LITERATURE

बराक ओबामा अपनी आत्मकथा ‘A Promised Land’ में जानें ..क्या लिखा

ओसामा बिन लादेन को मारने की कैसे बन योजना और उसे कैसे अंजाम तक पहुंचाया गया

ओबामा के सलाहकारों के बीच थे कुछ मतभेद

सैटेलाइट से अभियान पर रखी जा रही थी नजर

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
मई, 2009 में सिचुएशन रूम की बैठक जैसे ही खत्म हुई राष्ट्रपति ओबामा अपने कुछ सलाहकारों को व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में ले गए और दरवाजा भीतर से बंद कर लिया। इनमें व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ राह्म इमैनुएल, सीआईए के निदेशक लियोन पनेटा और उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार टॉम डानिलन शामिल थे।
ओबामा ने उन लोगों से कहा कि वो चाहते हैं कि ओसामा बिन लादेन की तलाश को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाए और हर तीस दिन पर इस अभियान की प्रगति रिपोर्ट उनकी मेज पर पहुंचाई जाए।
 
बराक ओबामा अपनी आत्मकथा ‘अ प्रॉमिस्ड लैंड’ में लिखते हैं, “9/ 11 की नौवीं बरसी से एक दिन पहले सीआईए के निदेशक लियोन पनेटा और उनके नंबर दो माइक मॉरेल ने मुझसे मिलने के लिए समय मांगा। लियोन ने कहा ‘मिस्टर प्रेसिंडेंट ओसामा बिन लादेन के बारे में हमें अभी बहुत शुरुआती सुराग मिले हैं।”
“हमारे जासूसों ने अबू अहमद अल कुवैती नाम के एक शख्स को ढ़ूंढ़ निकाला है जो अल कायदा के लिए संदेशवाहक का काम करता है और उसके ओसामा बिन लादेन से नजदीकी संबंध हैं। हमारे जासूसों ने उनके फोन और रोज की गतिविधियों पर नजर रखी है और वो हमें पाकिस्तान में इस्लामाबाद से 35 किलोमीटर दूर एबटाबाद शहर के बाहरी इलाके के एक बड़े अहाते तक ले गए हैं। माइक ने बताया कि उस अहाते का क्षेत्र और आकार बताता है कि वहां अल-कायदा से जुड़ा हुआ कोई बड़ा शख्स रह रहा है।”
 
दो महीने बाद 14 दिसंबर 2009 को लियोन और माइक की जोड़ी एक बार फिर बराक ओबामा से मुलाकात करने पहुंची। इस बार उनके साथ सीआईए के एक अफसर और एक विश्लेषक भी थे। ये अफसर सीआईए के काउंटर टेरेरिज्म सेंटर और अमेरिका के बिन लादेन अभियान के प्रमुख थे। इन दो लोगों ने ओबामा को उन सभी तथ्यों की जानकारी दी जिनके जरिए वो एबटाबाद के उस अहाते तक पहुंचे थे।
सीआईए के पूर्व निदेशक लियोन पनेटा ने अपनी आत्मकथा ‘वर्दी फाइट्स’ में इसका जिक्र करते हुए लिखा है, “ये अहाता आसपास के प्लॉट्स में सबसे बड़ा था। बगल वाले प्लॉट से करीब आठ गुना बड़ा। इसके मालिक इब्राहिम और उनके भाई थे। उनकी माली हालत इतनी नहीं थी कि वो एक करोड़ रुपये मूल्य की इस प्रॉपर्टी के मालिक हो सकते थे। आश्चर्यजनक बात ये थी कि मालिक होते हुए भी इब्राहिम भवन के मुख्य हिस्से में न रह कर अहाते के अंदर ही गेस्ट हाउस में रह रहा था।”
“इस भवन में तीन मंजिलें थीं। ऊपर की मंजिल में एक बालकनी थी, लेकिन इस बालकनी को एक दीवार से कवर किया गया था। बालकनी के सामने दीवार कौन खड़ी करता है ? उस घर में न तो कोई इंटरनेट कनेक्शन था और न ही कोई लैंडलाइन फोन। हमारी निगरानी से पता चला था कि कभी-कभी एक शख्स घर से बाहर निकल कर अहाते के अंदर ही तेज-तेज कदमों से चला करता था।”
“हमने उसको ‘द पेसर’ का नाम दिया था। इस घर के बाहर कूड़ा उठाने वाले लोग आते थे, लेकिन घर के लोग अपना कूड़ा कूड़ेवाले को न दे कर अहाते के अंदर ही जलाया करते थे।’ सीआईए के जासूसों का मानना था कि ‘द पेसर’ ओसामा बिन लादेन हो सकता है।
 
