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अदृश्य ग्रह की कई देशों के वैज्ञानिक मिलकर करेंगे खोज़

नैनीताल : हमारे सौर मंडल का नौवां ग्रह अभी वैज्ञानिकों की नजरों से ओझल है। इस नए ग्रह को वैज्ञानिकों ने प्लेनेट एक्स नाम दिया है। अब दुनिया के कई वैज्ञानिक एकजुट होकर इसकी तलाश करेंगे। आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान एवं शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वैज्ञानिकों में भी इस ग्रह को लेकर उत्सुकता बनी हुई हैं।

कभी प्लूटो सौरमंडल का नौवां ग्रह हुआ करता था। वर्ष 2006 में ग्रह की परिभाषा बदल जाने के बाद इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमी यूनियन ने उसे ग्रह की श्रेणी से बाहर कर दिया। अब प्लेनेट एक्स के होने की संभावना कई वैज्ञानिकों ने जताई है, जो हमारे सौरमंडल के कूपर बेल्ट में मौजूद हो सकता है, परंतु अभी इस ग्रह को खोजा नही जा सका है।

यह ग्रह भार में पृथ्वी से दस गुना अधिक है, जबकि आकार में चार गुना बड़ा। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ग्रह तक सूर्य का प्रकाश पहुंचने में छह दिन का समय लग जाता है। ग्रह को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 20 हजार वर्ष का समय लग जाता है।

इस ग्रह को आसमान में खोजने के लिए वैज्ञानिकों ने दिशा तय कर ली है। जहां यह मौजूद हो सकता है। माना जा रहा है कि वर्तमान यह ग्रह सूर्य के दूरतम बिंदू पर है। बड़ी दूरदर्शी के जरिए ही इसे खोजा जाना संभव हो सकेगा।

आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे का कहना है कि प्लेनेट एक्स की मौजूदगी को लेकर वैज्ञानिक काफी समय से चर्चा कर रहे हैं। यदि यह ग्रह खोज लिया जाता है तो खगोल विज्ञान के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी।

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