CRIME

प्रदेश की शांत वादियां बनी देश की बदनाम गलियों के बदमाशों का ठिकाना !

  • मुम्बई के कुख्यात रावण गैंग के तीन शार्प शूटर देहरादून से गिरफ्तार

  • तीनों शार्प शूटर 10 दिन पहले ही आये थे देहरादून के प्रेमनगर

  • आरोपियों से दो पिस्टल व 12 कारतूस, एक तमंचा 12 बोर व चार कारतूस

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून । उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से यहाँ की शांत वादियों में देश की बदनाम गलियों के बदमाश अपना ठिकाना बनाकर अपने को पुलिस और अपने विरोधी गैंग से महफूज़ समझते रहे हैं। यही कारण है कि कभी बिहार के नामी बदमाश तो कभी पश्चिमी उत्तरप्रदेश सहित दिल्ली और मुंबई के बदमाश यहाँ से पुलिस को मिली सूचना के बाद गिरफ्तार होते रहे हैं। इसी क्रम में पुलिस ने मुम्बई के कुख्यात रावण गैंग के तीन शार्प शूटरों को पुलिस ने प्रेमनगर से गिरफ्तार कर किया है। पुलिस के अनुसार तीनों 10 दिन पहले ही देहरादून आए थे। यहां किसी वारदात को अंजाम देने के बाद आगे भाग निकलने की योजना थी। तीनों ही बदमाशों पर पूना में मकोका के तहत केस दर्ज हैं। 

पुलिस के अनुसार बीते सात जून को पूना में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्घ्यक्ष दातेसने के दफ्तर में तोड़फोड़ के मामले में तीनों का नाम सामने आया था। शूटरों की पहचान अक्षय प्रभाकर सांवले पुत्र प्रभाकर सांवले निवासी अककुरेडी शीतला देवी मंदिर सुदाय कारबोर साल थाना निगड़ी जिला पुणे, दिनेश पुखराज रेणुवा पुत्र पुखराज रेणुआ निवासी मोर बस्ती चिखली साईं बाबा मंदिर के पास मानेचल रूम नंबर 3 थाना निगड़ी जिला पुणे व आकाश गणेश पवार पुत्र गणेश पवार निवासी इंदिरा नगर डबल ट्री होटल के बगल में थाना पिंपरी जिला पुणे के रूप में हुई है।

पुलिस को तलाशी लेने पर आरोपियों के कब्जे से दो पिस्टल व 12 कारतूस, एक तमंचा 12 बोर व चार कारतूस, एक मोटर साइकिल (महाराष्ट्र नंबर की), सात मोबाइल फोन और अलग-अलग कम्पनियों के 10 सिम बरामद किए गए। सख्ती से पूछताछ करने पर आरोपियों ने बताया कि वह पुणे महाराष्ट्र से हैं और कुख्यात रावण गैंग के सक्रिय सदस्य हैं। वह दो साल से पहचान छिपाकर अलग-अलग शहरों में रह रहे थे।

पुलिस के अनुसार तीनों पिछले एक सप्ताह से प्रेमनगर, देहरादून में किराये के मकान में रह रहे थे। उनका सारा पैसा खत्म हो चुका था। इसलिए वह दून में लूट कर फरार होने की योजना बना रहे थे। बताया कि तीनों आरोपियों के खिलाफ मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) के तहत अभियोग भी दर्ज है। तीनों नवंबर 2017 से फरार चल रहे हैं। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद उच्चाधिकारियों व महाराष्ट्र पुलिस ने टीम को उचित ईनाम देने की घोषणा की है। 

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