ओबामा की राय थी कि हालांकि पाकिस्तान की सरकार अमेरिका के साथ सहयोग कर रही थी और अफगानिस्तान में उसके अभियान में मदद कर रही थी लेकिन ये बात किसी से छुपी नहीं थी कि पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी में कुछ तत्व तालिबान और शायद अल-कायदा से भी सहानुभूति रखते थे।
ओबामा का ख्याल था कि एबटाबाद अहाते के पाकिस्तानी मिलिट्री अकादमी के इतना नजदीक होने की वजह से इस बात की संभावना कहीं अधिक बढ़ गई थी कि अगर पाकिस्तानियों को इस बारे में कुछ भी बताया गया तो ये सूचना आनन-फानन में उस शख्स के पास पहुंच जाएगी जिसे वो निशाना बनाना चाह रहे थे।
ओबामा लिखते हैं, “हमारे पास दो विकल्प थे। पहला विकल्प ये कि अहाते को हवाई हमले से बर्बाद कर दिया जाए। इसका पहला फायदा ये था कि पाकिस्तान की धरती पर किसी अमेरिकी के मारे जाने का जोखिम बिल्कुल नहीं था। सार्वजनिक रूप से हम ये खंडन कर सकते थे कि इस हमले में हमारा कोई हाथ है।”
“लेकिन इसका नुकसान ये था कि अगर अहाते को बर्बाद करने में हम सफल हो भी गए तो ये कैसे सुनिश्चित होगा कि उसके अंदर लादेन मौजूद था? और अगर अल-कायदा ने उसका खंडन कर दिया तो हम कैसे सिद्ध करेंगे कि लादेन मारा गया है? दूसरे इस खतरे से भी इनकार नहीं किया जा सकता था कि अहाते के अलावा उसके आस-पास रहने वाले लोग भी मारे जा सकते थे। मैंने ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के वाइस चेयरमैन हॉस कार्टराइट से साफ-साफ कह दिया कि मैं इस अभियान की अनुमति नहीं दे सकता जहां तीस-चालीस लोगों के मारे जाने की संभावना हो जबकि ये भी सौ फीसदी तय न हो कि ओसामा उस अहाते के अंदर रह रहा हो।”
 
ओबामा आगे लिखते हैं, “हमारे पास दूसरा विकल्प था कि मैं स्पेशल-ऑप्स मिशन की अनुमति दूं जिसमें चुने हुए सैनिक हेलिकॉप्टर से पाकिस्तान के अंदर प्रवेश कर अहाते पर इतनी तेजी से हमला करें कि पाकिस्तानी पुलिस या सेना को प्रतिक्रिया देने का मौका ही न मिल पाए। इसीलिए मैंने वाइस एडमिरल विलियम मैकरेवन को बुलवाया ताकि वो हमें बता सकें कि ये हमला किस तरह का होगा।”
ऊपर से लिए गए चित्रों के आधार पर सीआईए ने एबटाबाद अहाते का थ्री डायमेंशनल प्रतिरूप बनवाया और वाइस एडमिरल मैकरेवन ने राष्ट्रपति ओबामा को इस हमले के बारे में ब्रीफ किया। तय हुआ कि सील्स के चुनिंदा सैनिक अफगानिस्तान में जलालाबाद से एक या दो हेलिकॉप्टर्स में रात के अंधेरे में उड़ान भर कर पाकिस्तान में लक्ष्य के अहाते में लैंड करेंगे।
 
