हाई कोर्ट ने सरकार के नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने का नियम को किया समाप्त
- रूल ऑफ लॉ से चलता है लोकतंत्र : हाई कोर्ट
नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अवैध कब्जेदारों के नजूल भूमि फ्री होल्ड करने के सरकार के प्रावधान को निरस्त कर दिया है। अदालत ने इसे गैर संवैधानिक प्रावधान मानते हुए सरकार पर पांच लाख जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की यह राशि राष्ट्रीय विधि विवि के खाते में जमा करने को कहा गया है। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस प्रावधान से प्रदेश में 20 हजार एकड़ से अधिक नजूल भूमि अवैध कब्जेदारों के पक्ष में फ्रीहोल्ड की जा चुकी थी।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता रवि जोशी और रुद्रपुर के पूर्व सभासद रामबाबू आदि की ओर से इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में नजूल भूमि नीति में 1 मार्च 2009 को जोड़े नये प्रावधान को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने भी इसका स्वत: संज्ञान लिया था। याचिका में कहा गया कि सरकार ने नजूल नीति में निश्चित रकम चुका कर अवैध कब्जे को फ्री होल्ड कराने का प्रावधान किया गया है, जो कि असंवैधानिक, मनमाना और नियमों के विरुद्ध है।
सुनवाई में याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने नजूल भूमि के उपयोग के लिए जो व्यवस्था दी है, उसके अनुसार नजूल भूमि का सार्वजनिक उपयोग करने का प्रावधान है। लेकिन सरकार सार्वजनिक उपयोग बजाय नजूल भूमि अवैध कब्जेदारों और व्यक्ति विशेष के नाम कर रही है। इसमें गरीब जनता की अनदेखी की गई है, जो इसकी वास्तवित हकदार है।
वहीँ मामले की सुनवाई के दौरान संयुक्त खंडपीठ ने सरकार के इस प्रावधान पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आखिर प्रजातंत्र रूल ऑफ लॉ के अनुसार चलता है। सरकार की संबंधित नीति इसके खिलाफ है। नजूल भूमि का उपयोग सार्वजनिक हित के लिए किया जाए। बीपीएल वर्ग में आने वाले लोगों और एससी-एसटी-ओबीसी श्रेणी के जरूरतमंद लोगों को इसका आवंटन किया जा सकता है। अदालत ने इन सभी बातों को मद्देनजर रखते हुए 2009 की नजूल भूमि के इस प्रावधान को निरस्त करने के आदेश दिए हैं। गलत प्रावधान के लिए सरकार पर पांच लाख जुर्माना भी किया है। इस बीच प्रदेश में 20 हजार एकड़ नजूल भूमि फ्री होल्ड हुई है। जानकारी के अनुसार अकेले ऊधमसिंह नगर जिले में 1900 एकड़ भूमि शामिल है।
ललित बेलवाल, अध्यक्ष हाईकोर्ट बार नैनीताल के अनुसार, हाईकोर्ट ने 2009 की नजूल नीति में अवैध कब्जे को फ्रीहोल्ड करने के सरकार के प्राविधान को रद्द कर दिया है, इसके तहत किया गया फ्रीहोल्ड अवैध हो गया है और भूमि का स्वामित्व एक बार फिर से सरकार का हो गया है।