IFS संजीव चतुर्वेदी ने CVC पर भ्रष्टाचार के मामलों को दबाने का लगाया आरोप
- CVC की राष्ट्रपति से की आईएफएस संजीव चतुर्वेदी ने शिकायत
- केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) केवी चौधरी पर लगे आरोप
देहरादून : दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भ्रष्टाचार के मामलों की पुष्टि होने के बाद भी आरोपियों को बचाने और मामले बंद करवाने के मामले में मैग्ससे अवार्ड प्राप्त आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) केवी चौधरी पर भ्रष्टाचार के मामलों को दबाने का आरोप लगाया है। इस संबंध में उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर सीवीसी को निलंबित कर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से जांच करवाने की मांग की है। संजीव ने इस शिकायत के समर्थन में एक हजार पन्नों की जांच रिपोर्ट भी राष्ट्रपति को भेजी है। जिसमें उन्होंने बताया कि सीवीसी ने किस तरह मामले को दबाने हुए आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है । वहीँ राष्ट्रपति को भेजे पत्र में संजीव ने सीवीसी पर आरोप लगाया कि वह भ्रष्ट नेताओं और अफसरों को औजार की तरह इस्तेमाल हो रहे हैं।
आईएफएस अधिकारी चतुर्वेदी ने दिल्ली एम्स में मुख्य सतर्कता अधिकारी रहते हुए 2012 से लेकर 2014 के बीच हुए भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर किए थे। उन्होंने इन सभी मामालों की जांच सीबीआई से भी करवाई थी। सीबीआई की जांच में चार मामलों में भ्रष्टाचार की पुष्टि भी की हुई है । जिसमें तत्कालीन एम्स निदेशक, एंडोक्रायोलॉजी विभागाध्यक्ष सहित कुल चार लोगों को सीबीआई ने भ्रष्टाचार का दोषी पाया था।
नियमानुसार सीबीआई की जांच के आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सीवीसी को कार्रवाई करने के निर्देश देता है। संजीव का आरोप है कि बावजूद इसके आरोप सिद्ध होने के बाद भी सीवीसी ने करोड़ों के भ्रष्टाचार के आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की। साथ ही नियम ताक पर रखकर बिना एम्स की इंस्टीटयूशनल बॉडी की अनुमति लिए ही सभी मामले बंद करवा दिए।
एक हज़ार पन्नो की जांच रिपोर्ट में है इन मामलों का लेखा -जोखा
-दिल्ली एम्स में 7 हजार करोड़ के निर्माण कार्यों में घोटाला, जिसमें तत्कालीन निदेशक को भ्रष्टाचार का दोपी पाया गया।
-दिल्ली एम्स के लिए करोड़ों के प्रोपराइटी आइटम (पेटेंट आइटम) की खरीद बेटे और बहू की कंपनी से बाजार भाव से काफी ज्यादा दाम पर की गई।
-एम्स दिल्ली के सर्जरी वार्ड में बिना जरूरत के करोड़ों के उपकरणों की खरीदारी चुनिंदा कंपनी से हुई। यह उपकरण बिना उपयोग के ही बेकार हो गए।
-एम्स दिल्ली के एंडोक्रायोलॉजी विभागाध्यक्ष ने निजी मेडिकल कॉलेज के निरीक्षण में वित्तीय अनियमितता की। फर्जी टीए, डीए बनाए, सीबीआई ने दंडात्मक कार्रवाई की संस्तुति की है।
-सीवीसी ने भ्रष्टाचार में लिप्त रहे एम्स दिल्ली के तत्कालीन निदेशक को ही मुख्य सतर्कता अधिकारी रहे संजीव चतुर्वेदी की एसीआर लिखने की अनुमति दे दी। दिल्ली एम्स के निदेशक ने उन्हें साल 2015-16 में जीरो एसीआर दे दी। जबकि नियमानुसार आरोपी अपने जांच अधिकारी की एसीआर नहीं लिख सकता है।