UTTARAKHAND

मुनस्यारी के बाद अब पौड़ी के खिर्सू में होम स्टे योजना

धीराज गर्ब्याल ने कुमाऊं के सीमांत क्षेत्रों को होम स्टे योजना से जोड़ने के किये थे सफल प्रयोग 

”बासा” योजना के पहले चरण में जिले के पांच स्थानों का किया गया है चयन

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : कुमाऊं मंडल के सीमांत क्षेत्रों को होम स्टे योजना से जोड़ने के सफल प्रयोग किये जाने के बाद जिलाधिकारी पौड़ी धीराज गर्ब्याल ने गढ़वाल जिले के खिर्सू में इस योजना को जमीन पर उतारा है और नाम दिया है ”बासा” पहाड़ों में रात्रि विश्राम के जगह को बासा कहा जाता है। ”बासा” इसी नाम से यह होम स्टे के घरों को बनाया गया है। जिसका सञ्चालन ग्रामीण महिलाओं को ही दिया गया है। ताकि वे इसे अपनी आय का जरिया बना सकें और पलायन पर रोक भी लग सके। 

उत्तराखंड सरकार की होम स्टे योजना पहाड़ से पलायन खत्म करने में मददगार साबित हो सकती है। जिसके जरिए स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाएगा। पौड़ी में ‘बासा’ नाम से होम स्टे चेन की शुरुआत हो रही है । योजना के पहले चरण में जिले के पांच स्थानों का चयन किया गया है इन स्थानों पर होम स्टे के लिए भवन बनाये जाएंगे।

सतपुली और ब्यास घाट में कैंप भी शुरू होंगे। योजना पर काम शुरू हो गया है। पौड़ी के खिर्सू में पहाड़ी शैली में बना पहला होम स्टे मेहमानों के स्वागत के लिए तैयार है। जिसका आज लोकार्पण हो रहा है। इसके संचालन की जिम्मेदारी उन्नति महिला समूह को दी गई है। 15 महिलाओं का ये ग्रुप होम स्टे का संचालन करेगा। खास बात ये है कि इससे स्थानीय लोगों को रोजगार और स्थानीय उत्पादों की बिक्री का बाजार भी मिलेगा। इस बाजार में लोग स्थानीय उत्पादों को बेच सकते हैं। यात्रियों के लिए शुरुआत में होम स्टे के एक कमरे का किराया दो से ढाई हजार रुपये होगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत होम स्टे का विधिवत रूप से शुभारंभ करेंगे। पौड़ी प्रशासन की इस शानदार पहल का श्रेय यहां के डीएम धीराज गर्ब्याल, बीडीओ रामेश्वर चौहान और डीडीओ वेद प्रकाश को जाता है। धीराज गर्ब्याल ने कुमाऊं के सीमांत क्षेत्रों को होम स्टे योजना से जोड़ने के सफल प्रयोग किये थे। जिसकी बदौलत आज इन गांवों के लोग लाखों में कमाई कर रहे हैं और स्वरोजगार से जुड़े हैं। 

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