बोरियों और कट्टों में भरकर निकाले जा रहे शव
चॉपर से खाई में SDRF जवानों ने ढूंढे शव
नेरवा। रोहनाट : हिमाचल के गूमा के समीप हुए भीषण बस हादसे ने एक बार फिर हिमाचल के साथ ही उत्तराखंड की आपदा प्रबंधन की पोल खोल कर रख दी। बिना संसाधन के मौके पर पहुंची हिमाचल और उत्तराखंड पुलिस लाचार नजर आई।
शव को निकालने के लिए मौके पर स्ट्रेचर तक की व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में शवों को किसी तरह बोरियों और रस्सों के सहारे निकाला गया। यही वजह रही कि शाम पांच बजे तक मात्र तीन शवों को ही निकाला जा सका था।
राहत एवं बचाव कार्य के लिए दून से एसडीआरएफ की टीम बुलानी पड़ी। रेस्क्यू ऑपरेशन में दोनों ही राज्यों के लोगों ने भी सहयोग किया। दुर्घटना की खबर लगने पर सबसे पहले नेरूवा पुलिस मौके पर पहुंची।
करीब 800 मीटर नीचे टोंस में गिरी बस को देख पुलिस कर्मियों के होश उड़ गए। बस के परखच्चे उड़े हुए थे। संसाधन के बिना पुलिस कर्मी लाचार नजर आई। नीचे खाई में उतरने के लिए रास्ता नहीं था।
ऐसे में पुलिस कर्मियों ने लोगों की मदद से झाड़ियां काट कर किसी तरह नदी तक पहुंचाने का रास्ता बनाया। नदी तक पुलिस कर्मी और ग्रामीण पगडंडियों पर करीब ढाई से तीन किमी की पैदल दूरी नाप कर पहुंचे।
यहां जहां-तहां लाशे बिखरी पड़ी देख उनके रोंगटे खड़े हो गए। बमुश्किल शवों की पहचान की जा सकी। पुलिस अभी भी शवों को निकालने में जुटी ।
उत्तराखंड से लगी हिमाचल प्रदेश की सीमा में बुधवार सुबह हुए बस हादसे में राहत बचाव कार्यों के बीच एसडीआरएफ की टीम को चॉपर से नदी में उतारा गया। अपर पुलिस महानिदेशक राम सिंह मीणा को भी एक हजार फीट नीचे गिरी बस का हवाई निरीक्षण किया। हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों से समन्वय बनाकर देर रात तक कार्रवाई चलती रही।
विकासनगर से बुधवार तड़के पांच बजे मीनस के रास्ते त्यूनी के लिए रवाना हुई यह बस हिमाचल प्रदेश की सीमा में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। 46 यात्रियों को लेकर जा रही यह बस तकनीकी खराबी के कारण एक हजार फीट नीचे गहरी खाई में जा गिरी। पुलिस महानिदेशक एमए गणपति ने बस के गिरने की सूचना मिलते ही हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों को घटना की जानकारी देने के साथ यहां से अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था राम सिंह मीणा, एसडीआरएफ और अन्य अधिकारियों को तत्काल मौके पर भेज दिया।
एडीजी मीणा चॉपर से घटनास्थल के लिए रवाना हुए। हैलीकाप्टर को घटनास्थल से 10 किलोमीटर पहले उतारा गया, लेकिन घटनास्थल एक हजार फीट नीचे होने के कारण वहां पैदल जाना संभव नहीं था।
एडीजी ने हैलीकाप्टर को नीचे उतारकर घटनास्थल का हवाई निरीक्षण कि या। एसडीआरएफ कमाडेंट जगत राम जोशी भी जवानों को लेकर चॉपर से गए।
जवानों को चॉपर से ही नीचे उतारा गया। एसएसपी स्वीटी अग्रवाल और एसपी देहात श्वेता चौबे विकासनगर इंस्पेक्टर संदीप नेगी, एसओ प्रेमनगर नरेश राठौड आदि को लेकर सड़क मार्ग से घटनास्थल पर गए। डीआईजी पुष्पक ज्योति ने उत्तरकाशी और त्यूनी से एसडीआरएफ को मौके पर भेजने के साथ हिमाचल के अधिकारियों से लगातार बात होती रही।
पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड,एमए गणपति ने बताया कि हिमाचल के अधिकारी और पुलिस सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंच गई थी। मदद के लिए यहां से एसडीआरएफ और एडीजी कानून व्यवस्था राम सिंह मीणा को मौके पर भेजा गया। हादसे में मरे 45 लोगों के शवों को बरामद कर लिया गया है। इनमें 28 पुरुष, 10 महिलाएं और सात बच्चे शामिल है। 24 शवों की अभी पहचान नहीं हो सकी है। इन सभी डीएनए सैंपल सरक्षित किए गए है। बस कंडक्टर और एक बालक मौत के मुंह से बचकर आए है।
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