- इस्तीफे से सूबे में बनने वाली मेट्रो प्रोजेक्ट को लगा जोर का झटका
- केंद्र सरकार अब सीधे आर्थिक हिस्सा देने के बजाय पीपीपी मॉडल पर जोर
देहरादून : उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी में बनायीं जा रही मेट्रो रेल चलने से पहले ही पटरी से उतर गयी है। प्रोजेक्ट के एमडी जितेंद्र त्यागी के इस्तीफे से सूबे में बनने वाली मेट्रो प्रोजेक्ट को जोर का झटका लगा है। उन्होंने कार्पोरेशन के चेयरमैन और सीएस को उन्होंने एक महीने के नोटिस के साथ अपना इस्तीफा मुख्यसचिव को भेजा है।
गौरतलब हो कि इस परियोजना के पहले चरण पर 85 हजार करोड़ खर्च किये जाने हैं, जिस पर 50 फीसदी खर्च केंद्र सरकार करेगी और लगभग इतना ही खर्च राज्य सरकार को भी वहन करना होगा। वहीँ एक अनुमान के अनुसार एक लाख यात्री प्रतिदिन इस मेट्रो रेल से सफ़र करेंगे।
पिछले कई दिनों से राजधानी में एमडी के इस्तीफे की चर्चाएं तैर रही थीं। चर्चा थी कि एमडी के पास कानपुर मेट्रो रेल समेत कई प्रोजेक्ट के ऑफर हैं। हालाँकि अभी इन चर्चाओं के बीच सरकार ने साफ किया है कि एमडी का इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया है। सरकार ने ये भी कहा है कि किसी भी वजह से मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।
मुख्यसचिव को भेजे अपने इस्तीफे में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के एमडी जितेंद्र त्यागी ने हालांकि इस्तीफे की वजह साफ तौर पर कुछ भी नहीं बताई है। लेकिन माना जा रहा है कि फरवरी में ज्वाइन करने के बाद इस प्रोजेक्ट की प्रगति से वह खुश नहीं थे। और ये भी खबरें चर्चाओं में थीं कि कई महीने से सरकार एमडी को वेतन ही नहीं दे पा रही है। हालाँकि सरकार ने कुछ दिन पहले ही वेतन और अन्य खर्चों के लिए मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए पांच करोड़ की धनराशि स्वीकृत की थी।
गौरतलब हो कि राजधानी में चलायी जाने वाली मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने दो दिन पहले ही आधारभूत ढांचा खड़ा करने के लिए कैबिनेट ने चेयरमैन और एमडी को प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार प्रदान किए थे। इसके अलावा, इस प्रोजेक्ट की डीपीआर भी दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन द्वारा नौ करोड़ में तैयार मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार की जा रही है। इस डीपीआर के भी इस महीने के आखिरी तक मिलने की उम्मीद है। वहीँ इसी बीच एमडी का इस्तीफा मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए झटका है।
उल्लेखनीय है कि दून मेट्रो रेल के पहले फेज के प्लान के अनुसार बहादराबाद-हरिद्वार से ऋषिकेश 35 किमी लंबा यह ट्रैक प्रस्तावित है, जिसमें 22 मेट्रो स्टेशन बनाए जाएंगे। वहीँ नेपाली फार्म से आईएसबीटी दून तक 40 किमी लंबा यह ट्रैक प्रस्तावित है, जिसमें 13 मेट्रो स्टेशन बनाए जाने हैं। जबकि आईएसबीटी देहरादून से राजपुर रोड कंडोली तक 10 किमी लंबा यह ट्रेक प्रस्तावित है, जिसमें 11 मेट्रो स्टेशन बनाए जाएंगे।
देहरादून-हरिद्वार मेट्रो प्रोजेक्ट पर केंद्र सरकार ने पैसे देने से खींचे हाथ
वहीँ केंद्र सरकार ने नए मेट्रो प्रोजेक्ट में अब निजी पूंजी की शर्तें को शामिल कर लिया है। इससे उत्तराखंड के लिए मेट्रो प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाने में दिक्कत आ सकती है। इधर, डीएमआरसी ने भी देहरादून और हरिद्वार नगर निगम के साथ ही पर्यटन विभाग को भी प्रोजेक्ट की कुछ लागत वहन करने की गुजारिश की है।
उत्तराखंड मेट्रो के एमडी जितेंद्र त्यागी के मुताबिक केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन में पीपीपी मॉडल पर जोर दिया गया है। इससे उत्तराखंड के लिए दिक्कतें तो बढ़ेंगी, लेकिन फिलहाल डीपीआर में उत्तराखंड मेट्रो रेल के लिए निवेशक के विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। डीपीआर आने के बाद ही इस पर स्थिति स्पष्ट होगी। इधर, डीएमआरसी की टीम ने प्रोजेक्ट की लागत कम करने के मकसद से इसकी कुछ लागत देहरादून और हरिद्वार नगर निगम के साथ ही पर्यटन विभाग से उठाने की बात कही है।
डीएमआरसी का मानना है कि मेट्रो आने से इन दोनों निगमों के साथ ही पयर्टन विभाग को सबसे अधिक फायदा होना है, ऐसे में इन सरकारी संस्थाओं को भी प्रोजेक्ट की लागत का कुछ हिस्सा उठाना चाहिए। दिल्ली में डीडीए ने कई प्रोजेक्ट में ऐसा निवेश किया भी है। इसी तरह सर्वे टीम ने उत्तराखंड सरकार से मेट्रो ट्रैक के आसपास जमीन मांगी है। मेट्रो का इरादा इस जमीन को विकसित कर भविष्य की जरूरत को देखते हुए मेट्रो के लिए एसेट्स जोड़ना है। जिससे मेट्रो का महंगा लोन चुकाने के लिए निश्चित कमाई का विकल्प उपलब्ध रहें।