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जापानी भू-स्खलन प्रबन्धन विशेषज्ञ दल ने वन मंत्री हरक सिंह रावत से की भेंट

देहरादून । जापानी भू-स्खलन प्रबन्धन विशेषज्ञ दल ने वन मंत्री डॉ0 हरक सिंह रावत से मुलाकात की।  वन मंत्री डॉ0 हरक सिंह रावत द्वारा जापान से आये दल के साथ विचार-विमर्श किया गया, तथा उनके द्वारा उत्तराखण्ड में भू-स्खलन  के उपचार के लिए उपयोग होने वाली नवीनतम जापानी तकनीकों पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि कुछ दशकों में जापान द्वारा सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से होनेवाले नुकसान के समाधान के क्षेत्र में की गयी प्रगति एवं अधिकतम तकनीकी विकास के सम्बन्ध विश्व परिचित हुआ है। जिसे देखते हुए भारत एवं उत्तराखण्ड तथा सभी हिमालयी राज्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रबन्धन में अन्य तकनीकों से परिचित होने के लिए जापान से बहुत कुछ सीख सकते हैं। 

डॉ0 रावत ने कहा कि जापान, भारत सरकार एवं उत्तराखण्ड सरकार के मध्य माह अगस्त, 2016 में एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसके अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य में भू-स्खलन क्षेत्रों के उपचार के लिए नयी जापानी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना सुनिश्चित हुआ। इस परियोजना पर होने वाला तकनीकि सहयोग, प्रशिक्षण, विशेषज्ञों का भ्रमण आदि पर होने वाला व्यय जापान सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। पर्वतीय राज्य होने के कारण भू-स्खलन उत्तराखण्ड के लिए बड़ी समस्या हैं। भू-स्खलन के कारण न केवल सड़के तथा मूलभूत संचार सेवाऐं दुष्प्रभावित होती है, अपितु वन क्षेत्रों पर भी इनका बुरा प्रभाव पड़ता है। यह परियोजना वन विभाग की क्षमता के विकास पर राज्य में वन क्षेत्रों के अन्तर्गत समस्या का बेहतर तरीके से प्रबन्धन करने में सहायक होगी। राज्य के वन विभाग के अधिकारियों को जापान द्वारा भू-स्खलन से सम्बन्धी आपदाओं के प्रबन्धन करने की आधुनिकतम तकनीक की जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।

इस सम्बन्ध में जापान से विशेषज्ञों का एक दल देहरादून आया हुआ है, जिसने परियोजना पर काम करना प्रारम्भ कर दिया है। बैठक में अनूप मलिक, मुख्य परियोजना निदेशक, जायका परियोजना भी उपस्थित रहे।

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