हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में बिजनौर के हरनाम को मिला नया जीवन
–जानलेवा बिमारी म्यूकर माइकोसिस (फंगल संक्रमण) से था पीड़ित
-हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के छाती एवं श्वास रोग की टीम ने किया उपचार
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून । हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के छाती एवं श्वास रोग विभाग के चिकित्सकों ने बिजनौर निवासी हरनाम सिंह (52 वर्ष) को नया जीवन दिया। हरनाम एक तरह के फंगल संक्रमण म्यूकर माइकोसिस जानलेवा रोग से पीड़ित था। हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में उपचार के बाद हरनाम पूरी तरह से स्वस्थ होकर घर लौट चुका है।
हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के छाती एवं श्वास रोग विभाग की चिकित्सक डॉ.वरुणा जेठानी और उनकी टीम ने हरनाम का उपचार किया। डॉ.वरुणा जेठानी ने बताया कि हरनाम सिंह नवंबर माह के मध्य में उपचार के लिए ओपीडी में पहुंचा। उस वक्त उसे बुखार करीब 102 था। खांसी में खून आ रहा था। शुगुर लेवल भी सामान्य से बहुत अधिक 400 था। शुरुआती स्वास्थ्य जांचों के बाद हरनाम सिंह की ब्रांकोस्कॉपी कराई गई। उसमें म्यूकर माइकोसिस (फंगल संक्रमण) रोग की पुष्टि हुई। इसके बाद हॉस्पिटल में करीब डेढ़ महीने तक उनका उपचार किया गया। अब हरनाम सिंह पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। हरनाम सिंह के उपचार में हिमालयन हॉस्पिटल के डॉ.सुचिता पंत, डॉ.संकेत, डॉ.दीपेन, डॉ.शिवम सहित नर्सिंग केयर टीम के सदस्य शामिल रहे। हिमालयन हॉस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ.एसएल जेठानी ने टीम को बधाई दी है।
म्यूकर माइकोसिस रोगियों में मृत्यु दर 75-80 फीसदी
डॉ.वरुणा जेठानी ने बताया कि दुनियाभर में 20-25 फीसदी लोग म्यूकर माइकोसिस रोग से ग्रसित होते हैं। यह जानलेवा रोग है। इसमें 75-80 फीसदी मृत्यु दर है।
क्या होता है म्यूकर माइकोसिस
म्यूकर माइकोसिस एक फंगल संक्रमण है और यह संक्रमण लोगों की आंखों, नाक और जबड़े की हड्डियों में होता है और फिर हड्डी को पिघला देता है। इस गंभीर बीमारी के कारण लोग अपनी आँखें, नाक और जबड़ा खो देते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि संक्रमण धीरे-धीरे बढ़ता है और लोगों के दिमाग तक पहुंचता है।
रोग के कारण- जिन लोगों को डायबिटीज है या उनमें अंग प्रत्यारोपण या रक्त कैंसर जैसी बीमारी हुई है, उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इससे उन्हें म्यूकर माइकोसिस से संक्रमित होने की अधिक संभावना है।
लक्षण- बुखार, खांसी में खून, सांस में तकलीफ, छाती में दर्द