एनआईटी को सुमाड़ी के परिसर में चलाने के हाई कोर्ट नैनीताल के निर्देश

- श्रीनगर से इतर एनआईटी ले जाने वालों को करारा झटका!
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एनआईटी श्रीनगर का संचालन सुमाड़ी श्रीनगर स्थित अस्थायी परिसर में करने के ऐतिहासिक आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट के इस आदेश से पहाड़ विरोधी मानसिकता के ऐसे लोगों को श्रीनगर से इतर एनआईटी ले जाने वालों को करारा झटका लगा है। वहीं अदालत ने केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार से कहा है कि प्रथम वर्ष की प्रवेश प्रक्रिया सुमाड़ी में सुनिश्चित की जाए। वहीं आईआईटी रुड़की को इस कार्य में प्रदेश सरकार को मदद करने के आदेश भी हाईकोर्ट ने दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति एनएस धानिक की संयुक्त खंडपीठ में मंगलवार को मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार को एनआईटी के लिए सुमाड़ी में चयनित भूमि की जांच करने के बाद तीन माह में यह बताने को कहा है कि सुमाड़ी एनआइटी के लिए उपयुक्त है या नहीं।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ के समक्ष संस्थान के पूर्व छात्र जसबीर सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट से तीन माह का समय मांगा। साथ ही कहा कि चयनित भूमि की डीपीआर बनाई जा सके और साइट सेलेक्शन कमेटी भूमि की जांच कर यह पता लगा सके कि सुमाड़ी की भूमि एनआइटी के लिए उपयुक्त है या नहीं, इसकी जांच के लिए इतना समय जरूरी है। इसके बाद ही केंद्र सरकार इस मामले में अंतिम निर्णय लेगी।
खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद अगली सुनवाई पहली जुलाई नियत की है। जनहित याचिका में कहा गया है कि स्थापना के नौ साल बाद भी एनआइटी को स्थायी कैंपस नहीं मिला। छात्र जर्जर बिल्डिंग में अध्ययन को मजबूर हैं। इस बिल्डिंग में कभी भी हादसा हो सकता है। याचिका में यह भी मांग की गई थी कि जो छात्राएं सड़क हादसे में घायल हुई हैं, उनके इलाज का खर्च सरकार उठाए। पूर्व में खंडपीठ ने सरकार को स्थायी कैंपस निर्माण के लिए मैदान अथवा पहाड़ में चार स्थान चिह्निïत करने के निर्देश दिए थे।