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कुलभूषण जाधव की फांसी पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने लगाई रोक,पाक ने मुंह की खाई

  • भारत की जोरदार दलीलों के आगे पाकिस्तान हुआ लाचार

  • ICJ ने पाक से जाधव को काउंसलर एक्सेस देने को कहा

  • ICJ :पाकिस्तान का व्यवहार वियना कन्वेंशन का उल्लंघन

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

हेग (नीदरलैंड )  : पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को ईरान से जबरदस्ती अगवा कर कथित जासूसी के आरोप में पाकिस्तानी सैन्य कोर्ट द्वारा फांसी की सजा देने के मामले में आज अंतरराष्ट्रीय न्यायालय अपना फैसला सुना दिया। इस फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय अदालत में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है। अदालत ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी है।  इस मामले में भारत की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की जोरदार दलीलों के आगे पाकिस्तान शुरू से ही लाचार नजर आ रहा था। नीदरलैंड के द हेग में स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारतीय समयानुसार शाम 6:30 बजे फैसला सुनाया गया। कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अब्दुलकावी अहमद यूसुफ ने फैसला पढ़कर सुनाया। 

भारतीय नेवी ऑफिसर कुलभूषण जाधव मामले में भारत की पाकिस्तान पर बड़ी जीत हासिल हुई है। मामले में नीदरलैंड के हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने भारत के पक्ष में फैसला दिया है। वहीं आइसीजे के कानूनी सलाहकार रीमा ओमर के अनुसार कोर्ट ने पाकिस्तान से जाधव को काउंसलर एक्सेस देने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने फांसी की सजा पर प्रभावी समीक्षा और पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है।भारत के पक्ष में यह फैसला 15-1 से आया।

फैसले के दौरान 16 में से 15 जजों ने भारत के पक्ष में फैसला दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि पाकिस्तान ने भारत को कुलभूषण से बात करने और उसे कानूनी सहायता उपलब्ध कराने से रोका है। कोर्ट ने कहा कि पाकिस्तान का व्यवहार वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है। अदालत ने जाधव की फांसी पर रोक लगाते हुए कहा कि यह रोक तबतक रहेगी जब तक पाकिस्तान प्रभावी तौर से इस पर पुनर्विचार नहीं करता।

इससे पहले मामले की सुनवाई के लिए नीदरलैंड में भारत के राजदूत वीनू राजामोनी और विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान) दीपक मित्तल न्यायालय पहुंचे। कोर्ट ने कुलभूषण जाधव को भारतीय नागरिक मान लिया है। कोर्ट ने कहा कि कई मौकों पर पाकिस्तान की तरफ से जाधव को भारतीय नागरिक कहकर संबोधित किया गया।

गौरतलब है कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने कुलभूषण को फांसी की सजा सुनाई थी। इसे लेकर भारत द्वारा की गई अपील पर तकरीबन पांच महीने पहले दोनों देशों के वकीलों बीच हुई बहस के बाद कोर्ट ने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था।

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