- इस बार 40 चरवाहों के दल पहुंचे थे बड़ाहोती
- सरहदी गांवों की बसावट में कोई असर नहीं
पूरन भिलंगवाल
जोशीमठ : सिक्किम में डोकलाम विवाद के बाद चमोली जिले के बड़ाहोती को लेकर भारत और चीन के बीच पैदा हुई तल्खी के बावजूद भारतीय चरवाहे स्वच्छंद रूप से बड़ाहोती में अपनी भेड़ बकरियों को चरा रहे हैं। प्रशासन ने इसकी पुष्टि की है। बड़ाहोती में चरवाहों की दो टोलियां साढ़े सात हजार भेड़ बकरियों के साथ मौजूद हैं। यह लोग शायद इस माह के अंत तक ही बड़ाहोती से लौटेंगे। बड़ाहोती सीमा पर स्थित रिमखिम चौकी में सदैव आईटीबीपी के जवान तैनात रहते हैं।
बाडाहोती के भारतीय भू-भाग में प्रशासन की अनुमति से प्रतिवर्ष अप्रैल माह में चरवाहे भेड़-बकरियों के साथ जाते हैं और जुलाई अंत में लौट आते हैं। लेकिन इस बार बाडाहोती में अच्छी घास होने के कारण चरवाहों ने लगभग 15 दिन बाद वापसी शुरू की है। प्रशासन की अनुमति से इस बार 40 चरवाहों के दल 15 हजार से अधिक भेड़ बकरियों की खुली चराई के लिए बड़ाहोती पहुंचे थे।
सरहदों में दूसरी पंक्ति के रक्षक गांवों में भी बड़ाहोती को लेकर कोई खौफ नजर नहीं आ रहा है। इन गांवों में सवा तीन हजार से अधिक भोटिया जनजाति के ग्रामीण निवास कर रहे हैं, जो दशहरे के दौरान अपने ग्रीष्मकालीन प्रवास के लिए लौटेंगे। स्थानीय निवासी राजेन्द्र रावत, धीरेन्द्र गरोडिया, लक्ष्मण बुटोला कहते हैं कि पूरी नीति मलारी घाटी में आज भी चलह-पहल पहले की तरह है।
एसडीएम जोशीमठ योगेन्द्र सिंह का कहना है कि सरहदी गांवों की बसावट में कोई कमी नहीं आयी है। यातायात के साधन सुलभ होने के कारण ग्रामीण नीचले प्रवासों में भी आ जा रहे हैं। अब भी नीति मलारी घाटी में सवा तीन हजार से अधिक ग्रामीण निवास कर रहे हैं। अंतिम चौकी रिमखिम में आईटीबीपी समेत बार्डर सड़क निर्माण में जुड़ी एजेन्सी के प्रतिनिधि व लेबर समेत 1500 से अधिक लोग मौजूद हैं। चरवाहे जो जुलाई अंत में बाडाहोती से लौटते थे इस बार 15 से बीस दिनों के बाद वापसी कर रहे हैं।