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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी से 66 आईएफएस अधिकारी हुए पासआउट

  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी का दीक्षांत समारोह ….
  • 66 आईएफएस अधिकारियों में से पांच उत्तराखंड से 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून । उत्तराखंड की राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने मंगलवार को वन अनुसंधान संस्थान देहरादून में इन्दिरा गाॅंधी राष्ट्रीय वन अकादमी के भारतीय वन सेवा अधिकारियों और भूटान के प्रशिक्षुओं हेतु आयोजित 2017-19 बैच के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। कुल 64 भारतीय वन सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों तथा 2 भूटान वन सेवा के प्रशिक्षुओं ने वन सेवा का प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम दिसम्बर 2017 में आरम्भ हुआ था।  राज्यपाल ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूर्ण करने वाले सभी अधिकारियों को इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वन अकादमी के एसोसिएट डिप्लोमा से सम्मानित किया तथा विभिन्न पुरस्कार वितरित किए।  इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी से पासआउट 66 आईएफएस अधिकारियों में से पांच उत्तराखंड से हैं। जिनमें आशुतोष सिंह,धवन कुमार रावत, कुंदन कुमार,मतिम यादव व पुनीत तोमर शामिल हैं।

दीक्षा समारोह में महाराष्ट्र के जगताप किरन सुरेश टॉपर रहे। उन्हें विभिन्न दो केटेगिरी में कुल तीन पदक व पुरुस्कार मिले। समारोह में हिमाचल से 3, महाराष्ट्र से 9, गुजरात से 3, राजस्थान से 4, उड़ीसा से 4 आईएफएस बने। 66 वन अधिकारी में से दो विदेशी अधिकारी भूटान शाही परिवार से हैं, जबकि 8 महिला अधिकारी बनी।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि राज्यपाल बेबी रानी मोर्य ने सभी नए वन अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि आपके कंधों में बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी है और सामने वन बचने की चुनौती भी हैं। उन्होंने कहा युवा अधिकारी वानिकी के उच्च मानदंडों को बनाए रखेंगे।

राज्यपाल ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूर्ण करने वाले सभी अधिकारियों को इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय वन अकादमी के एसोसिएट डिप्लोमा से सम्मानित किया तथा विभिन्न पुरस्कार वितरित किए।  राज्यपाल ने युवा अधिकारियों से अपेक्षा की है कि वह महिलाओं एवं ग्रामीण समुदायों की आवाज को हमेशा सुनें, ताकि ग्रामीण समुदाय का भार कम हो और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होनी चाहिए, जिससे उन्हें आजीविका में मदद मिल सके।
वन सेवा को प्रकृति की सेवा के माध्यम से मानवजाति की सेवा बताते हुए राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने वन सेवा के अधिकारियों से कहा कि भारत में वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन के समृद्ध इतिहास रहा है, जो दुनिया में सबसे पुरानी प्रबंधन व्यवस्थाओं में से एक है। भारतीय वन सेवा के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों, प्राकृतिक वातावरण और पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण का महत्वूपर्ण दायित्व भी अधिकारियों पर है।
राज्यपाल ने कहा कि किसी राष्ट्र की शक्ति मुख्य रूप से प्राकृतिक और मानव संसाधनों में निहित होती है। प्राकृतिक संसाधनों की विविधता और प्रचुरता की दृष्टि से भारत दुनिया के शीर्ष बारह देशों में आता है।
राज्यपाल ने कहा कि विशेषकर पहाड़ी राज्यों, जैसे उत्तराखण्ड में लोगों की आजीविका में वनों के विशेष महत्व है। कृषि उत्पादकता में अपेक्षित सुधार करने के लिए हमें वाटरशेड विकास और वर्षा जल संचयन के लिए व्यापक कार्यक्रम बनाने की आवश्यकता है ताकि हर गांव को आर्थिक और पारिस्थितिक सुरक्षा प्राप्त हो सके। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वनों से प्राप्त होने वाले लाभों को मुख्यधारा में लाने की काफी संभावनाएं हैं। स्थानीय लोगों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि वे ईको-टूरिज्म के माध्यम से आजीविका अर्जित कर सकें।
राज्यपाल ने कहा कि  हाल के समय में वनों मे आग लगने की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है। इस स्थिति में हमें आत्म-निरीक्षण की आवश्यकता है। लापरवाही से लगने वाली आग से वनों को बचाने के लिए हमें एक मानक ऑपरेटिंग  प्रोटोकाॅल बनाना और निष्ठापूर्वक लागू करना होगा। वन संसाधनों के प्रबंधन में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे वनोपज एकत्र करती हैं ताकि जीवन निर्वाह की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके और ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार की आय में वृद्धि हो सके। उत्तराखण्ड की महिलाएं तो वृक्षों को अपने भाइयों की तरह मानती हैं। वनों से सीधे जुड़े होने के कारण वनों के नुकसान से सबसे अधिक प्रभावित भी महिलाएं ही होती हैं। चिपको आंदोलन भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक घटना मानी जाती है।
वहीं इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय वन अकादमी के निदेशक ओमकार सिंह ने अपने सम्‍बोधन में सूचित किया कि यह संस्‍थान पूर्व में इंडियन फॉरेस्‍ट कॉलेज और अब इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय वन अकादमी के रूप में पिछले 79 वर्षों से देश की सेवा कर रहा है।  स्‍वतंत्र भारत के समस्‍त भारतीय वन सेवा अधिकारियों और 14 मित्र राष्‍ट्रों के लगभग 350 वन अधिकारियों ने अब तक इस संस्‍थान से प्रशिक्षण प्राप्‍त किया है। 
उन्‍होंने बताया कि वर्तमान 2017-19 पाठ्यक्रम के 64 भा.व.से. परिवीक्षा‍र्थियों और भूटान शाही सरकार के 2 विदेशी प्रशिक्षुओं को आज डिप्‍लोमा प्रदान किया जा रहा है।  वर्तमान 2017-19 पाठ्यक्रम में भूटान की शाही सरकार के 2 प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ 8 महिला अधिकारी भी शामिल हैं।  इन अधिकारियों में से 44 ने 75% से अधिक अंक प्राप्‍त करते हुए ऑनर्स डिप्‍लोमा प्राप्‍त किया है।  अपना प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले सभी अधिकारियों को इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय वन अकादमी के एसोसिएट डिप्‍लोमा से सम्‍मानित किया जा रहा है। 

