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हिमालयी राज्यों के प्रतिनिधियों ने तैयार किया एक कॉमन एजेंडा

ग्रीन बोनस,जल संरक्षण व आपदा प्रबंधन एजेंडा के मुख्य बिन्दु



मसूरी : मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मसूरी में आयोजित हिमालयन कान्क्लेव के संबंध में बताया कि यह आयोजन सफल रहा है। प्रथम बार हिमालयन राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया है। उन्होंने बताया कि असम राज्य को छोड़कर 10 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिमालयन कान्क्लेव में शामिल हुए। जिसमें हिमांचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय के मुख्यमंत्री, अरूणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
मसूरी : उत्तर से उत्तरपूर्वी राज्यों की विकास सहित तमाम मुद्दों पर एक एक जैसी समस्याओं का सामना करने वाले देश के 11 हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित उनके प्रतिनिधियों का देश में पहली बार आयोजित हुए इस तरह की परिचर्चा रविवार को मसूरी के ऐतिहासिक सवॉय होटल शुरू हुई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कॉन्क्लेव में सभी राज्यों की एक जैसी समस्या और उसके निदान पर विचार -विमर्श किया गया। कॉन्क्लेव में हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कई राज्यों से आये मुख्यमंत्रियों के प्रतिनिधियों के मध्य पर्यावरण संरक्षण, आपदा प्रबंधन, ग्रीन बोनस जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के बाद एक सामूहिक प्रत्यावेदन बनाया गया जिसे प्रधानमंत्री सहित नीति आयोग को सौंपा जायेगा।
हिमालयन कॉन्क्लेव में गहन मंथन के पश्चात प्रतिभागी हिमालयी राज्यों द्वारा ‘‘मसूरी संकल्प’’ पारित किया गया। इसमें पर्वतीय राज्यों द्वारा हिमालय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और देश की समृद्धि में योगदान का संकल्प लिया गया। साथ ही, प्रकृति प्रदत्त जैव विविधता, ग्लेशियर, नदियों, झीलों के संरक्षण का भी प्रण लिया गया। भावी पीढ़ी के लिए लोककला, हस्तकला, संस्कृति आदि का संरक्षण किया जाएगा। पर्वतीय संस्कृति की आध्यात्मिक परम्परा के संरक्षण व मानवता के लिए कार्य करने का संकल्प लिया गया। समानता व न्याय की भावना के साथ पर्वतीय क्षेत्रों के सतत विकास की रणनीति पर काम किया जाएगा। पर्वतीय सभ्यताओं के महान इतिहास व विरासत के संरक्षण का संकल्प लिया गया।
15वें वित आयोग के अध्यक्ष श्री एन.के. सिंह ने हिमालयन कॉन्क्लेव को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि अपनी साझा समस्याओं को रखने व उनके हल के लिए नीति निर्धारण में यह एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म साबित होगा। केन्द्र भी हिमालयी राज्यों के साथ है। वित आयोग, हिमालयी राज्यों की समस्याओं से भलीभांति अवगत है। सम्मेलन में उठायी गयी बातों से वित्त आयोग भी सहमत है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए संवैधानिक दायरे में हर सम्भव प्रयास किया जाएगा। हिमालयी राज्य वैश्विक पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं। यहां जीवन स्तर को सुधारने के लिए क्या सिस्टम बनाया जा सकता है, इस पर विचार किया जाना चाहिए।
मेघालय के मुख्यमंत्री श्री कोनराड कोंगकल संगमा ने कहा कि हिमालयी राज्यों में विकास योजनाओं की लागत अधिक होती है। इसलिए केन्द्र द्वारा विभिन्न विकास योजनाओं के मानकों में इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। आर्थिक विकास व पारिस्थितिकीय संतुलन को बनाये रखना, हिमालयी राज्यों की दोहरी जिम्मेदारी होती है। हमें सतत विकास के लिए रिस्पोंसिबल टूरिज्म पर फोकस करना होगा। उन्होंने पर्वतीय राज्यों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान की आवष्यकता पर बल दिया। Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur.