NATIONAL

IFS संजीव चतुर्वेदी ने वन मंत्री के खिलाफ मानहानि का मुक़दमा ठोंकने की मांगी इजाजत

वनसेवा के अधिकारी की गिरफ्त में फंसा वन मंत्री 

देहरादून  :  नेता जब कुर्सी पर क्या बैठते हैं अपने को खुदा से कम नहीं समझते यह धारणा जनता की ही नहीं बल्कि अधिकारियों में भी सरे आम रही है । एम्स में भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वाले भारतीय वन सेवा के अधिकारी व मैग्ससे अवार्ड विजेता संजीव चतुर्वेदी ने उत्तराखंड के वन मंत्री दिनेश अग्रवाल के खिलाफ मुख्य सचिव व प्रमुख वन संरक्षक से वन मंत्री के खिलाफ मानहानि की कार्रवाई करने की इजाजत मांगी है।

गौरतलब हो कि वन मंत्री दिनेश अग्रवाल ने 18 दिसंबर को हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय चिडिय़ाघर के शिलान्यास के दौरान संजीव चतुर्वेदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि अधिकारी हैं राज्य चलाने की कोशिश न करें, वह दिल्ली मांग रहे थे लेकिन नहीं मिली, इसलिए पोस्टिंग के लिए अफसर टीका टिप्पणी करते हैं।

इस बयान को लेकर संजीव ने वन मंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि हरियाणा में मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री और अफसरों के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें लगातार दो साल 2010-11 में एसीआर पर आउट स्टैंडिंग परफार्मेंस दी है । इसलिए उन्हें अब किसी उनसे निचले दर्जे से  काम करने का सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता नहीं है। चेतावनी भरे लहजे में कहा कि भ्रष्टाचार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, हरियाण के पूर्व सीएम हुड्डा को भी कोर्ट खींच ले गए हैं।

उन्होंने कहा अगर उन्हें यहां भी (उत्तराखंड में) सीएम, कैबिनेट मंत्री और अफसर भ्रष्टाचार में लिप्त मिलता है तो उसको भी घसीट कर कोर्ट ले जाएंगे। उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस  के शीर्ष नेतृत्व ने अपनी साइट पर उनके चेहरे का पोस्टर के रूप में प्रयोग किया। साथ ही भाजपा के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया है। खुद रणदीप सुरजेवाला, दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री जयराम रमेश, गुलाम नबी आजाद उनके पक्ष में बयान तक जारी कर चुके हैं।

उन्होंने कहा दिनेश अग्रवाल को अपनी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर भरोसा नहीं है तो वह कांग्रेस से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ें। चतुर्वेदी ने मुख्य सचिव एस रामास्वामी व प्रमुख वन संरक्षक आरके महाजन से अखिल भारतीय सिविल सेवा की आचरण नियमावली के नियम-17 के तहत दिनेश अग्रवाल के खिलाफ एक्शन लेने के लिए अनुमति मांगी है। साथ ही दिनेश अग्रवाल से भी उनके दिल्ली में तैनाती मांगे जाने का सबूत देने को भी कहा है।

उल्लेखनीय हो कि अखिल भारतीय सेवा आचरण नियमावली के नियम-17 के तहत यदि ड्यूटी के दौरान अधिकारी पर कोई भी व्यक्ति टीका टिप्पणी करता है,जिससे उसकी छवि धूमिल होती है तो वह शासन से प्रेस कांफ्रेंस की अनुमति मांग कर पूरे मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट कर सकता है और मानहानि का मामला तक दर्ज करा सकता है। यदि शासन 45 दिनों के भीतर अनुमति नहीं देता है तो वह बिना अनुमति के कार्रवाई  भी कर सकता है।

devbhoomimedia

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : देवभूमि मीडिया.कॉम हर पक्ष के विचारों और नज़रिए को अपने यहां समाहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जरूरी नहीं है कि हम यहां प्रकाशित सभी विचारों से सहमत हों। लेकिन हम सबकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का समर्थन करते हैं। ऐसे स्वतंत्र लेखक,ब्लॉगर और स्तंभकार जो देवभूमि मीडिया.कॉम के कर्मचारी नहीं हैं, उनके लेख, सूचनाएं या उनके द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका निजी है, यह देवभूमि मीडिया.कॉम का नज़रिया नहीं है और नहीं कहा जा सकता है। ऐसी किसी चीज की जवाबदेही या उत्तरदायित्व देवभूमि मीडिया.कॉम का नहीं होगा। धन्यवाद !

Related Articles

Back to top button
Translate »