ALMORA

अल्मोड़ा में नेचुरल फाइबर सेंटर को केंद्र सरकार की हरी झंडी

केंद्र सरकार ने जारी की 20 करोड़ की धनराशि

पूर्व कपड़ा राज्यमंत्री अजय टम्टा के प्रयासों को लगे पंख 

मुख्यमंत्री की पहल पर भूमि वस्त्र मंत्रालय को स्थानांतरित

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

नेचुरल फाइबर केंद्र की स्थापना से राज्य में उपलब्ध विशेष संसाधनों के आधार पर उद्योगों की स्थापना और निर्यात के अवसर प्राप्त होंगे। वहीं, स्थानीय लोगों को नेचुरल फाइबर से आय प्राप्त होगी।

– सुधीर चंद्र नौटियाल, निदेशक, उद्योग विभाग।

देहरादून : अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्राकृतिक रेशा से बने कपड़ों की मांग को देखते हुए उत्तराखंड में पायी जाने वाली हिमालयन नेटल (कंडाली), भांग, भीमल, रामबांस, भाबर घास पर रिसर्च और रेशा तैयार करने के लिए अल्मोड़ा में नेचुरल फाइबर पर आधारित सेंटर आफ एक्सीलेंसी स्थापित करने के लिए वस्त्र मंत्रालय भारत सरकारने सेंटर निर्माण के लिए पहली किस्त के तौर पर 20 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी है। यह केंद्र पूर्व कपड़ा राज्यमंत्री अजय टम्टा के प्रयासों से बनने जा रहा है हालांकि वे अब मोदी-2 सरकार में मंत्री नहीं है लेकिन उनके द्वारा अपने पूर्व मंत्रित्वकाल में किया गया प्रयास अब साकार रूप लेने वाला है। वे वर्तमान में अल्मोड़ा लोकसभा से सांसद हैं। इस केंद्र के स्थापित होने के बाद हिमालयन नेचुरल फाइबर को बढ़ावा देने के लिए यह देश का पहला सेंटर होगा।

गौरतलब हो कि इस सेंटर को नार्दन इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (निट्रा) के माध्यम से स्थापित किया जायेगा । प्रदेश सरकार ने  मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल और निर्देश पर पर स्थापित होने वाले इस सेंटर के लिए एक एकड़ भूमि वस्त्र मंत्रालय को स्थानांतरित कर दी है।   

उल्लेखनीय है कि बीते दिनों दिल्ली में वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी ने पर्यटन, कृषि, संस्कृति विभाग और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। उन्होंने इस सेंटर को पर्यटन और संस्कृति की दृष्टि से विकसित करने को कहा है। ताकि बाहर से आने वाले पर्यटकों को नेचुरल फाइबर से तैयार उत्पादों के प्रति आकर्षित किया जा सके। नेचुरल फाइबर को बढ़ावा मिलने से पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों को आजीविका के संसाधन उपलब्ध होंगे। इस बैठक में प्रदेश से प्रमुख सचिव मनीषा पंवार और उद्योग निदेशक सुधीर चंद्र नौटियाल ने भाग लिया था। 

गौरतलब हो कि उत्तराखंड में कंडाली, भांग, भीमल, रामबांस, भाबर घास के रेशे से तैयार कपड़ों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी डिमांड है। पूरे उत्तराखंड में 95 प्रतिशत से अधिक वनस्पतियां रेशा प्रजाति की पाई जाती है। प्रदेश में उत्तराखंड बांस एवं रेशा विकास परिषद ने कुछ प्रजातियों को व्यवसायिक तौर पर चिन्हित किया है।

Related Articles

Back to top button
Translate »