29 मार्च को बुलाई गई बैठक में ओबामा ने मैकरेवेन से सवाल पूछा कि अगर पाकिस्ताके लड़ाकू विमानों ने हमारे हेलिकॉप्टर्स को घुसते या निकलते समय इंटरसेप्ट किया तो हमारा क्या रुख होगा?
अगर बिन लादेन अहाते में किसी सेफ रूम में छिपा हुआ हो और हमारी टीम को उन्हें ढ़ूढ़ने में निर्धारित समय से अधिक वक्त लग गया तो हम क्या करेंगे? और अगर हमले के दौरान पाकिस्तानी बलों ने अहाते को चारों तरफ से घेर लिया तो हम इससे कैसे निपटेंगे?
ओबामा लिखते हैं, “एडमिरल मैकरेवन ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी योजना इस आधार पर बनाई गई है कि वो पाकिस्तानी सैन्यबलों से उलझने से बचेंगे और अगर पाकिस्तानियों ने हमें घेर भी लिया तो हमारे सील्स अहाते का कब्जा नहीं छोड़ेंगे। इस बीच हमारे राजनयिक उनके वहां से सुरक्षित बाहर निकलने के लिए पाकिस्तानी सरकार से बात शुरू कर देंगे।”
इस बीच हॉस कार्टराइट ने एक और विकल्प सुझाया। क्यों न एक ड्रोन से अहाते पर उस समय एक 13 पाउंड की मिसाइल अहाते पर छोड़ी जाए जब ‘द पेसर’ अपनी डेली वॉक पर निकला हो। ओबामा ने किसी भी विकल्प को लिए अंतिम हां, नहीं भरी लेकिन ये जरूर कहा कि योजना बनाने के लिए ये मानकर चलें कि मेरी तरफ से ‘हां’ है।
ओबामा के नजदीकी लोगों में से लियोन पनेटा, जॉन ब्रेनेन और माइक मुलेन ने इस रेड का समर्थन किया। हिलेरी क्लिंटन की चिंता थी कि इससे अमेरीका और पाकिस्तान के संबंध खराब हो जाएंगे। उन्हें इस बात का भी डर था कि अमेरिकी सील्स का पाकिस्तानी सेना से न आमना सामना हो जाए। रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स ने रेड का विरोध किया। उनका तर्क था कि अप्रैल 1980 में ईरान में 53 अमेरिकी बंधकों को इसी तरह छुड़वाने का प्रयास विफल हुआ था और अमेरिका की काफी किरकिरी हुई थी।
इस अभियान में अमेरिका का एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उनके आठ सैनिक मारे गए थे और शायद इसकी वजह से ही बाद में जिमी कार्टर राष्ट्रपति पद का चुनाव हार गए थे। उप-राष्ट्रपति जो बाइडन भी इस हमले के खिलाफ थे। उनका तर्क था कि इसके असफल होने के परिणाम बहुत घातक होंगे। उनका मानना था कि इस रेड को तब तक स्थगित रखा जाए जब तक खुफिया सूत्र वहां ओसामा बिन लादेन के रहने के बारे में पूरी तरह से सुनिश्चित न हो जाएं।
 
28 अप्रैल की रात खाने की मेज पर ओबामा की पत्नी मिशेल और बेटियों ने उन्हें उनकी पुरानी चप्पल के बारे में छेड़ा जिसे वो हमेशा घर में पहने रहते थे। उन्होंने इस बात का भी मजाक उड़ाया कि बराक को मीठा बिल्कुल भी पसंद नहीं है।
अपनी बेटियों को सुलाने के बाद बराक ओबामा ट्रीटी रूम में आराम करने चले गए और टेलिविजन पर बास्केटबॉल का मैच देखने लगे। अगले दिन ओबामा को अलाबामा में टुसालूसा में तूफान से हुई बर्बादी का जायजा लेने जाना था और शाम को उन्हें मियामी में भाषण देना था। बीच में उन्हें मिशेल और बेटियों को स्पेस शटल ‘एनडेवर’ का प्रक्षेपण दिखाने ले जाना था।
जाने से पहले ओबामा ने टॉम डॉनिलन, डेनिस मेकडॉनो, बिल डेली और जॉन ब्रेनन को ईमेल भेजा कि वो उनसे डिप्लोमेटिक स्वागत कक्ष में मिलें। ओबामा लिखते हैं, “मेरा परिवार साउथ लॉन की तरफ बढ़ रहा था जहां ‘मरीन वन’ हेलिकॉप्टर उड़ान भरने के लिए तैयारी कर रहा था। हेलिकॉप्टर के इंजन, साशा और मालिया की चुहलबाजी के शोर के बीच मैंने एबटाबाद मिशन के लिए अपनी रजामंदी दी। मैंने ये साफ कर दिया कि इस अभियान की कमान एडमिरल मैकरेवन के हाथ में होगी और वह ही तय करेंगे कि हमला कब बोला जाएगा।”
 
