बिपिन रावत के बाद सबसे वरिष्ठ नरवाने सिख लाइट इफेंट्री रेजिमेंट में जून 1980 में हुए थे कमिशन्ड
दिसंबर में सेवानिवृत्त होने से पूर्व जनरल रावत को मिल सकती है सीडीएस पद की जिम्मेदारी !
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : वर्तमान थलसेना प्रमुख बिपिन रावत 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह भारतीय थलसेना के उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने थलसेना के अगले प्रमुख होंगे। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। वायुसेना में बिपिन रावत के बाद सबसे वरिष्ठ नरवाने सिख लाइट इफेंट्री रेजिमेंट में जून 1980 कमिशन्ड हुए थे।
नरवाने अपने 37 साल के कार्यकाल में थलसेना में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य कर चुके हैं। श्रीलंका में शांति सेना के साथ ही जम्मू एवं कश्मीर में उन्होंने राष्ट्रीय राइफल्स का नेतृत्व किया। नरवाने म्यांमार में डिफेंस एट्शे के रूप में तीन साल तक काम कर चुके हैं। थलसेना के 13 लाख जवानों के उपप्रमुख के तौर पर उन्होंने 1 सितंबर को पदभार ग्रहण किया था। इससे पहले वह थलसेना के पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे, जो चीन से लगती भारत की लगभग चार हजार किलोमीटर लंबी सीमा की रखवाली करती है।
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन और पूर्वी मोर्चे पर इन्फैन्टीर ब्रिगेड की कमान भी संभाली है। इसके अलावा तीन साल तक उन्होंने म्यांमार में भारतीय दूतावास में भारत के रक्षा प्रशिक्षक के रूम में भी कर चुके हैं। मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले के प्राचीर से सीडीएस की नियुक्ति का ऐलान किया था, जो तीनों सेनाओं के ऊपर होगा।
रक्षा सचिव की अध्यक्षता में एक समिति सीडीएस पद के दायरे और अधिकारों को लेकर प्रारूप तैयार कर रही है। ऐसे में वरिष्ठता के आधार पर जनरल बिपिन रावत के नाम की चर्चा चल रही है और कहा जा रहा है कि वो स्टाफ कमेटी के चैयरमैन बन सकते हैं। ऐसी स्थिति में सीडीएस के लिए पहला नाम उन्हीं का होगा। सूत्रों का मानना है कि धनोआ को लेकर अगर कोई निर्णय नहीं होता है तो फिर दिसंबर में सेवानिवृत्त होने से पूर्व जनरल रावत को इस पद की जिम्मेदारी मिलने की संभावनाएं काफी बढ़ जाएंगी।