SPIRITUALITY

यहां जानिए ,सूर्य ग्रहण पर क्या करें और क्या न करें

इस तरह के सूर्य ग्रहण का महायोग आज से 870 वर्ष पूर्व आया था 

आचार्य शिवप्रसाद ममगाईं
विधुमग्रस्तनक्षत्रात्षोडशं यदि सूर्यभम्।
अमावस्यां दिवाशेषे सूर्य ग्रहणमादिशेत्।।होड़ा चक्र श्लोक 200/ जातक परिचय में
जब दर्श ( अमावस्या) को सूर्य व चन्द्र युति कर रहे होते हैं । उस स्थिति में चन्द्र ग्रहण के बाद अमावस्या को चन्द्र नक्षत्र से सूर्य नक्षत्र 16वाँ होंने पर दिवाशेष ( अमा+ प्रतिपत्सन्धि ) में सूर्य ग्रहण की सम्भावना रहती है।।
राशिवश ग्रहण फल
त्रिषड्दशायोपगतं नराणां शुभप्रदं स्यात् ग्रहणं रविन्दोः।
द्विसप्त नन्देषु च मध्यमं स्याच्छेषेष्वनिष्टं मुनयो वदन्ति ।श्लोक201 होड़ाचक्र
मनुष्य के जन्म राशि से तृतीय षष्ठ, दशम, एकादश, स्थान में ग्रहण सम्भव हो, तो शुभ फल समझना चाहिए,। द्वितीय, सप्तम, नवम स्थान, गत ग्रहण सम्भव होंने पर साधारण फल जानना चाहिए, और यदि अष्टम, पञ्चम या द्वादश गत ग्रहण के पात होंने पर अनिष्ट फल होता है, जैसे मेष से तृतीय शुभ मिथुन राशि तीसरी पड़ती है वृष से द्वितीय तो मध्यम, मीन से चतुर्थ राशि में ग्रहण है तो अशुभ इसी तरह अपनी राशि से गणना करें
सूर्य ग्रहण 21 जून 2020 प्रभाव व उपाय
21 जून को साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। जो कि आषाढ़ महीने की अमावस्या को रहेगा। ये ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। यह ग्रहण वलयकार होगा, यह पूर्ण सूर्य ग्रहण से थोड़ा अलग होता है। हमारे देश में दिखाई देने के कारण इस ग्रहण का सूतक माना जाएगा। 21 जून को पड़ने वाले इस ग्रहण का असर न केवल हमारे देश बल्कि भारत सहित पड़ोसी देशों में तीव्रता से दिखाई देने के साथ ही विश्व के अन्य देशों पर भी दिखाई देगा। ये ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में मिथुन राशि पर होगा। इसका आरम्भ सुबह लगभग 10 बजकर 24 मिनट पर स्पर्श होगा, इसका मध्यकाल दोपहर 12 बजकर 5 मिनट पर होगा एवं इसका मोक्ष दोपहर 1 बजकर 48मिनट पर होगा। ग्रहण की पूरी अवधि लगभग साढ़े 3 घंटे 24मिनट की रहेगी। सूतक 20 जून को रात लगभग 10बजकर 24 से ही शुरू हो जाएगा ।सूतक काल में बालक, वृद्ध एवं रोगी को छोड़कर अन्य किसी को भोजन नहीं करना चाहिए। इस दौरान खाद्य पदार्थो में तुलसी दल या कुशा रखनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं को खासतौर से सावधानी रखनी चाहिए। ग्रहण काल में निद्रा और भोजन नहीं करना चाहिए। सुई धागा का प्रयोग चाकू, छुरी से सब्जी, फल आदि काटना भी निषिद्ध माना गया है। सूतक काल में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। ग्रंथों के अनुसार सूतक काल में कर्मकांडी पूजा पाठ और मूर्ति स्पर्श वर्जित होता है। इस दौरान कोई शुभ काम शुरू करना अच्छा नहीं माना जाता। केवल स्नान, दान, मन्त्र जाप, श्राद्ध और मन्त्र साधना के लिए ग्रहण काल उपयुक्त होता है। ग्रहण काल में इनका फल अनेकों गुना होता है।

जानिए किन-किन राशियों पर पड़ेगा ग्रहण का प्रभाव और का रखना होगा ध्यान 

इस सूर्य ग्रहण का अशुभ असर 8 राशियों पर रहेगा और 4 राशि वाले लोग ग्रहण के बुरे प्रभाव से बच जाएंगे।
मेष, सिंह, कन्या और मकर राशि वालों पर ग्रहण अशुभ प्रभाव नहीं रहेगा। जबकि वृष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों को सावधान रहना होगा।
इसमें वृश्चिक राशि वालों को विशेष ध्यान रखना होगा।
यह ग्रहण रविवार को होने से और भी प्रभावी हो गया है। इस ग्रहण के अशुभ प्रभाव से अतिवृष्टि ओला बाढ़ तूफान और भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी आ सकती हैं।
वर्तमान कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैलेगा बल्कि मृत्युदर में भी बहुत वृद्धि होगी।
सूर्य क्योंकि पालनकर्ता और पिता हैं, अतः लोगों की आजीविका को खतरा पैदा होगा। भरण पोषण के साधन अर्थात खाद्यान्न में कमी आएगी अनाज सब्जी महंगे होंगे। खाने की वस्तुओं की कालाबाजारी होगी। राजा अर्थात सरकारी कर्मचारी और जनप्रतिनिधि कमजोर पड़ेंगे। ये लोग अपनी असमर्थता के कारण अपयश पाएंगे। न्याय कमजोर पड़ेगा। न्याय प्रक्रिया में दया सहिष्णुता की कमी आएगी। अतः कठोर दंडविधान अमल में अधिक आएंगे। न्याय में भी कुछ अन्याय शामिल होगा। घर के मुखिया या पालनकर्ता के लिए संकट की स्थितियां बन सकती हैं।
उपाय…
इस सूर्य ग्रहण के दौरान स्नान, दान और मंत्र जाप श्राद्ध करना विशेष फलदायी रहेगा। ये स्मरण रहे केवल सनातन धर्म में ही आपदा को अवसर में बदलने की तकनीकें मिलती हैं जैसे सागर में ऊंची लहरें एक सर्फर के लिए सर्फिंग का अवसर होती है। होली दीवाली और अमावस पूर्णिमा पर पड़ने वाले व्रत त्यौहार इसका उदाहरण हैं। जिन आठ राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह कष्टप्रद है वे ग्रहण से सम्बंधित निर्देशों का पालन करें। ग्रहणकाल में नदी तट, गौशाला, देवालय या अपने घर के किसी साफ व शांत स्थान में बैठकर रामरक्षा स्त्रोत, गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें या सुने। आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। जितनी बार हो सके उतनी बार पाठ करें या संख्या का संकल्प लेकर राम नाम के मन्त्र का जप करें जी हाँ राम नाम सिर्फ नाम नहीं मन्त्र है और इसलिये कहते हैं राम से बड़ा राम का नाम है। श्री राम जय राम जय जय राम का मंत्र का चलते फिरते उठते बैठते मानसिक वाचिक जप करते रहें। यदि आपका साधना मार्ग है आप साधक हैं तब भी ग्रहण काल सिद्धि प्राप्ति के लिए एक अच्छा अवसर होता है। ग्रहण पर सबको राम कृष्ण देवी जो इष्ट देव का जाप करें।

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