उन्‍होंने यह भी बताया कि इनके प्रशिक्षण के दौरान आईआईएम लखनऊ अटैचमेण्‍ट, एनजीओ अटैचमेण्‍ट, अखिल भारतीय दौरे, मंत्रालय अटैचमेण्‍टस तथा फिनलैण्‍ड/रूस एवं स्‍पेन/इटली के स्‍पेशल ओवरसीज़ एक्‍सपोज़र विजिट भी कराई गई हैं।   उन्‍होंने अकादमी से पास-आउट होने वाले इन युवा परिवीक्षार्थियों को पूर्ण निष्‍ठा और समर्पण से कार्य करने तथा वनाश्रित निर्धन लोगों की आजीविका सुनिश्चित करने के लिए अपने सर्वश्रेष्‍ठ प्रयास करने की सलाह दी।इस अवसर पर वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव,पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार सिद्धान्‍त दास ने युवा अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि उनके समक्ष एक लंबा और चुनौतीपूर्ण कैरियर है।  हमें अपने देश में वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन के समृद्ध इतिहास पर गर्व है, जो दुनिया में सबसे पुरानी प्रबंधन व्‍यवस्‍थाओं में से एक है, और आज आप सभी इस परंपरा में योगदान देने की दहलीज पर हैं। 

उन्‍होंने यह भी कहा कि भविष्‍य में उनके समक्ष पैदावार बढ़ाने से लेकर जैव-विविधता संरक्षण तक और आजीविका से जुड़ी समस्‍याओं के उपाय ढूंढने से लेकर वनों में और उनके आसपास रहने वाले लोगों के विकास की आवश्‍यकता से जुड़ी अनेक चुनौतियां होंगी। उन्‍होंने इस पर भी बल दिया कि  हमारे देश की आबादी का एक बड़ा हिस्‍सा अपनी आजीविका और निर्वाह के लिए पूरी तरह वनों पर आश्रित है और हमें ऐसे कार्यक्रम बनाने की आवश्‍यकता है जो केवल भविष्‍य के लिए जैव-विविधता के संरक्षण तक ही सीमित न हों बल्कि हमारे देश के लोगों की आर्थिक स्थिति को ऊंचा उठाने पर भी ध्‍यान दें।  उन्‍होंने देश के सबसे महत्‍वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक के संरक्षण के लिए युवा अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय वन अकादमी को भी बधाई दी।

अपर वन महानिदेशक सैबल दास गुप्ता ने कहा कि नए वन अधिकारी देश को मिलना खुशी की बात है, लेकिन देश को मिले 64 वन अधिकारियों की जिम्मेदारी आज से ही शुरू हो गई कि उनके कंधों पर 35 साल तक देश की एक अरब, 25 करोड़ से अधिक जनसंख्या की अप्रत्यक्ष सुरक्षा की जिम्मेदारी है। वन रहेंगे तो शुद्ध हवा मिलेगी, लोग बीमार कम होंगे। साथ ही देश की भौगोलिक परिस्थितियों और इको सिस्टम बेहतर होगा।

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