टौंस नदी में बस दुर्घटना के मामले में मृतकों की संख्या 46 पहुंची
नरेश ने बताई दर्दनाक हादसे की हकीकत
नेरवा। रोहनाट
सिरमौर-शिमला की सीमा पर चौपाल उपमंडल के नेरवा थाने के अंतर्गत टौंस नदी में बस दुर्घटना के मामले में मृतकों की संख्या 46 पहुंच गई है। जबकि 3 यात्री टौंस नदी के तेज बहाव में बह गए है। वहीं बस के कंडक्टर सहित एक अन्य यात्री ने बस से छलांग लगाकर अपनी जान बचाई।
इस पूरे मामले की पुष्टि शिलाई के तहसीलदार एमआर शर्मा ने की है। उन्होंने बताया कि अभी तक मिल रही जानकारी के अनुसार बस में कुल 51 यात्री सवार थे , जिनमें से 46 की मौके पर ही मौत हो चुकी है। जबकि तीन यात्री नदी में बह गए है। दो ने छलांग लगाई जान बचाई है।
उन्होंने बताया कि रेस्क्यू आपेशन जारी है। सनद रहे कि निजी बस के टौंस नदी में आज सुबह करीब 11 बजे समा गई। उत्तराखंड की निजी बस विकास नगर से नेरवा आ रही थी। शिलाई व रोहनाट के अलावा शिमला पुलिस भी मौके पर पहुंच चुकी है। हालांकि बस में कितने यात्री सवार थे, इसकी जानकारी में समय लगेगा। बस इतनी गहरी खाई में गिरी है, जहां किसी के भी बचने की गुंजाइश नहीं है। हादसा रोहनाट-चौपाल मार्ग पर गुम्मा के समीप हुआ है।
वहीँ बुधवार को हिमाचल में हुए बस हादसे का सच सामने आया है। हादसे की जो वजह सामने आ रही है अगर उसे पहले ही ध्यान किया जाता तो शायद हादसा होता ही ना।विकासनगर से त्यूनी(कैराड़) के लिए रवाना हुई बस में मीनस के समीप खराबी आ गई थी। बस के स्टेयरिंग में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। बस के खाई में गिरने से पहले संयोगवश गूमा गांव निवासी नरेश ने कूद कर अपनी जान बचाई।
बकौल नरेश मीनस के समीप बस के स्टेयरिंग का नट निकल गया था। तब चालक ने जुगाड़ कर इसके ठीक कर दिया। उस दौरान यात्रियों ने इस पर ऐतराज भी जताया। बस को सड़क किनारे खड़ा करने को कहा, लेकिन फिर से बस गंतव्य के लिए रवाना हो गई।
मीनस से करीब 25 किमी आगे बस काल के गाल में समा गई। परिचालक तुलसी के अनुसार बस का कमानी पट्टा टूट गया। हालांकि परिवहन विभाग के मुआयने के बाद ही दुर्घटना के कारण स्पष्ट हो सकेंगे।
क्षेत्र पंचायत सदस्य रमला, चंद्रमोहन शर्मा ने आरोप लगाया कि अटाल और मीनस के बीच का हिस्सा हिमाचल प्रदेश में पड़ता है। इस रूट पर अधिकांश खटारा बसे दौड़ती हैं। वाहनों की चेकिंग नहीं की जाती। उनकी फिटनेस भी नहीं होती।
वाहनों में क्षमता से अधिक सवारी ढोई जाती है। सड़क पर कई हादसे हो चुके हैं, लेकिन दोनों ही राज्यों के जिम्मेदार महकमे हरकत में नहीं आए हैं। एआरटीओ प्रवर्तन विकासनगर रत्नाकर सिंह ने बताया कि बस का वर्ष 2016 में रजिस्ट्रेशन हुआ था। बस का फिटनेस भी है। टेक्निकल मुआयने के बाद ही दुर्घटना के कारण स्पष्ट हो सकेंगे।