कुमाऊं विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोहः जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और डॉ. सौमित्र रावत को मानद उपाधि
नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के 16वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि राज्यपाल व कुलाधिपति बेबी रानी मौर्य ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, पद्मश्री डाॅ.सौमित्र रावत को मानद उपाधि प्रदान की। समारोह में सावित्री केड़ा जंतवाल को डीलिट की उपाधि प्रदान की गई। राज्यपाल ने 62 मेधावी छात्र-छात्राओं को पदक तथा उपाधियां प्रदान किए।
दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि शिक्षा एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है। जीवन में निरन्तर नवीन ज्ञान की खोज करते रहना हमारा परम लक्ष्य होना चाहिए। कुमाऊं विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है, यह गौरव की बात है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को अपना समस्त ध्यान पाठ्यक्रमों एवं शोध कार्यों में केन्द्रित करना चाहिए। हमारे शोध कार्य एवं पाठ्यक्रम बदलती स्थितियों के अनुरूप होने चाहिए, जो देश की अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक समृद्धि में अपना योगदान देने में सक्षम हों। राज्यपाल ने कहा विश्वविद्यालयों में नवाचार के प्रति सकारात्मक रूख होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन ने भी कहा था कि ’’ कल्पना शक्ति ज्ञान से महत्वपूर्ण होती है’’ इसलिए हमारे सभी पाठ्क्रम, शोध कार्य और शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम नवाचार पर केन्द्रित हों।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डाॅ.डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे देश में अनेकता में एकता है। यहां धर्म, सम्प्रदाय, भाषा एवं शैली, वेशभूषा आदि अलग-अलग होने के बाद भी एकता है, यही हमारी शक्ति है। विचार धाराएं अलग-अलग होने पर भी एक-दूसरे का आदर एवं सम्मान जरूरी है। विद्यार्थियों से कहा कि स्वयं से सवाल करें। जब सवाल होगा तभी जवाब भी मिलेगा। माता-पिता, गुरुजनों एवं बड़ों का सदा सम्मान करें तथा अपने से छोटों को स्नेह प्रदान करें।
पद्मश्री डाॅ.सौमित्र रावत ने कहा कि हमें अपनी पीढ़ियों को सिखाना है कि मानवता ही सबसे बड़ी सेवा है। छात्रों से कहा कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम, समयबद्धता, कर्मठता, दृढ़ इच्छा शक्ति एवं आत्मविश्वास अत्यंत आवश्यक है।
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डाॅ.धन सिंह रावत ने कहा कि महान विभूतियों को मानद उपाधि से सम्मानित करके हम और विश्वविद्यालय परिवार गौरवान्वित हैं। विश्वविद्यालयों में हर वर्ष दीक्षान्त समारोह में देश की दो महान विभूतियों को सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर महाविद्यालय में पांच-पांच रोजगारपरक पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे। प्रतिवर्ष अच्छा कार्य करने वाले पांच प्राध्यापकों को भी सम्मानित किया जाएगा। सम्मानित होने वाले प्राध्यापकों को उनकी इच्छानुसार एक बार स्थानान्तरण व एक पदोन्नति दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि पांच लाख से कम आय वाले अभिभावकों के तीस बच्चों को सरकार सिविल सर्विस परीक्षा की कोचिंग करा रही है। इनके साथ ही 100 गरीब मेधावी बच्चों को विभिन्न परीक्षाओं की भी कोचिंग कराई जा रही है। प्रदेश में संस्कृत भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया गया है। राजकीय विश्वविद्यालयों में संस्कृत, कुमाऊंनी, गढ़वाली व जौनसारी भाषा अध्ययन केन्द्र संचालित किए जाएंगे। दीक्षान्त समारोह में कुलपति प्रो.केएस राणा ने विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या एवं भविष्य के कार्यक्रमों की रूपरेखा की जानकारी दी। संचालन कुलसचिव डाॅ.महेश कुमार ने किया।