बीजेपी के पूर्व संगठन महामंत्री को हाइकोर्ट से राहत
- गिरफ्तारी से बचने के लिए भूमिगत चल रहे थे पूर्व संगठन मंत्री
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नैनीताल : #Me Too के आरोप में फंसे और गिरफ्तारी से बचने के लिए भूमिगत चल रहे भारतीय जनता पार्टी के पूर्व संगठन मंत्री संजय कुमार की गिरफ्तारी पर फिलहाल उत्तराखंड हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। हाइकोर्ट की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। पीडि़ता द्वारा मुकदमा दर्ज करने और 161 के बयान के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए के लिए संजय कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
राज्य में भाजपा प्रदेश कार्यालय में कार्यरत युवती ने पूर्व संगठन महामंत्री मंत्री संजय कुमार पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया था। संजय के युवती के साथ कथित बातचीत के ऑडियो भी वायरल हुए थे। इधर गिरफ्तारी से बचने के लिए बीते दो माह से भूमिगत रहे संजय में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनएस धानिक की विशेष पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए फिलहाल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। साथ ही सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल के निर्देश दिए हैं। लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष द्वारा भाजपा संगठन मंत्री के कृत्यों से भाजपा का कोई लेने -देने नहीं होने की बात और उनसे पल्ला झाड़ने के बाद उनकी अब भाजपा की राह मुश्किल हो गयी है।
गौरतलब हो कि मीटू प्रकरण में भाजपा के पूर्व प्रदेश संगठन मंत्री संजय कुमार के खिलाफ लज्जा भंग करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर लिया गया था। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने एसपी देहात सरिता डोभाल की जांच रिपोर्ट के आधार पर शहर कोतवाली पुलिस को अभियोग पंजीकृत करने के आदेश दिए थे। पीड़िता ने एसपी देहात से मिलकर आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की तहरीर दी थी। पीड़िता ने पूर्व संगठन मंत्री संजय कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए बीती 10 नवंबर को एसएसपी निवेदिता कुकरेती को ई-मेल के जरिये तहरीर भेज दी थी। एसएसपी ने 11 नवंबर को एसपी देहात सरिता डोभाल को इस मामले की जांच सौंप दी थी। असुरक्षा का हवाला देकर पीड़िता लंबे समय तक सुरक्षा की गुहार लगाती रही। काफी जद्दोजहद के बाद उसने एसपी देहात के सामने आकर बयान दर्ज कराए, तब जाकर सुरक्षा मुहैय्या हो सकी।