Uttarakhand

हाई कोर्ट ने सीबीआई से पूछा बताओ NH-74 जमीन घोटाले में क्या हुई प्रगति ?

  • हाई कोर्ट ने NH-74 घोटाले का जिन्न एक बार फिर निकाला बाहर !
  • जांच में प्रगति पर अगली सुनवाई 28 अक्टूबर नियत
  • सीबीआई को 28 अक्टूबर को देना होगा जवाब

देहरादून : राष्ट्रीय राजमार्ग-74 के लिए भूमि अधिग्रहण में हुए करोड़ों के घोटाले के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए सीबीआइ से जवाब मांगा है कि राज्य सरकार की संस्तुति के बाद अब तक जांच करने की दिशा में अभी तक क्या प्रगति है। 

गौरतलब हो कि नैनीताल हाई कोर्ट ने एनएच -74 मामले में भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले के खिलाफ दायर रुद्रपुर निवासी  राम नरायन व अन्य की जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के बाद अगली सुनवाई की तिथि 28 अक्टूबर नियत की है।  मामले  हाई कोर्ट ने सीबीआई से राज्य सरकार की संस्तुति के सन्दर्भ में अब तक हुई प्रगति के संबंध में जवाब पेश करने को कहा है। रुद्रपुर निवासी राम नारायण रायन ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि एनएच 74 के चौड़ीकरण के लिए वर्ष 2014 में सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर भूमि का अधिग्रहण किया था।

उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन रुद्रपुर सहित भूमि अध्याप्ति अधिकारी ने जिस भूमि को अधिग्रहण किया था उस जमीन को अधिकारियों की मिलीभगत से कृषि भूमि दर्शाया गया, जबकि यह भूमि वर्ष 2010 व 11 से ही व्यवसायिक भूमि के रूप में दर्ज है। इस मामले की जांच 2016 में तत्कालीन कमिशनर ने की थी, जिसमें करोड़ो रुपये के भूमि घोटाले की पुष्टि हुई थी।

वहीँ मामले के प्रकाश में आने के बाद त्रिवेन्द्र रावत सरकार पूरे मामले की सीबीआइ जांच करने की संस्तुति की थी। गुरुवार को हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने सीबीआइ के अधिक्वता से उत्तराखंड सरकार की संस्तुति पर क्या निर्णय लिया गया है। इसकी प्रगति  रिपोर्ट 28 अक्टूबर तक कोर्ट में पेश करने को कहा है।  

वहीँ मामले के चर्चा में आ  जाने के बाद  इस मामले में नेशनल हाइवे अथारिटी (NHAI) के अधिकारियों की संलिप्तता की भी चर्चा सत्ता के गलियारों में गुंजी थी और हाई वे के अधिकारी इस मामले को लेकर केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी   तक से मिलकर प्रदेश सरकार के नाम  एक चिट्ठी लिखवाकर आ गए , लेकिन यह पत्र कहीं से मीडिया तक लीक हो गया था।  इस पत्र में  केंद्रीय मंत्री ने  मुख्यमंत्री उत्तराखंड को लिखा कि यदि मामले की CBI जांच हुई तो NHAI के अधिकारियों का मनोबल गिर सकता है।

वहीँ पत्र के मिलने के बाद जानकारी में आया कि NHAI के अधिकारियों के मनोबल को गिरने से बचाने के लिए CBI ने जांच से मुंह फेर लिया।अब अदालत के जांच की प्रगति के बारे में पूछे  जाने के बाद सीबीआई दफ्तर से लेकर देहरादून और दिल्ली के NHAI के दफ्तरों तक सनसनी फैल गयी है। 

devbhoomimedia

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