दो मई, 2011 की सुबह व्हाइट हाउस के ऑपरेटर के जगाने से पहले ही ओबामा की आंख खुल गई। उन्होंने तय किया कि वो मार्विन निकलसन के साथ थोड़ी देर गोल्फ खेलेंगे जैसा कि वो अक्सर रविवार को किया करते थे।
ओबामा लिखते हैं, “व्हाइट हाउस लौटने के बाद मैं ओवल ऑफिस में कुछ कागजात देख रहा था, लेकिन मेरा ध्यान ही केंद्रित नहीं हो पा रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने अपने सहयोगियों रेगी लव, मार्विन निकलसन और पीट राउज को ओवल के डायनिंग रूम में बुला लिया और हम लोग ‘स्पेड्स’ खेलने लगे। ईसटर्न स्टैंडर्ड टाइम को अनुसार ठीक दो बजे दो ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर्स ने जलालाबाद हवाई ठिकाने से एबटाबाद अहाते के लिए उड़ान भरी। उसमें सील दल के 23 सदस्य सवार थे। उनके साथ एक पाकिस्तानी अनुवादक और सैनिक कुत्ता काएरो भी था।”
 
ओबामा ओवल ऑफिस से उठ कर सिचुएशन रूम पहुंचे जहां लियोन पनेटा सीआईए के मुख्यालय लैंगली से वीडियो कॉन्फ्रेंस लाइन से जुड़े हुए थे। एडमिरल मैकरेवन जलालाबाद में थे और सील्स से लगातार संपर्क बनाए हुए थे। कॉन्फ्रेंस टेबल पर टॉम, हिलैरी, जो बाइडन, डेनिस मेक्डानो, गेट्स, मलेन और एंटनी ब्लिंकेन बैठे हुए थे। ओबामा को ब्रीफ किया गया कि अभियान की सफलता या विफलता के बाद पाकिस्तान और दूसरे देशों को किस तरह सूचित किया जाएगा। ओबामा थोड़ी देर के लिए ऊपर चले गए लेकिन तभी पनेटा ने ऐलान किया कि ब्लैक हॉक्स एबटाबाद के अहाते में उतरने ही वाले हैं।
ओबामा लिखते हैं, “जैसे ही हेलिकॉप्टर लक्ष्य पर उतरने लगे मैं अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया। मैंने कहा मैं इसे देखना चाहूंगा। मैं बगल के कमरे में गया जहां इस अभियान की लाइव फीड आ रही थी। वहां नीली वर्दी में एयरफोर्स के ब्रिगेडियर जनरल ब्रैड वेब एक मेज पर रखे कंप्यूटर के सामने बैठे हुए थे उन्होंने मुझे अपनी कुर्सी देनी चाही लेकिन मैंने उनके कंधे को दबाते हुए उन्हें बैठे रहने के लिए कहा।”
“वेब ने तुरंत मैकरेवन को सूचित किया कि मैं कॉन्फ्रेंस रूम से उठ कर उनके कमरे में चला आया हूं और लाइव फीड को देख रहा हूं। थोड़ी देर में मेरे साथी भी उस छोटे से कमरे में जमा हो गए।”
अभी ओबामा को वहां बैठे एक मिनट ही हुआ था कि एक ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर उतरते हुए थोड़ा हिला और इससे पहले कि वो कुछ समझ पाते मैकरेवन ने उन्हें बताया कि हेलिकॉप्टर का एक पंख अहाते की दीवार से टकरा गया है।
ओबामा लिखते हैं, “एक क्षण के लिए तो मैं बहुत डर गया और मेरे सिर में घूमने लगा कि कुछ बुरा होने वाला है। तभी मैकरेवन की आवाज मेरे कानों में गूंजी, ‘सब कुछ ठीक होगा।’ उनकी आवाज से ऐसा लग रहा था मानो वो कह रहे हों कि शॉपिंग मॉल में एक कार की शॉपिंग ट्रॉली से मामूली टक्कर हो गई हो। उन्होंने कहा ये हमारे सर्वश्रेष्ठ पायलट हैं। वो हेलिकॉप्टर को सुरक्षित नीचे ले आएंगे। और ऐसा ही हुआ।”
