- जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने नमामि गंगे परियोजना पर खड़े किए सवाल
- तबादला एक्ट में मानवीय पहलुओं को ध्यान में रख कर हो संशोधन
- मंत्रियों की पत्नियों और उत्तरा के लिए एक्ट अलग-अलग नहीं हो सकता
देहरादून। पूर्व सीएम हरीश रावत और जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने नमामि गंगे परियोजना पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि गंगा बेसिन ऑथरिटी के दौरान हुए कार्य नमामि गंगे परियोजना से बेहतर था। उन्होंने कहा कि इस वक्त हिमालय और गंगा पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
जलपुरुष के नाम से मशहूर राजेन्द्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर संगीन आरोप लगाए है। उनका कहना है कि पिछले 4 सालों में गंगा नदी में कोई नया काम नहीं किया गया है। बुधवार को देहरादून में राजेंद्र सिंह ने मोदी सरकार और राज्य सरकार को घेरे में लिया। इस दौरान पूर्व सीएम हरीश रावत ने नमामि गंगे परियोजना पर सवाल उठाए।
राजेन्द्र सिंह ने कहा कि हिमालय और गंगा पर इस वक्त सबसे बड़ा खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने मोदी सरकार की नमामि गंगा योजना पर सवाल उठाए और कहा कि गंगा को लेकर मोदी सरकार गंभीर नहीं है। कहा कि पिछले 4 साल में कोई नया काम गंगा में नहीं हुआ है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मुझसे मार्च 2019 तक का समय मांगा था। प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा के नाम पर वोट मांगे थे। लेकिन मां गंगा के बेटे वादा कर के भूल गए। आज गंगा आईसीयू में भर्ती है। गंगा बेसिन ऑथोरिटी में अच्छा काम हुआ था। मोदी सरकार के कार्यकाल में गंगा स्वच्छता पर कोई काम नहीं हुआ। गंगा की स्वछता और निर्मलता की बात सिर्फ सपने देखने जैसा है। मोदी सरकार गंगा के नाम पर सिर्फ राजनीतिक लाभ ले रही है। ऑल वेदर रोड से पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। इस परियोजना से 2013 की आपदा से ज्यादा भयानक प्रलय का खतरा है।
2014 में मोदी ने कहा था कि वे गंगा के बेटे है और मां गंगा ने उन्हें बुलाया है। साढ़े चार साल में उद्गम से गंगा सागर तक मैंने दो बार यात्रा की लेकिन कहीं भी मुझे कोई परिवर्तन नहीं दिखा। चाहे गडकरी कितने दावे कर लें, लेकिन मार्च 2019 तक गंगा निर्मल कत्तई नहीं हो सकती है। जीडी अग्रवाल से वायदा करके भी पीएम मोदी ने कभी गंगा के बारे में बात नहीं की। राजेंद्र ने कहा कि मैंने 35 सालों में 11 छोटी नदियों को पुनर्जीवित करने का काम किया है। आज मैं गंगा की हालत देख कर दुखी हूं।
इस दौरान राजेंद्र सिंह ने उत्तराखंड सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा रिस्पना-कोसी नदी को बचाने की योजना को महज एक इवेंट बताया। कहा कि रिस्पना नदी पुनर्जीवित करने को लेकर सरकार ने केवल पब्लिसिटी की है। मैंने राज्य सरकार को तीन सलाह दी थी जो नहीं मानी गईं। कहा कि रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करना राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनेगा।
वहीं हरीश रावत ने कहा कि मानवीय पहलुओं को ध्यान में रख कर तबादला एक्ट में संशोधन किया जाना चाहिए। उसे रद्द कर दोबारा बनाया जाना चाहिए। उत्तरा पंत बहुगुणा पर हरीश रावत ने कहा कि मंत्रियों की पत्नियों और उत्तरा के लिए एक्ट अलग-अलग नहीं हो सकता। एक्ट सबके लिए बराबर होना चाहिए। कहा कि आज स्वच्छ जल मानव की पहली प्राथमिकता है।
पत्रकार वार्ता में सुरेंद्र अग्रवाल, सुशील राठी, ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी भी मौजूद रहे।