। यहां तक कि सैन्य पृष्ठभूमि के वोटरों को लुभाने के लिए हर बड़े दलों में पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ गठित रहता है। भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों में तो बड़े-बड़े पूर्व सैन्य अधिकारी पार्टी अथवा सरकार में अहम पदों को सुशोभित रहे हैं।
अगर भारतीय जनता पार्टी की बात की जाएं तो भाजपा ने स्वच्छ एवं ईमानदार छवि के मेजर जनरल (सेवा निवृत्त) भुवन चंद्र खंडूरी जी को राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर सुशोभित किया है।2022 के विधानसभा चुनाव में पुरजोर तरीके से ताल ठोकने वाली आम आदमी पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री पद का चेहरा पूर्व सैनिक अधिकारी कर्नल अजय कोठियाल को बनाया है।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता कभी भी लग सकती है। ऐसे में भाजपा व कांग्रेस इस समय बूथ स्तर पर सैनिकों को रिझाने के लिए बड़े कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।
भाजपा जहां शहीद सम्मान यात्रा के जरिये सैन्य पृष्ठभूमि के वोटरों पर नजर रख रही है, तो वहीं कांग्रेस भी अब सैनिक सम्मान सम्मेलन का आयोजन कर पूर्व सैनिकों को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही है।

Related Articles

Back to top button
Translate »