“बीस मिनटों तक मैकरेवन को भी पूरी तरह नहीं दिखाई दे रहा था कि वहां क्या हो रहा है। तभी अचानक मैकरेवन और पनेटा दोनों ने एक साथ वो शब्द कहे जिनका हम बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। ‘जेरोनिमो ईकेआईए (एनिमी किल्ड इन एक्शन )’। कमरे में मौजूद सभी लोगों के मुंह से एक आह-सी निकली। मेरी आंखें वीडियो फीड पर ही लगी रहीं। मैंने धीमे से कहा, ‘वी गॉट हिम’।”
अगले 20 मिनट तक कोई भी अपनी जगह से नहीं हिला। जैसे ही हेलिकॉप्टर्स ने वापसी के लिए उड़ान भरी जो बाइडन ने ओबामा का कंधा दबा कर कहा, ‘कॉन्ग्रेचुलेशंस बॉस।’ ओबामा ने उठ कर वहां मौजूद लोगों से हाथ मिलाया। लेकिन जब तक हेलिकॉप्टर पाकिस्तानी सीमा में रहे सब लोग चुप ही रहे। छह बजे जब हेलिकाप्टर्स ने जलालाबाद में लैंड किया तब जाकर ओबामा की जान में जान आई।
मैकरेवन ने वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उनसे कहा, “मैं जब आपसे बात कर रहा हूं लादेन का शव मेरे सामने पड़ा हुआ है। मैंने अपनी टीम के एक सदस्य को जिसका कद छह फुट दो इंच है, लादेन के शव के बगल में लिटा कर देखा है। मृत व्यक्ति का कद छह फ़ुट चार इंच है।” ओबामा ने बिल मैकरेवन से मजाक किया, “आप भी बिल। इतने बड़े अभियान पर गए और अपने साथ नापने का टेप ले जाना भी भूल गए!”
ओसामा बिन लादेन को पहले से तय योजना के तहत समुद्र में दफनाया गया। उनके शव को अमेरिकी युद्ध पोत कार्ल विन्सन पर ले जाया गया। उसे सफेद कपड़े से लपेटा गया और फिर भारी काले थैले में डाल दिया गया।
सीआईए के पूर्व निदेशक लियोन पनेटा ने इसका विवरण देते हुए अपनी आत्मकथा ‘वर्दी फाइट्स’ में लिखा है, “लादेन के शव के थैले में 150 किलो की लोहे की जंजीरें लगाई गईं ताकि शव का समुद्र में डूबना सुनिश्चित किया जा सके। इसके बाद उस थैले को युद्धपोत की रेलिंग से सटा कर एक सफेद मेज पर रखा गया।”
“लादेन के शव का थैला इतना भारी था कि जब इसे समुद्र में गिराया गया तो वो अपने साथ मेज को भी नीचे ले गया। थोड़ी देर में लादेन का शव तो समुद्र की गहराई में समाता चला गया, लेकिन वो सफेद मेज नहीं डूब सकी और उसे समुद्र की लहरों पर तैरते हुए देखा गया।”
अगले दिन ओबामा कैंटकी में फोर्ट कैंपबेल गए जहां मैकरेवन ने उनकी और बाइडन की मुलाकात सील की उस टीम से करवाई जिन्होंने इस अभियान में भाग लिया था।
ओबामा ने उन सबसे हाथ मिलाया। उन्होंने ओबामा को एक उपहार दिया। उन्होंने उस अमरीकी झंडे पर अपने हस्ताक्षर किए जिसे वो अपने साथ एबटाबाद ले गए थे और उसे फ्रेम करा कर राष्ट्रपति ओबामा को भेंट किया। इस मुलाकात के दौरान किसी ने भी नहीं बताया कि किसने लादेन पर गोली चलाई थी और न ही ओबामा ने उनसे पूछा।

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